Samvidhan Kya Hai (संविधान किसे कहते हैं): भारतीय संविधान की प्रस्तावना

Samvidhan Kya Hai?: संविधान का नाम तो सभी जानते है लेकिन कुछ इंसान ऐसे होते है जिन्हे संविधान का नाम तो पता होता है लेकिन संविधान क्या होता है? के बारे में जानकारी नहीं होती है| किसी भी देश को सुचारु और अच्छे तरीके से चलाने के लिए संविधान का होना बहुत ज्यादा जरुरी है| आसान भाषा में समझे तो यह तो हम सब अच्छी तरह से जानते है की एक निश्चित समय अंतराल पर देश की सरकार बदलती रहती है, लेकिन क्या आप जानते है की सरकार किस नियम के अनुसार बदलती है, सरकार कैसे बनती है, सरकार के अधिकार क्या है? आम नागरिको के अधिकार क्या है? ऐसे बहुत सारे सवालों का जवाब है की देश में सरकार से लेकर आम नागरिक के अधिकार और देश चलाने के लिए जरुरी नियम इत्यादि सभी चीजे संविधान में लिखी होती है| किसी भी देश को बिना संविधान के बिना चलाना काफी ज्यादा मुश्किल होता है,

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संविधान क्या है? (Samvidhan Kya Hai) / संविधान किसे कहते हैं?

आखिर संविधान कया होता है?( samvidhan kya hota hai) काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल रहता है, दरसल संविधान को आप एक तरह का दस्तावेज भी कह सकते है| किसी भी देश को चलाने के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण दस्तावेज को संविधान कहा जाता है, संविधान में अलग अलग तरह विधि-विधान लिखे होते है और संविधान में लिखे हुए कानून किसी भी देश के शासन का आधार होने के साथ साथ देश के भविष्य का निर्धारण भी करते हैं, भारतीय संविधान को विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान कहा जाता है।

आसान शब्दों में समझे तो किसी भी देश की न्याय व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था और देश के समस्त नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए संविधान का निर्माण किया जाता है, संविधान में देश के मौलिक कानून होते है जो देश की सरकार के अलग अलग भागों के कार्य का निर्धारण करने के साथ साथ उनकी रूपरेखा तय करने में मदद करता है।

संविधान का अर्थ क्या होता है?

यह तो आप समझ ही गए होंगे की किसी भी देश का संचालन संविधान के द्वारा ही होता है, सरल भाषा में समझे तो संविधान का अर्थ होता है नियमों और कानूनों का एक ऐसा संग्रह है जिनकी मदद से देश को सही तरीके से चलाने के दिशानिर्देश लिखे होते है| देश के नागरिको को कौन कौन से अधिकार प्राप्त होते है इसकी जानकारी भी संविधान में लिखी होती है|

भारतीय संविधान क्या होता है? / Bharat Ka Samvidhan in Hindi

भारतीय संविधान एक लिखित दस्तावेज के रूप में मौजूद है, भारतीय संविधान में भारत के प्रशासन को चलाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश लिखे हुए है| भारत में रहने वाला कोई भी शख्स या सरकार भारतीय संविधान में लिखे हुए कानूनों का उल्लंघन नहीं कर सकती है। संविधान में क्रेंद्र अथवा राज्य सरकार के लिए दिशा निर्देश दिए गए है जिससे राज्य और केंद्र सरकार प्रशासन की शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकती है। भारतीय संविधान के संरक्षण की जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी गई है, जिसकी वह से केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए किसी भी कानून की समीक्षा सर्वोच्च न्यायालय ही करता है| अगर सर्वोच्च न्यायालय को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा बनाए गए किसी कानून को संविधान के दिशा निर्देशों के विपरीत लगती है तो इस स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय उस कानून को निरस्त या समाप्त कर सकती है।

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भारतीय संविधान के कार्य

ऊपर आप भारतीय संविधान के बारे में पढ़ा, अब हम आपको भारतीय संविधान के प्रमुख कार्यो के बारे जानकारी उपलब्ध करा रहे है| भारतीय संविधान के कुछ कार्य निम्न प्रकार है  

1 – भारतीय संविधान का प्रमुख कार्य सरकार के उद्देश्यों को स्पष्ट करना होता है।

2 – संविधान ही शासन की संरचना को स्पष्ट करता है।

3 – भारतीय संविधान नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करता है।

4 – भारतीय संविधान का कार्य राज्य को वैचारिक समर्थन और वैधता प्रदान करना है।

5 – संविधान का कार्य है देश में रहने वाले सभी नागरिको को समानता का अधिकार प्रदान करना है|

6 – संविधान के कार्य संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार प्रदान करना होता है|

भारतीय संविधान के प्रकार (Types Of Indian Constitution In Hindi)

