Shivratri Kyu Manaya Jata Hai? महा शिवरात्रि पूजा विधि इन हिंदी

Shivratri Kyu Manaya Jata Hai?: महाशिवरात्रि का दिन सभी हिन्दू धर्म के लोगो के लिए बेहद खास होता है, हिन्दू धर्म के तीन प्रमुख देवताओ में से एक है भगवान शिव, महाशिवरात्रि दिन भगवान शिव को समर्पित होता है| आमतौर पर अधिकतर इंसान महाशिवरात्रि के बारे में अच्छी तरह से जानते है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हे महाशिवरात्रि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है| अगर आपको भी महा शिवरात्रि के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित होने वाला है क्योंकि हम अपने इस लेख में महाशिवरात्रि से सम्बंधित महत्पूर्ण जानकारी जैसे महा शिवरात्रि की कथा, महा शिवरात्रि कब मनाई जाती है? और महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (shivratri kyu manaya jata hai) इत्यादि| चलिए सबसे पहले हम आपको महाशिवरात्रि क्या है? के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

महाशिवरात्रि क्या है? Mahashivratri kya hai?

हिन्दू धर्म के प्रमुख भगवान शिव के सम्मान में महा शिवरात्रि का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने पूरी दुनिया को बचाने के लिए विष पिया था| अधिकतर लोगो का यह मानना है की महाशिवरात्रि के दिन जो भी पुरुष या महिला सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से व्रत रखता है उसकी मनोकामना बहुत जल्द पूर्ण हो जाती है| चलिए अब हम आपको बताते है की महा शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (shivratri kyu manaya jata hai)

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (shivratri kyu manaya jata hai )

ऊपर आपने पढ़ा की महाशिवरात्रि क्या है? कुछ लोगो के मन में यह सवाल रहता है की महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (shivratri kyu manaya jata hai) तो हम आपको बता दें महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं है। फाल्गुनी कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, महाशिवरात्रि का पर्व लगभग पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है| महाशिवरात्रि को लेकर लोगो के अलग अलग मत है कुछ लोगो का मानना है महाशिवरात्रि के दिन ही सम्पूर्ण सृष्टि का जन्म हुआ था, कुछ लोगो का मानना है की महाशिरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती जी का विवाह हुआ था| साल में 12 शिवरात्रि आती है लेकिन इन सभी में महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि माना जाता है। कुछ लोगो का मानना है की महाशिवरात्रि केदिन समुद्र मंथन में से हलाहल विष निकला था, इस विष से सम्पूर्ण ब्रह्मांड नष्ट हो जाता, पूरे ब्रह्माण्ड को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और सभी को बचा लिया| उसी दिन से सभी भक्त भगवान शिव के सम्मान और आराधना के लिए उपवास रखते है और महाशिवरात्रि के दिन को धूमधाम से मनाते है। चलिए अब हम महाशिवरात्रि मनाने के पीछे की कथा के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है 

महाशिवरात्रि की कथा (MahaShivaratri Katha in Hindi)

