शायद ही कोई इंसान हो जिसने पीएफआई का नाम ना सुना हो, लेकिन अधिकतर इंसान पीएफआई का नाम तो जानते है लेकिन उन्हें इसके बारे ज्यादा जानकारी नहीं होती है। ऐसे इंसान जिन्हे इस संगठन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है वो इंटरनेट पर इस संगठन के बारे में पीएफआई क्या है? पीएफआई का मकसद क्या है? और पीएफआई की स्थापना कब हुई है? इत्यादि लिखकर सर्च करते है। हालाँकि भारत में बहुत सारे मुस्लिम संगठन संचालित है, लेकिन पीएफआई आज के समय में बहुत ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के चर्चा में होने की मुख्य वजह देश में हिंसात्मक और विरोध प्रदर्शन में इस संगठन का नाम आना है। अगर आपको पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह लेख आपके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी होने वाला है, आज हम अपने इस लेख में आपको पीएफआई के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करा रहे है।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया वैसे तो पूरे देश में सक्रिय नजर आता है, लेकिन मुख्य रूप से यह संगठन केरल और कर्नाटक में ज्यादा एक्टिव दिखाई दे रहा है, हालाँकि संगठन के दावे बिलकुल नजर आते है। पीएफआई संगठन दावा करता है की पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया मुस्लिम और दलित समाज के हितों की रक्षा करने के लिए लड़ रहा है। संगठन धीरे धीरे राजनीती में भी अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहा है, संगठन ने कर्नाटक के स्थानीय निकाय चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतार चुकी है।
पीएफआई क्या है ? (pfi kya hai)
काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल रहता है की आखिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया क्या है (pfi kya hai) ? दरसल पीएफआई एक इस्लामिक संगठन है, जो आज देश के साथ साथ विदेश में भी फैला हुआ है। यह एक ऐसा संगठन है जो लगातार देश में हिंसात्मक कामो और प्रदर्शन में शामिल नजर आ रहा है, जिसकी वजह से लगातार इसे बैन करने की गुहार लगाई जा रही है। इस्लामिक कट्टर संगठन होने की वजह से इस संगठन से जुड़े सभी सदस्य इस्लाम धर्म को बढ़ाने पर फोकस करते हुए नजर आ रहे है, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का मुख्य उद्देश्य भी भारत को इस्लामिक राज्य बनाने की है। संगठन भारत में इस्लाम धर्म का प्रचार कर रहे है और अधिक से अधिक लोगो को इस्लाम धर्म के फायदे बताकर धर्म परिवर्तन की कोशिश कर रहे है, संगठन लगातार अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है। हिंसात्मक प्रदर्शन और अपने संगठन को चलाने के लिए पीएफआई भारत के साथ साथ कई सारे मुस्लिम देशो से फंड एकत्रित कर रहा है, जिसका इस्तेमाल लगातार भारत में विरोध प्रदर्शन करने के लिए किया जा रहा है। अलग अलग समय पर अलग अलग राज्यो में हुए हिंसात्मक कामो में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का नाम सामने आ रहा है, केंद्र सरकार इस संगठन पर काफी समय से नजर बनाए हुए थे। हाल ही में केंद्र सरकार ने संगठन की जांच पड़ताल की, जिसमे संगठन को विदेशो से पैसा मिलने के साथ साथ कई सारे आरोपों में लिप्त पाया गया। इसके अलावा देश अशांति फैलाने में भी इस संगठन का बड़ा हाथ नजर आ रहा है, इसीलिए केंद्र सरकार ने फिलहाल इस संगठन पर पांच साल का बैन लगाया है, जिससे देश में शान्ति बनी रहे।
PFI का फुल फॉर्म हिंदी में (PFI Full Form In Hindi)
पीएफआई के बारे में लगभग सभी जानते है लेकिन काफी सारे ऐसे लोग भी है जिन्हे पीएफआई की फुल फॉर्म नहीं पता होती है। चलिए अब हम पीएफआई की फुल फॉर्म हिंदी और इंग्लिश में बता रहे है।
PFI Full Form in Hindi – पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया
PFI Full Form in English – Popular Front of India
PFI की स्थापना किसने और कब की थी