काफी सारे इंसानो को संविधान के बारे में तो पता होता है लेकिन उन्हें या नहीं पता होता है की संविधान के कितने प्रकार होते है| संविधान को चार तरह से वर्गीकृत किया गया है, चलिए अब हम आपको संविधान के वर्गीकरण के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

1 – केंद्र राज्य सबंध आधारित प्रकार

  • परिसंघीय संविधान
  • संघीय संविधान
  • एकात्मक संविधान  

2 – विधायिक और कार्यपालिका सबंध आधारित प्रकार

  • संसदीय प्रणाली
  • राष्ट्रपति प्रणाली

3 – परिवर्तनशीलता आधारित प्रकार

  • लचीलापन
  • कठोर

4 – निर्माण प्रक्रिया आधारित प्रकार

  • लिखित संविधान
  • अलिखित संविधान

लिखित संविधान क्या होता है?

लिखित संविधान के बारे में आपको  इसके नाम से ही अंदाजा लग रहा होगा की यह एक लिखित औपचारिक दस्तावेज होता है, जिसमे संवैधानिक समझौते की प्रकृति, राजनीतिक व्यवस्था को कंट्रोल करने वाले नियमों के साथ साथ आम नागरिकों और सरकारों के अधिकारों को एक संहिताबद्ध रूप में परिभाषित या लिखा होता है। लिखित संविधान की सबसे अच्छी बात यह है की इसमें अधिकतर या लगभग सभी चीजें लिखी होती है, लिखा हुआ होने की वजह से इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ होना मुश्किल है| संविधान सभा के द्वारा किसी विशेष समय पर लिखित संविधान का निर्माण किया जाता है, किसी भी देश को अच्छी और सही तरीके से संचालित करने के लिए लिखित संविधान सबसे बेहतर होता है| किसी भी देश का सर्वोच्च कानून संविधान ही होता है और संविधान को ना मानने वाले या उल्लंघन करनें वालो को गैर संवैधानिक कहा जाता है।

अलिखित संविधान क्या है?

ऊपर आपने लिखित संविधान के बारे में पढ़ा, अब हम आपको अलिखित संविधान के बारे में बताने जा रहे है| अलिखित संविधान में लिखित रूप में कुछ नहीं होता है और अलिखित संविधान ऐसे विचार या नियमों,  रीति-रिवाजों अथवा लोक- प्रथाओं और परंपराओं के समूह को कहा जाता है जिनकी मदद से देश की शासन व्यवस्था चलती है। अलिखित संविधान में कोई भी नियम लिखा नहीं होता है और ना ही उनका मतलब स्पष्ट रूप से किसी को पता होता है और ना ही कोई भी शासन संचालन व्यवस्था के बारे लिखा होता है, इसीलिए ऐसे देश जिनमे लिखित संविधान नहीं होता है वहां पर समय समय पर नियमो में बदलाव होते रहते है| अलिखित संविधान वाले देश की बात करें तो ब्रिटेन का संविधान अलिखित है, लेकिन ब्रिटेन देश के संविधान का कुछ भाग लिखित रूप से मौजूद हैं। ब्रिटिश देश का संविधान अलिखित होने की वजह से संविधान का प्रारूप या नियम निरंतर बदलते रहते है।

भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं / Bhartiya samvidhan ki visheshta

हर देश के संविधान की अपनी अलग खासियत या विशेषता होती है, संविधान की मदद से उस देश की सम्पूर्ण व्यवस्था के बारे में जानकारी मिलती है| किसी भी देश के मौलिक कानून से लेकर सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण संविधान के द्वारा ही होता है| संविधान इसके अलावा सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करने का काम करता है। भारत के संविधान का निर्माण एक विशेष संविधान सभा ने किया था और इस संविधान की खासियत बहुत ज्यादा है, चलिए अब हम आपको भारतीय संविधान की खासियत या विशेषता के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है 

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1 – दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान

अगर आप यह सर्च कर रहे है की दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान कौन से देश का है? तो आपको इस सवाल का जवाब जानकर बेहद ख़ुशी होगी क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान या विश्व का सबसे लम्बा लिखित संविधान भारत का है| भारत के संविधान को 26 जनवरी वर्ष 1950 को लागू किया गया था, आज के समय में भारतीय संविधान में कुल 450 अनुच्छेद जो 24 भागों में विभक्त हुए है और 12 अनुसूचियां,  एक प्रस्तावना तथा 5 परिशिष्ट मौजूद हैं। भारतीय संविधान के इतना बड़ा होने के पीछे का मुख्य कारण भारत का भौगोलिक क्षेत्र को माना जाता है, भारत का भौगोलिक क्षेत्र 32, 88, 263 वर्ग किलोमीटर के करीब है। 