शिवरात्रि से जुडी कई सारी पौराणिक कथाएं (shivratri kyu manaya jata hai) है, उनमे से एक पौराणिक कथा के बारे में हम आपको बता रहे है, यह कथा शिव पुराण से ली गई है और यह कथा सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है, प्राचीन समय एक गुरुद्रुह नाम का शिकारी अपने परिवार के साथ रहता था| अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए जंगली जानवरों का शिकार किया करता था, एक बार महाशिवरात्रि के दिन गुरुद्रुह जंगली जानवर का शिकार करने के लिए जंगल की और गया| लेकिन पूरे दिन जंगल में खोजने के बाद भी उस शिकारी को कोई भी जंगली जानवर नहीं मिला, शिकार ना मिलने की वजह से शिकारी बहुत ज्यादा परेशान हुआ| शिकारी जनता था की अगर उसे शिकार नहीं मिला तो उसके पूरे परिवार को भूखा रहना होगा, यहीं बात सोचकर शिकारी सूर्यास्त होने पर भी घर वापिस नहीं गया| शिकारी एक जलाशय के पास पहुँचा और जलाशय मे से थोड़ा सा पानी लेकर घाट के किनारे पर लगे एक पेड़ पर चढ़ गया, शिकारी को पूरी उम्मीद थी की जलाशय के पास कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने ज़रूर आयेगा और ताहि वो उस जानवर का शिकार कर लेगा| समय की बात देखिए जिस पेड़ पर शिकार चढ़ा था वो बेल-पत्र का पेड़ था और उस बेल पत्र के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग भी मौजूद था, शिकारी इन सभी बातो से अंजान था वो बस शिकार का इन्तजार कर रहा था| शिकारी पेड़ पर बैठा पेड़ के पत्ते तोड़ता नीचे गिरा देता और बीच में पानी भी पीता था, रात्रि का पहला पहर चल रहा था तभी जलाशय पर पानी पीने एक हिरणी अपने बच्चो के साथ पहुंची, हिरणी को देख शिकारी खुश हुआ और उसने हिरणी का शिकार करने के लिए अपना धनुष बाण उठाया, धनुष बाण उठाने और निशाना साधने में शिकारी से कुछ पत्ते और जल की कुछ बूंदे पेड़ के नीचे बने शिवलिंग पर जाकर गिर गई, जिस वजह से अंजाने में शिकारी के द्वारा पहले प्रहर की पूजा पूर्ण हो गई, पेड़ पर हुई हलचल से हिरणी ने घबरा कर पेड़ की तरफ देखा और शिकारी से हिरणी बोली मुझे मत मारो| हिरणी के बात सुनकर शिकारी ने अपनी स्थिति बताई की वो और उसका परिवार सुबह से भूखा है, ऐसे में वो उस हिरणी को कैसे छोड़ सकता है? शिकारी की बात सुनकर हिरणी ने कहा वह अपने बच्चों को अपने स्वामी के पास छोड़ कर वापिस उसके पास आ जाएगी, तब वो उसका शिकार करके अपना और अपने परिवार का पेट भर लें| शुरुआत में शिकारी हिरणी की बात पर विश्वास नहीं कर आया लेकिन बाद में हिरणी की बातो से प्रभावित होकर उसने हिरणी को जाने दिया| हिरणी के जाने के बाद शिकारी फिर से शिकार का इन्तजार करने लगा, रात के दूसरे पहर में एक और हिरणी पानी पीने जलाशय के पास आई, शिकारी पहले की तरह ही धनुष बाण से तीर सांधने लगा| ऐसे में एक बार फिर अनजाने में कुछ बेलपत्र और थोड़ा जल नीचे शिवलिंग पर जाकर गिरे, जिसकी वजह से शिकारी की दूसरे प्रहर की पूजा भी पूर्ण हो जाती है, पेड़ पर हलचल देख हिरणी घबरा कर पेड़ की तरफ देखती है और शिकारी से याचना करते हुए कहती है की मुझे मत मारो क्योंकि मैं गर्भवती हूँ ऐसे में तुम्हे दो हत्याओ का पाप लगेगा, इसीलिए मैं तुमसे वादा करती जल्द ही अपने बच्चे को जन्म देने के बाद मैं तुंम्हारा पास आ जाउंगी तब तुम मेरा शिकार कर लेना| हिरणी ने शिकारी से कहा की वचन दे कर पलटने वाले का पुण्य नष्ट हो जाता है, हिरणी के वचन पर शिकारी ने भरोसा किया और हिरणी को जाने दिया|

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हिरणी के जाने के बाद शिकारी यह सोचकर परेशान था की अब उसके परिवार का क्या होगा, यही सोचते सोचते रात्रि का तीसरा पहर शुरू हो गया, तभी उसे एक हिरण जलाशय की तरफ आता हुआ दिखा, शिकारी ने हरण का शिकार करने के लिए एक बार फिर धनुष पर बाण चढ़ाया, अंजाने में बेल पत्र और जल की बूंदे गिरने से तीसरे प्रहर की पूजा भी पूर्ण हो जाती है, हिरण ने शिकारी से पूछा की तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो तो शिकारी ने उसे बताया की मैं अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए तुम्हारा शिकार करूँगा, शिकारी की बात सुनकर हिरण ने खुश हो कर कहा की मेरा जीवन धन्य हो गया क्योंकि मेरा शरीर तुम्हारे और तुम्हारे परिवार का पेट भरने के काम आएगा| हिरण ने शिकारी से कहा की वो उसे कुछ समय के लिए जाने दें, वो अपने परिवार से आखिरी बार मिलना चाहता है, परिवार से मिलने के बाद वो वापिस आ जाएगा, शिकारी ने कहा की तुमसे पहले भी जानवर वापिस आने की बात बोलकर चलेगए, लेकिन अभी तक उनमे से कोई भी वापिस नहीं आया| हिरण ने कहा की सामर्थ्य होते हुए भी दूसरे का उपकार नहीं करना सबसे बड़ा पाप है अगर मैं वापिस नहीं आता हूँ तो वो पाप मुझे लगेगा, शिकारी हिरण की बात से प्रभावित हुआ और उसने हिरण को जाने दिया|