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के बारे में आपने ऊपर पढ़ा, लेकिन क्या आप जानते है की पीएफआई की स्थापना कब हुई थी और पीएफआई की स्थापना किसने की थी? चलिए अब हम आपको बताते है की पीएफआई की स्थापना कब हुई थी, दरसल पॉपुलर फॉण्ट ऑफ़ इंडिया की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी, पीएफआई को केरल से संचालित किया जाता है और यह एक कट्टर इस्लामिक संगठन के रूप में जाना जाता है। आप सभी जानते होंगे की वर्ष 1992 में अबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया गया था, उसके बाद कुछ मुस्लिमो ने मिलकर एक संगठन बनाया जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गई और इसका नाम नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट रखा गया था। 1993 के बाद यह ग्रुप काफी एक्टिव रहने लगा और लगातार अपने संगठन को बढ़ाने की कोशिश करता रहा और वर्ष 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट का विलय पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में हो गया था, आज के समय में यह संगठन काफी बड़ा हो चूका है और इसकी जड़ें भारत के साथ साथ दुनिया के कई अलग अलग देशो में फैला हुआ है। चलिए अब हम आपको पीएफआई के चेयरमैन के बारे में बताते है।
पीएफआई का चेयरमैन कौन है ? Who is the chairman of PFI?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का चेयरमैन कौन है? यह एक ऐसा सवाल है जो काफी सारे लोगो के जहन में होता है, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का चेयरमैन ओमा सलाम है और उनका पूरा नाम मोहम्मद अब्दुल सलाम ओवनगल है। पीएफआई के चेयरमैन को ओएमए सलाम या ओमा सलाम के नाम से भी पुकारा जाता है, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन के इतिहास पर नजर डालें तो मोहम्मद अब्दुल सलाम भारत के केरल राज्य में बिजली विभाग का में नौकरी करते थे, अब्दुल सलाम को केरल राज्य बिजली बोर्ड ने उन्हें संदिग्ध गतिविधियों के आरोप में वर्ष 2020 में बिजली विभाग से निलंबित कर दिया था।
PFI पर कौन कौन से आरोप लगे
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया संगठन पर अलग अलग समय पर गंभीर आरोप लगे, जिसकी वजह से यह संगठन सुर्खियों में छाया रहा। हाल ही में पीएफआई काफी चर्च में रहा है चलिए अब हम आपको पीएफआई संगठन पर लगे कुछ आरोपों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
ISIS से सम्बन्ध – दुनिया में शायद ही कोई इंसान हो जिसे ISIS के बारे में जानकारी ना हो, ISIS ने दुनिया भर में आतंक की दुनिया में अपना अलग स्थान बना रखा है। भारत, अमेरिका इत्यादि देशो में अलग अलग समय पर कई सारे हमलो की जिम्मेदारी ISIS ने ली थी। पीएफआई की जांच में यह पाया गया था की पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया संगठन के संबंध ISIS से भी है और ISIS के इशारो पर PFI काम कर रही है। ऐसा माना जा रहा है की PFI के काफी सारे सदस्यो ने ने सीरिया और इराक में जाकर ISIS को ज्वाइन किया है।
लव जिहाद में अहम् रोल – आज के समय में लोव जिहाद के मामले काफी ज्यादा सुनाने को मिल रहे है, केरल में लव जिहाद के अधिकतर मामलो में जिसमे पीएफआई की भूमिका काफी अहम्सा दिखाई दी है। कुछ मामलो में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के सदस्य दोषी पाए गए है।
आरएसएस नेता की हत्या – केरल और कर्नाटक में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया काफी ज्यादा सक्रिय है, वर्ष 2016 में कर्नाटक में एक आरएसएस नेता रूद्रेश की हत्या की गई थी, जिसमे में पीएफआई का नाम भी चर्चा में रहा था।
सीएए-एनआरसी प्रदर्शन में संदिग्ध भूमिका – भारत में सीएए और एनआरसी का विरोध प्रदर्शन काफी ज्यादा चर्चाओं में रहा था, शाहीन बाग में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का ऑफिस भी है। सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले पीएफआई संगठन के लोग या इस संगठन के इशारे पर विरोध किया जा रहा है, जिसके बाद यूपी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस संगठन को पूरी तरह बैन करने की मांग भी उठाई थी, इसके बार वर्ष 2021 में असम सरकार ने भी भारत सरकार से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करा था।
किसान आंदोलन में भी संदिग्ध भूमिका – किसान आंदोलन काफी जोर शोर से हुआ था, हालांकि शुरुआत में तो सभी को लगा की आंदोलन सिर्फ किसानो का है लेकिन कुछ एजेंसियों का मानना है की किसान आंदोलन में पीएफआई की संदिग्ध भूमिका थी, हालाँकि इसके कोई पुख्ता सबूत मौजूद है या नहीं इसकी पुष्टि आधिकारिक रूप से नहीं की गई थी।