2 संविधान में लचीलेपन और कठोरता का समावेश

भारतीय संविधान की दूसरी खासियत या विशेषता इसकी कठोरता और लचीलापन है, भारतीय संविधान को कठोरता और लचीलेपन के मिश्रण का सबसे अच्छा और अनूठा उदाहरण माना जाता है। भारतीय संविधान ना अमेरिका, फ़्रांस, जापान और स्विट्जरलैंड जैसे देशो की तरह ना तो बहुत ज्यादा कठोर दिखाई देता है और भारतीय संविधान ना ही ब्रिटेन व इजरायल की तरह बहुत ज्यादा लचीला दिखाई देता है बल्कि देश का संविधान लचीलेपन और कठोरता का विचित्र और अनूठा मिश्रण है जो किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलता है| भारतीय संविधान में संशोधन के लिए भी एक निश्चित प्रक्रिया होती है जो ना तो बहुत ज्यादा कठोर होती है और ना ही बहुत ज्यादा लचीली होती है। अगर आपको भारतीय संविधान में कोई संशोधन करना है तो सदन के दोनों सदनों के कुल सदस्यों तथा प्रत्येक सदन के दो तिहाई सदस्यो का उपस्थित होना जरुरी है, सदस्यो की उपस्थिति में मतदान के द्वारा भारतीय संविधान में किए जा रहे संशोधन को पारित कर दिया जाता है। 

3 अलग अलग स्रोतों से निर्मित संविधान

अगर भारतीय संविधान को पड़ेंगे तो आपको महसूस होगा की इस संविधान में विदेशी संविधान की झलक भी देखने को मिलती है, दरसल भारत के संविधान को बनाने में देश और विदेश के संविधानो की मदद ली गई है| लेकिन भारतीय संविधान में सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का देखने को मिलता है, भारत सरकार अधिनियम 1935 के लगभग 250 अनुच्छेद भारतीय संविधान में देखने को मिलते है, भारत सरकार अधिनियम 1935 के अलावा दुनिया के लगभग 60 देशो के संविधान के प्रावधानों को भी भारतीय संविधान में शामिल करा गया है।

4 भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है

यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते है की भारत में अलग अलग धर्मो के लोग एक साथ रहते है, सभी अलग अलग धर्म और धर्म के लोगो को भारत में एक समान संरक्षण और समर्थन मिलने की वजह से धर्मनिरपेक्ष देश कहा जाता है| धर्मनिरपेक्ष देश में सरकार अपने देश के सभी नागरिकों के साथ एक जैसा व्यवहार और एक समान अवसर उपलब्ध कराती है, सरकार को इस बात से मतलब नहीं है की देश का नागरिक किसी भी धर्म या जाती का क्यों ना हो|

5 सरकार का संसदीय स्वरूप

भारतीय संविधान के हिसाब से भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप कहा जाता है। भारत में संसदीय प्रणाली का अर्थ उस लोकतांत्रिक शासन प्रणाली से होता है जिसमे कार्यपालिका अपनी लोकतान्त्रिक वैधता संसद के द्वारा प्राप्त होती है| देश में लोकसभा और राज्य सभा वाली संसद या विधायिका मौजूद है, भारत की संसदीय प्रणाली में कार्यकारी विधायिका कानून लागू करने और उसे बनाने में अहम् भूमिका निभाते हैं और भारत में सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री ही होता है।

6 एकल नागरिकता

हालाँकि भारतीय संविधान संघीय होता है और भारतीय संविधान में केंद्र और राज्य को जगह दी गई है, लेकिनइस संविधान में सिर्फ एकल नागरिकता की व्यवस्था लागू की है| अकाल नागरिकता का मतलब है केवल भारतीय नागरिकता, दुनिया के काफी सारे देशो में दोहरी नागरिकता लेने का प्रावधान है, सरल भाषा में समझे दोहरी नागरिकता वाले देशो में रहने वाले इंसान एक साथ दो देशो की  नागरिकता ले सकता है| वर्ष 2005 से ऐसे भारतीय नागरिक जो  अप्रवासी है और भारतीय व्यक्तियों को दी जाने वाली समुंद्र पारी नागरिकता को किसी भी तरह से दोहरी नागरिकता नहीं माना जाएगा और इस तरह की नागरिकता प्राप्त इंसान को देश में किसी भी प्रकार का राजनीतिक तथा सार्वजनिक पद पाने का अधिकार नहीं है|

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7 एकीकृत और स्वतंत्र न्यापालिका

भारतीय संविधान की एक खासियत एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली भी है, इस प्रणाली के अनुसार भारत का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट होता है। सुप्रीम कोर्ट का देश के सभी न्यायालयों पर अधिकार होता प्राप्त है। भारतीय संविधान में न्यायपालिका की रक्षा के लिए भी कई प्रावधान को बनाया गया हैं।