शिकारी एक बार फिर इन्तजार करने लगा, रात्रि का अंतिम प्रहर शुरू हो गया तभी शिकारी ने देखा उसने जितने हिरण और हिरनियो को जीवन दान दिया था वो सभी अपने बच्चो सहित उसकी तरफ आ रहे है| शिकारी बहुत ज्यादा खुश हो गया, उसने एक बार फिर धनुष पर बाण चढ़ाया और इस बार भी पहले की तरह बेल पत्र और पानी नीचे शिवलिंग पर गिरा अंजाने में शिकारी के द्वारा रात के चौथे पहर की पूजा भी पूर्ण हो गई| चौथे पहर की पूजा पूर्ण होने के बाद भगवान शिव की कृपा से शिकारी के पाप धूल गए और शिकारी के मन में ख्याल आया की धन्य हैं यह पशु जो ज्ञानहीन होने के बाद भी परोपकार कर रहे है| दूसरी तरफ मैं हूँ जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए अनेक प्रकार के कुकृत्यों कर रहा हूँ, ऐसे बहुत सारे विचारो के चलते शिकारी ने धनुष बाण को हटाया और सभी हिरण हिरनियो से को वापिस जाने के लिए कहा| उसके बाद पेड़ के नीचे मौजूद भगवान शंकर उस शिकारी से बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने दिव्य स्वरूप के दर्शन उस शिकारी को करवाएं और शिकारी को सुख-समृद्धि का वरदान दिया| 

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शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?

कुछ लोग सोचते है की शिवरात्रि और महाशिवरात्रि एक ही होती है हालाँकि यह सच नहीं है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि अलग अलग होती है| अगर आपको शिवरात्रि और महाशिरात्रि में अंतर के बारे में जानकारी नहीं है तो हम आपको बताते है दरसल शिवरात्रि हर एक महीने में एक बार अर्थात साल में 12 बार आती है, दूसरी तरह महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है| महा शिवरात्रि को शिव की महान रात भी कहा जाता है और इसी दिन भगवान शिव और पार्वती जी के विवाह का प्रतीक भी माना जाता है। चलिए अब हम आपको महाशिवरात्रि का मतलब या अर्थ क्या होता है

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अर्थ क्या है?

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बारे में तो आप समझ ही गए होंगे, चलिए अब हम आपको शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के मतलब के बारे में बताते है| शिवरात्रि शब्द दो शब्दों शिव और रात्रि से मिलकर बना है, शिव का मतलब होता है भगवान शिव और रात्रि का मतलब होता है रात, शिवरात्रि का अर्थ है भगवान शिव की रात|

महा शिवरात्रि शब्द तीन शब्दों अर्थात महा+शिव+रात्रि से मिलकर बना है, जहाँ पर महा का मतलब होता है महान या भव्य, शिव मतलब भगवान शिव और रात्रि मतलब रात, इसीलिए महाशिवरात्रि का मतलब होता है भगवान शिव को समर्पित भव्य रात| चलिए अब हम आपको बताते है की महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है 

महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है ? (mahashivratri kyu manate hai)

यह तो आप समझ ही गए होंगे की महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है, लेकिन कुछ लोगो के मन में यह सवाल रहता है की महाशिवरात्रि कब आती है? तो हम आपको बता दें की महा शिवरात्रि हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल माघ महीने की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। दूसरी तरफ अगर हम अंग्रेजी महीने की बात करें तो आमतौर पर महाशिवरात्रि फरवरी या मार्च के महीने में आती है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार तारीख हर साल बदलती रहती है|

महा शिवरात्रि का व्रत करने के फायदे

महा शिवरात्रि के दिन लगभग सभी हिन्दू पुरुष और महिला व्रत रखते है, यह दिन बहुत ज्यादा शुभ होता है और इस दिन व्रत करने से और भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करने से आपकी मनोकामना बहुत जल्द पूर्ण होती है| चलिए अब हम आपको महा शिवरात्रि के दिन व्रत करने के लाभों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है 

  1. जो भी पुरुष या महिला महाशिवरात्रि का व्रत रखता है और सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करता है, उस इंसान के पिछले पापो या बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है|
  2. महाशिवरात्रि के दिन पूजा और व्रत करने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मोक्ष और मुक्ति की प्राप्ति होती है|
  3. विवाहित महिलाओं को वैवाहिक आनंद और समृद्ध पारिवारिक जीवन मिलता है
  4. अविवाहित महिलाओ के लिए भी शिवरात्रि का दिन बेहद खास होता है, इस दिन अविवाहित लड़कियां अपने लिए आदर्श पति की प्राप्ति के लिए पूजा और व्रत रखती हैं|
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महाशिवरात्रि के दिन उपवास कैसे रखें?

