Ventilator Kya Hota Hai? वेंटीलेटर के फायदे और नुक्सान | वेंटिलेटर का कार्य

Ventilator Kya Hota Hai?: कोरोना काल को हम सभी अच्छी तरह से जानते ही है उस समय पर वेंटीलेटर का नाम आपको काफी सुनाने को मिला होगा, हालाँकि अधिकतर लोगो ने वेंटीलेटर का नाम सुना होता है लेकिन काफी सारे लोगो को वेंटीलेटर के बारे जानकारी नहीं होती है| जिन इंसानो को वेंटीलेटर के बारे में जानकारी नहीं होती है वो अक्सर इंटरनेट पर वेंटीलेटर क्या है?(ventilator kya hota hai) वेंटीलेटर कितने प्रकार के होते है? वेंटीलेटर के फायदे इत्यादि लिखकर सर्च करते है, अगर आप भी वेंटीलेटर के बारे में सर्च कर रहे है तो हमारा यह पेज आपके लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि हम अपने इस लेख में वेंटीलेटर के बारे जानकारी उपलब्ध करा रहे है, हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें चलिए सबसे पहले हम आपको वेंटीलेटर क्या होता है(ventilator kya hai) इसके बारे में बताते है 

वेंटीलेटर क्या है (ventilator kya hota hai)

वेंटीलेटर एक तरह की मशीन होती है, जिसकी मदद से इंसान को साँस लेने या छोड़ने में मदद मिलती है| वेंटीलेटर मशीन का प्रमुख कार्य मरीज के शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकालने के साथ साथ ऑक्सीजन को मरीज के शरीर में मौजूद फेफड़ो तक पहुँचाना होता है| वैसे तो वेंटीलेटर आपको हॉस्पिटल में ही देखने को मिलेगा लेकिन कुछ इंसानो के घर में भी वेंटीलेटर देखने को मिलता है, वेंटीलेटर मशीन ऐसे लोगो के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है जिन्हें साँस लेने साँस लेने में किसी भी तरह की तकलीफ हो रही हो या इंसान खुद साँस लेने में असमर्थ होता है या ऐसे इंसान जिनके फेफड़े किसी लम्बी बीमारी के चलते ख़राब हो गए हो, ऐसे सभी मरीजों को साँस दिलाने में वेंटीलेटर का ही इस्तेमाल किया जाता है| जब वेंटीलेटर का निर्माण नहीं हुआ था तब बहुत सारे मरीज अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते थे सरल भाषा में वेंटीलेटर को समझे तो वेंटीलेटर एक ऐसी मशीन होती है जिसकी मदद से मरीज को साँस दिलाई और छोड़ी जाती है|

वेंटिलेटर की जरूरत कब पड़ती है?

काफी सारे इंसानो को यह नहीं पता होता है की वेंटीलेटर की जरुरत किन परिस्थितियों में पढती है, चलिए हम आपको बताते है की आखिर वेंटीलेटर की जरुरत कब कब पड़ती है

  1. जब किसी भी इंसान को साँस लेने में परेशानी हो रही हो तो इस स्थिति में वेंटीलेटर की मदद से साँस दिलाई जाती है|
  2. जब पीड़ित आंशिक रूप से साँस लेना बंद कर दें |
  3. किसी भी इंसान के फेंफड़ों तक साँस पहुँचने में दिक्कत हो रही हो या साँस पहुँच नहीं रही हो
  4. जब किसी भी पीड़ित के फेंफड़ों ने काम करना बंद कर देते हो
  5. बॉडी में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन पूरी तरह से ना होने पर वेंटीलेटर का इस्तेमाल किया जाता है|
  6. अगर कोई भी इंसान जहर खा लेता है तो इस स्थिति में भी वेंटीलेटर की जरुरत पड़ती है|
  7. वेंटीलेटर की जरुरत हेड इंजरी, एक्सीडेंट और ऑपरेशन इत्यादि में भी पड़ती है|

वेंटिलेटर का कार्य

वेंटीलेटर आपको मुख्य रूप से अस्पतालों में ही देखने को मिलता है, इसीलिए वेंटीलेटर का इस्तेमाल बीमारों के लिए किया जाता है, चलिए अब हम आपको वेंटीलेटर के कार्य के बारे में बताते है