8 मौलिक कर्तव्य

भारतीय संविधान की एक विशेषता है सभी नागरिको के मौलिक कर्तव्य, देश के संविधान में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) के अंतर्गत संविधान में मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया था। आम भाषा में आप ऐसे समझ सकते है की भारतीय संविधान में भारत में रहने वाले सभी लोगो के कुछ मौलिक कर्तव्य है जो इंसान के धर्म, भाषा और प्रदेश या जाती इत्यादि तरह के सभी भेदभाव से दूर हो, इसके अलावा देश में ऐसी प्रथाओं का त्याग करना भी है जो महिलाओ के सम्मान के विरुद्ध होते हैं।

9 आपातकाल के लिए प्रावधान

अगर देश में कभी भी किसी भी कारण से देश में आपातकाल लगाने की जरुरत पड़ती है तो भारत के राष्ट्रपति देश की स्थिति को देखते आपातकाल की घोषणा कर सकता है| हालाँकि देश में आपातकाल की घोषणा करने से पहले राष्ट्रपति को कैबिनेट से लिखित रूप में सिफारिश लेने की जरूरत होती है, अगर केबिनेट आपातकाल लगाने की सिफारिश को मंजूर नहीं करती है तो देश में आपातकाल नहीं लगाया जा सकता है| आप ऐसे भी कह सकते है की भारत का राष्ट्रपति अपनी मर्जी से आपातकाल की घोषणा नहीं कर सकता है, देश में अगर आपातकाल घोषित हो जाता है तो इस स्थिति में देश के सभी राज्य पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के अधीन हो हो जाते है। गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए देश के कुछ राज्यो में या सम्पूर्ण देश में आपातकाल लगाया जा सकता है।

10 सार्वभौम व्यस्क मताधिकार

भारतीय संविधान की एक सबसे अच्छी विशेषता सार्वभौम व्यस्क मताधिकार भी है, जिसका मतलब भारत में रहने वाले ऐसे वयस्क जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होती है| उन सभी को अपनें मताधिकार का प्रयोग करनें का अधिकार मिलता है, इसमें उस इंसान की जाति, धर्म, लिंग, वंश और साक्षरता इत्यादि को लेकर किसी भी तरह का भेद भाव नहीं किया जाता है| सरल भाषा में आप ऐसे भी समझ सकते है भारत में रहने वाला पुरुष या महिला जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, वो चाहे किसी भी जाती, धर्म, लिंग और शिक्षित हो या ना हो शिक्षा इत्यादि चीजों का भेदभाव किए बिना वो मत दे सकता है| वर्तमान समय की बात करें तो दुनिया के अधिकतर देशों में सार्वभौम व्यस्क मताधिकार की व्यवस्था लागू की गई है, सार्वभौम व्यस्क मताधिकार लागू करने की मुख्य वजह सामाजिक असमानता दूर करना होता है|

भारतीय संविधान में कुल कितने पेज है?

भारतीय संविधान के बारे में तो लगभग सभी अच्छी तरह से जानते है, लेकिन क्या आप जानते है की भारत के संविधान में कितने पेज है? दरसल भारतीय संविधान में कुल 551 पेज है।

भारतीय संविधान कब लागू हुआ था / Bharat ka samvidhan kab lagu hua?

काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल आता है की भारतीय संविधान कब लागू हुआ था? या भारतीय संविधान किस वर्ष में लागू हुआ था? दरसल भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 तक पूरा बन गया था लेकिन इसे भारत में लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था।

भारतीय संविधान बनाने में कितने लोग लगे थे?

जिस समय भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया था, उस समय सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 थी, लेकिन देश विभाजन और कुछ रियासतों के संविधान सभा में शामिल ना होने की वजह से संविधान सभा में कुल सदस्यों संख्या घटकर केवल 299 ही बची थी|

Samvidhan Sabha ke adhyaksh kaun the?

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद थे।

संविधान सभा के प्रमुख सदस्यो के नाम / Bharat ka samvidhan kisne likha

भारतीय संविधान सभा में कितने सदस्य थे इसके बारे में आप ऊपर पढ़ चुके है, अब हम आपको इस सभा के प्रमुख सदस्यो के बारे में बताते है, संविधान सभा के प्रमुख सदस्य का नाम है डॉ राजेन्द्र प्रसाद, भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आजाद। पपरमुख सदस्यो के अलावा भारत के लगभग सभी राज्यो, धर्मो और जातियों के भी कई सारे सदस्य शामिल थे।

Samvidhan Divas कब मनाया जाता है?

26 November

Samvidhan ki Prastavana

की प्रस्तावना

निष्कर्ष –

ऊपर आपने संविधान क्या है ? (samvidhan kya hai) और संविधान के बारे महत्वूर्ण जानकारी प्राप्त की है, अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो हमारे इस पेज को अधिक से अधिक शेयर करें|

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