महाशिवरात्रि के दिन लगभग सभी हिन्दू महिला और पुरुष व्रत रखते है लेकिन कुछ लोगो को समझ में नहीं आता है की शिवरात्रि का व्रत किस प्रकार रखा जाता है? तो नीचे हम आपको 5 प्रकार के व्रत के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है, आप अपने शरीर और स्थिति के अनुसार कोई सा भी व्रत रख सकते है| लेकिन एक बात का हमेशा ख्याल रखें की व्रत चाहते आप किसी भी प्रकार का रखें लेकिन भगवान में आपकी आस्था और श्रद्धा पूर्ण रूप से होनी चाहिए, नीचे हम आपको उपवास के प्रकार के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है   

  1. आप पूरे दिन बिना खाना और पानी के व्रत भी रख सकते है|
  2. इस तरह के व्रत में इंसान पूरे दिन केवल पानी पी सकता है|
  3. आप चाहे तो फलों के रस और सूप इत्यादि तरल पदार्थो का सेवन करके भी व्रत रखा जा सकता है|
  4. आप केवल फलों और तरल पदार्थों पर व्रत रख सकते है|
  5. आप चाहे तो बिना अनाज के हल्के भोजन का सेवन करके भी व्रत रख सकते है|

महाशिवरात्रि के व्रत में किन चीजों का सेवन कर सकते है?

कुछ पुरुष या महिला ऐसी भी होती है जिन्हे यह जानकारी नहीं होती है की महाशिवरात्रि के डिब उपवास में किन चीजों का सेवन कर सकते है? हालाँकि सबसे पहले तो आपको यह देखना है की आप शिवरात्रि पर कौन सा उपवास रख रहे है| आमतौर शिवरात्रि के व्रत में आप साबूदाना की खिचड़ी, कोटू के आटे की पूरी या पकोड़ी, सिंघाड़े का आटा, फल और जूस इत्यादि का सेवन कर सकते है| 

महा शिवरात्रि की पूजा विधि

महाशिवरात्रि का दिन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है, इसीलिए महा शिवरात्रि के दिन की पूजा का महत्व भी बहुत ज्यादा होता है| वैसे तो अलग अलग प्रदेश या अलग जाती के लोगो के यहां पूजा करने एक तरीका अलग अलग होता है| हम आपको एक आम तरीका बता रहे है, जिससे आपको यह जानकारी प्राप्त हो की महाशिवरात्रि पर पूजा कैसे की जाती है, महाशिवरात्रि की पूजा विधि निम्न प्रकार है

सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर फ्रेश होकर स्नान कर लें, स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़ें पहन कर आपके घर के आस पास जो भी भगवान शिव का मंदिर हो वहां पर चलें जाएं| आप चाहे तो घर पर भी भगवान शिव की पूजा कर सकते है|

  1. सबसे पहले भगवान शिव अर्थात शिवलिंग को स्वच्छ जल से नहलाया जाता है उसके बाद शिवलिंग को गंगाजल से नहलाते है|
  2. उसके बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाते है उसके बाद विभिन्न प्रकार के फूलों का आवरण शिवलिंग पर औढाया जाता है।
  3. उपरोक्त काम आमतौर पर मंदिर के पंडित जी कर देते है, उसके बाद बेलपत्र, पान के पत्ते, दूध, बेर, शहद, बेल के पत्ते और विभिन्न प्रकार के फूलों और फलों से भगवान शिव को भोग लगाते है|
  4. पूजा में आप अपनी श्रद्धा के अनुसार मिठाइयां रख सकते है|
  5. पूजा अर्चना के बाद मंदिर में भक्तो के द्वारा भगवान शिव के भजनों को गाया जाता है|

निष्कर्ष –

हम आशा करते है की आपको हमारे लेख में महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (shivratri kyu manaya jata hai) | महाशिवरात्रि की कथा दी गई जानकारी पसंद आई होगी, हालाँकि शिवरात्रि के बारे में सभी लोग अच्छी तरह से जानते है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हे इस दिन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है, इसीलिए हमारे लेख को शेयर करके ऐसे लोगो तक हमारा यह पहुँचाने में मदद करें|

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