  1. फेफड़ों में ऑक्सीजन को भेजना
  2. जिन इंसानो को साँस छोड़ने में दिक्कत होती है उनके शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकलने का काम वेंटीलेटर ही करता है|
  3. मरीज को आसानी से साँस लेने में मदद करता है|
  4. वेंटीलेटर कृत्रिम साँस प्रदान करता है|
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वेंटीलेटर के प्रकार

अधिकतर इंसानो को सिर्फ यह पता होता है की वेंटीलेटर होता है (ventilator kya hai) लेकिन वेंटीलेटर के प्रकारो के बात करें तो काफी सारे इंसानो को वेंटीलेटर के प्रकारो के बारे में जानकारी नहीं होती है| चलिए अब हम आपको वेंटीलेटर के प्रकारो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

1 – फेस मास्क वेंटीलेटर

इस तरह का वेंटीलेटर लगभग सभी ने कभी ना कभी जरूर देखा होगा, फेस मास्क वेंटीलेटर में मरीज के मुंह और नाक को ढकने वाला मास्क पहनाया जाता है| इस मास्क में एक पाइप लगा होता है जिसके माध्यम से पीड़ित को ऑक्सीजन दी जाती है, फेस मास्क वेंटिलेटर साँस लेने की क्षमता को सपोर्ट करने के साथ साथ ब्लड में पर्याप्त ऑक्सीजन पहुँचाने का काम करता है| अगर किसी भी इंसान को साँस लेने में परेशानी हो रही हो या ब्लड में पर्याप्त ऑक्सीजन का स्तर नहीं होता है तो इस तरह के वेंटीलेटर का उपयोग किया जाता है| कोरोना काल सभी को अच्छी तरह याद ही होगा, कोविड के समय पर मरीजों के लिए फेस मास्क वेंटिलेटर का उपयोग किया गया था, इस तरह के वेंटीलेटर का उपयोग पुरानी बीमारियो जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज इत्यादि के लिए किया जाता है|

2 – यांत्रिक वेंटीलेटर

मैकेनिकल वेंटिलेटर फेस मास्क वेंटीलेटर से काफी अलग होती है, इस तरह के मास्क का इस्तेमाल ऐसे मरीजों के लिए किया जाता है जिनसे साँस नहीं ली जाती है| इस तरह के वेंटीलेटर में मशीन साँस लेने की प्रक्रिया को खुद पूरा करती है, दरसल मैकेनिकल वेंटिलेटर में पीड़ित के गले में एक ट्यूब या पाइप डाला जाता है, फिर इसी पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन सप्लाई की जाती हैं| ट्यूब के माध्यम से फेफड़ों में हवा पहुँचाने के साथ कार्बन डाइऑक्साइड को दूर होती है, इस तरह का वेंटीलेटर खुद हवा की मात्रा, हवा के दबाव,  आर्द्रता और तापमान को नियंत्रित करके मरीज का ख्याल रखती है| हालाँकि डॉक्टर इन सब चीजों नियंत्रण करता है, दरसल मरीज की कंडीशन को देखकर डॉक्टर एक बाद हवा की हवा का दबाव, मात्रा और तापमान इत्यादि चीजों को सेट कर देते है फिर उसके बाद मशीन डॉक्टर के द्वारा निर्धारित मात्रा पर मरीज को हवा देती रहती है| आमतौर पर सभी हॉस्पिटलों में श्वसन चिकित्सक होता है और एक्सपर्ट डॉक्टर व्यक्ति की श्वास और ऑक्सीजन के स्तर को नियंत्रित करते है| गंभीर रूप से बीमार मरीज को मैकेनिकल वेंटिलेटर की जरुरत पड़ती है, मेकेनिकल वेंटीलेटर दो प्रकार का होता है जिसके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है

(a) पॉजिटिव प्रेशर वेंटीलेटर – पॉजिटिव प्रेशर वेंटीलेटर का इस्तेमाल काफी ज्यादा देखने को मिलता है, इस तरह के वेंटीलेटर में पाइप के माध्यम से फेफड़ो तक हवा पहुंचाई जाती है|

(b) नेगेटिव प्रेशर वेंटीलेटर – इस तरह के वेंटीलेटर का उपयोग कम देखने को मिलता है, नेगेटिव प्रेशर वेंटीलेटर का इस्तेमाल इंट्रामस्क्युलर रोग से पीड़ित इंसानो के लिए किया जाता है| इसमें मरीज की छाती पर समय समय पर दबाव देकर साँस दिलाने में मदद की जाती है|      

3 – मैनुअल रिससिटेटर बैग

मैनुअल रिससिटेटर बैग के नाम से शायद आप कंफ्यूज हो रहे है होंगे दरसल यह वेंटीलेटर ही होता है लेकिन यह डिवाइस एक बैग के रूप में होता है| सरल भाषा में आप ऐसे भी समझ सकते है की इस तरह के वेंटीलेटर में वायु प्रवाह को आप अपने हाथों से नियंत्रित कर सकते है| इस वेंटीलेटर में सभी उपकरण एक बैग में रखें होते है, इस तरह के वेंटीलेटर में मरीज के फेफड़ो तक हवा पहुंचाने के लिए एक इंसान पंप करना पड़ता है, पंप से हवा मरीज तक पहुँचाने के लिए एक पाइप होता है| मैनुअल रिससिटेटर बैग वेंटीलेटर का इस्तेमाल अस्थायी समाधान के रूप में किया जा सकता है, अगर कोई मरीज यांत्रिक वेंटिलेटर पर है और कुछ देर के लिए वेंटीलेटर बंद करने की जरुरत हो तो इस वेंटीलेटर का इस्तेमाल किया जा सकता है| वैसे मैनुअल रिससिटेटर बैग वेंटीलेटर का इस्तेमाल उस स्थिति में ज्यादा किया जाता है जहाँ पर पावर आउटेज हो गई है ऐसे में बिजली वापस आने तक मैन्युअल रिससिटेटर बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है| 

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4 – ट्रेकियोस्टोमी वेंटीलेटर

अगर किसी भी इंसान की श्वसन नली का मार्ग अवरुद्ध या ब्लॉक हो गया हो या गर्दन में किसी प्रकार की चोट लगने से साँस की नली बंद हो गई हो या साँस में बहुत ज्यादा परेशानी हो रही तो ऐसे में पीड़ित को ट्रेकियोस्टोमी वेंटीलेटर के द्वारा हवा पहुंचाई जाती है| इसके अलावा जिन इंसानो में ट्रेकियोस्टोमी की परेशानी होती है उन्हें भी इस वेंटिलेटर की जरुरत पड़ती है, इस तरह के वेंटीलेटर के द्वारा हवा मरीज के अंदर पहुंचाने के लिए मरीज की गर्दन पर एक कट लगाया जाता है, फिर कट के जरिए ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब दाल दी जाती है फिर उसी के माध्यम से हवा अंदर और बाहर पहुंचाई जाती है| इस प्रक्रिया में मरीज को अपनी नाक या मुंह से साँस लेने की जरुरत नहीं होती है| ट्रेकियोस्टोमी वेंटीलेटर का इस्तेमाल पुरानी फेफड़ों की बीमारी या साँस लेने की मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली न्यूरोमस्कुलर समस्या जैसी बीमारियों से पीड़ित इंसानो के लिए भी किया जाता है| 

वेंटीलेटर का उपयोग

आमतौर वेंटीलेटर का इस्तेमाल हॉस्पिटल में ही होता है, लेकिन कुछ बिमारी या मरीज की वजह से वेंटीलेटर की मशीन को घर पर भी लगवाया जाता है| वेंटीलेटर का इस्तेमाल ऐसे मरीजों के लिए किया जाता है जिन्हे साँस लेने में दिक्कत हो रही हो, चलिए अब हम आपको बताते है वेंटीलेटर का इस्तेमाल कब कब किया जाता है, वेंटीलेटर के उपयोग के बारे में हम नीचे बता रहे है

1 – ऑपरेशन के समय

वेंटलेटर का उपयोग सबसे ज्यादा ऑपरेशन के समय किया जाता है, यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते ही है की जब भी किसी भी इंसान का ऑपरेशन किया जाता है तो ऑपरेशन करने से पहले मरीज को बेहोश किया जाता है| जब मरीज बेहोश हो जाता है तो इस स्थिति में मरीज साँस नहीं ले पाता है इसीलिए ऑपरेशन करने से पहले मरीज को साँस दिलाने के लिए वेंटीलेटर मशीन का इस्तेमाल होता है|

2 – फेफड़ों से सम्बधित रोग से पीड़ित मरीजों के लिए

काफी सारे इंसान फेफड़ो से सम्बंधित बीमारियो से ग्रसित होते है, जब फेफड़ो की बिमारी बड़ जाती है तो पीड़ित को साँस लेने या छोड़ने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है| इस स्थिति में मरीज को साँस दिलाने के लिए वेंटीलेटर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, मरीज के लिए वेंटीलेटर लगाने से वेंटीलेटर मशीन खुद मरीज को आसानी से साँस देने और छोड़ने का का काम करती है और मरीज को साँस लेने के लिए या छोड़ने के लिए किसी भी तरह की परेशानी या जोर नहीं लगाना पड़ता है|

3 – कोमा में जाने वाले मरीजों के लिए

कोमा नाम सुनकर ही अधिकतर इंसान डर जाते है, कोमा में जाने वाला इंसान जीवित तो होता है लेकिन कोमा में गया इंसान कोई भी काम नहीं कर सकता है| कोमा की समस्या से पीड़ित इंसान को साँस दिलाने के लिए वेंटीलेटर मशीन की जरुरत पढती है, ऐसे मरीज को तब तक वेंटीलेटर की जरुरत होती है जब तक मरीज खुद आसानी से साँस लेने के लायक नहीं हो जाता है| दरसल जब कोई भी इंसान कोमा की स्थिति में पहुँच जाता है तो उसके शरीर के अंग काम नहीं करते है, ऐसे में मरीज को साँस लेने के काफी दिक्कत या तकलीफ होती है इसीलिए पीड़ित को आसानी से साँस दिलाने के लिए वेंटीलेटर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है| जब मरीज कोमा से बाहर आकर सही से साँस लेने लगता है तब वेंटीलेटर को हटा दिया जाता है|

4 – जिन इंसानो का ब्रेन डेड हो जाता है 

जब किसी भी इंसान का दिमाग डेड हो जाता है तो इंसान का दिमाग काम नहीं करता है और यह तो आपको पता ही होगा की दिमाग ही हमारे शरीर को चलाता है या कमांड देता है| ब्रेन डेड की समस्या से पीड़ित इंसान को साँस लेने या छोड़ने में काफी दिक्कत हो सकती है इसीलिए ऐसे स्थिति में वेंटीलेटर मशीन की जरूरत पड़ सकती है|

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वेंटीलेटर के फायदे

ऊपर आपने वेंटीलेटर के उपयोग के बारे में पढ़ा, अब हम आपको वेंटीलेटर के फायदों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है, वेंटीलेटर के फायदे काफी सारे होते है जिनमे से कुछ फायदों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे है  

  • वेंटीलेटर का सबसे बड़ा फायदा ऐसे इंसानो के लिए है जिन्हे साँस लेने और साँस छोड़ने में तकलीफ हो रही हो, वेंटीलेटर मशीन ऐसे मरीजों को साँस लेने और छोड़ने का काम करती है|
  • जब कोई इंसान कोमा में चला जाता है तो पीड़ित का शरीर काम नहीं सुचारु रूप से काम नहीं करता है, ऐसे इंसानो के लिए वेंटीलेटर मशीन किसी वरदान से कम नहीं है| ऐसे में वेंटीलेटर मशीन पीड़ित को साँस दिलाने में मदद करती है|
  • कोरोना काल तो सभा को पता है कोरोना की समस्या से पीड़ित इंसान को साँस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है.ऐसे में वेंटीलेटर मशीन का उपयोग सबसे ज्यादा किया गया था|
  • अगर आप किसी ऐसी जगह पर है जहाँ पर ऑक्सीजन की कमी है तो इस स्थिति में भी वेंटीलेटर मशीन का इस्तेमाल किया जा सका है, वेंटीलेटर मशीन ऑक्सीजन देने का काम करती है|
  • वेंटीलेटर मशीन 100 प्रतिशत शुद्ध ऑक्सीजन देता है जो आमतौर पर मिलना काफी ज्यादा मुश्किल होता है|
  • वेंटीलेटर मशीन के जरिए इंसान को लम्बे समय तक सही रखा जा सकता है, जिसका सबसे बड़ा उदहारण है कोमा के मरीज, कोमा के मरीजों को काफी लम्बे समय तक ऑक्सीजन देने के लिए वेंटीलेटर मशीन का इस्तेमाल होता है|
  • जिन इंसान को फेफड़े से सम्बंधित बिमारी हो उनके लिए वेंटीलेटर की मशीन काफी ज्यादा लाभकारी होती है क्योंकि इसी की मदद से उन्हें साँस आसानी से दी जा सकती है|
  • जिन मरीजों के फेफड़े खराब हो गए होते है ऐसे इंसान खुद से साँस नहीं ले पाते है, ऐसे मरीजों के लिए घर पर ही वेंटीलेटर मशीन रखवा ली जाती है, जिससे मरीज की जान बच जाती है और ऐसे इंसान की जान सिर्फ वेंटीलेटर पर ही निर्भर करती है।

वेंटीलेटर मशीन के नुकसान

ऊपर आपने वेंटीलेटर के फायदों के बारे में जाना, अब हम आपको वेंटीलेटर के नुक्सान के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है| आमतौर पर वेंटीलेटर के नुक्सान तभी देखने को मिलते है जब कोई इंसान वेंटीलेटर मशीन पर लम्बे समय तक रहता है, वेंटीलेटर पर रहने वाले मरीज को स्वास्थ्य से सम्बंधित परेशानियाँ होने के साथ साथ कई अन्य परेशानियो का भी सामना करना पड़ सकता है| चलिए अब हम आपको वेंटीलेटर के नुक्सान के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

  • जब कोई इंसान वेंटीलेटर पर होता है तो फेस पर लगे मास्क से जाने वाली वायु के साथ कई बार बैक्टीरिया भी शरीर में पहुँच जाता है जिसकी वजह से मरीज को निमोनिया होने की प्रबल संभावना होती है|
  • वेंटीलेटर ट्यूब लगे रहने की वजह से मरीज को थ्रोट इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है|
  • जिन मरीजों के एंडोट्राचेल ट्यूब लगाई जाती है उन मरीजों में संक्रमण की वजह से साइनस की परेशानी देखने को मिलती है|
  • जब कोई भी इंसान लम्बे समय तक वेंटीलेटर पर रहता है तो ऐसी स्थिति में मरीज के फेफड़े डैमेज होने की संभावना रही है|
  • वेंटीलेटर लगे हुए इंसान में वोकल कोर्ड डैमेज, नुमोथोरिक्स और स्किन इन्फेक्शन इत्यादि परेशानी भी देखने को मिल सकती है|
  • वेंटीलेशन की वजह से कई बार मरीज के फेफड़े पर ऑक्सीजन ज्यादा दबाव पढ़ने की वजह से मरीज के फेफड़े भी फूल सकते हैं।
  • जितने भी इंसान वेंटीलेटर का इस्तेमाल करते है उन सभी मरीजों में से लगभग 3 प्रतिशत मरीजों में ग्यावारी सिन्ड्रोम नामक बिमारी देखने को मिलती है और इस बिमारी की वजह से अधिकतर मरीज के शरीर का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है|

निष्कर्ष –

ऊपर आपने वेंटीलेटर के बारे में जानकारी प्राप्त की, हम उम्मीद करते है की आपको हमारे लेख वेंटीलेटर क्या है? (ventilator kya hota hai) वेंटीलेटर के फायदे और नुक्सान में दी गई जानकारी पसंद आई होगी | हमारे इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करके ऐसे लोगो तक पहुँचाने में मदद करें जिन्हे वेंटीलेटर के बारे में जानकारी ना हो|

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