हिजाब विवाद में भी रही भूमिका – कुछ समय में कर्नाटक के स्कूल में हिजाब का विवाद हुआ था जो पूरे भारत में चर्चा का विषय बना रहा था। यह केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जब हिजाब विवाद के बारे में जांच पड़ताल की गई तो उसमे भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का नाम भी सामने आया था।
तब्लीगी जमात के साथ नाम जुड़ना – शायद ही कोई इंसान हो जो कोरोना के समय को कभी भी भूल पाएं, कोरोना काल जब अपने चरम पर पहुंचा था तब एक नाम बहुत ज्यादा चर्चा में रहा था वो है तब्लीगी जमात। दरसल उस समय दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज में एक मजहबी सम्मेलन आयोजित हुआ था, उस सम्मलेन के बाद कोरोना बहुत ज्यादा तेजी से बड़ा था, ऐसे में उस संगठन को भी काफी दोषी माना जा रहा था। उस सम्मलेन में अहम् रोल पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का बताया गया था, ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामलो में तब्लीगी जमात के कई सारे नेताओं को दोषी पाया था, दरसल पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के नेताओ ने तब्लीगी जमात के सम्मलेन कराने के लिए धन उपलब्ध कराया था।
मंगलुरु में हिंसा में भी हाथ – दिसंबर वर्ष 2019 में कर्नाटक राज्य के मंगलुरु में सीएए का वीरोध करते हुए भीड़ उग्र हो गई थी। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पढ़ी, जिसमे दो लोगो की मौत भी हो गई थी, कुछ समय बाद जब मामला शांत हो गया तब पुलिस ने इस मामले का बड़ा खुलासा करते हुए यह दावा किया था कि उसे कई अहम साबुत मिले है जिससे इस विरोध में पीएफआई और एसडीपीआई का हाथ है। दरसल पुलिस ने संदिग्धों अबुबकर सिद्दीकी और मोइदीन हमीज को गिरफ्तार करके जाँच पड़ताल की थी जिसमे दोनों संदिग्ध का लिंक पीएफआई और एसडीपीआई से बताया गया था। जाँच में दोषी पाए जाने की वजह से सिद्दीकी और हमीज दोनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए सहित कई धाराओं में आरोप में सजा दी गई थी।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का मकसद क्या है?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया एक कट्टर मुस्लिम संगठन है, इसमें शामिल हर एक मुस्लिम अपने धर्म के प्रति कट्टर या बहुत ज्यादा वफादार होता है। काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल रहता है की आखिर यह संगठन बना क्यों या पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का मकसद क्या है? काफी सारे लोगो का मानना है की इस संगठन को बनाने का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम धर्म को बढ़ाना है। दरसल इंडिया टुडे के एक स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमे में PFI के संस्थापक सदस्यों से बातचीत की गई थी, जिनमे से एक सदस्य जिसका नाम अहमद शरीफ था उसने कहा था की हमारा मकसद भारत को जल्द से जल्द इस्लामिक स्टेट बनाना है।
पीएफआई कहाँ कहाँ फैली हुई है
आज के समय में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया भारत के लगभग सभी राज्यो में फैला हुआ है इसके अलावा विदेशो में भी फैला हुआ है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2047 तक पूरे भारत में अपने संगठन को फैलाना है, फिलहाल यह संगठन केरल, कर्नाटक, केरल, बिहार, तमिलनाडु, झारखंड और पश्चिम बंगाल इत्यादि में फैला हुआ है। अगर हम विदेशो में इस संगठन की बात करें तो पीएफआई पाकिस्तान, श्रीलंका, सऊदी अरब, ओमान, कुवैत, तुर्की, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, बहरीन और मॉरीशस इत्यादि देशो में फैला हुआ है। खाड़ी देशो पर नजर डालें तो वहां पर पीएफआई के तीन संगठन इंडियन सोशल फोरम, इंडियन फ्रेटरनिटी फोरम और रिहैब इंडिया फाउंडेशन मौजूद है, जो ईस्ट देशों से पीएफआई के लिए फंडिंग का इंतजाम करता है। पीएफआई को फंड कहाँ कहाँ से मिलता है इसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे है।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया को फंडिंग कहाँ से मिलती है?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया को फंड कहाँ से आता है? या पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का संचालन कैसे होता है? यह एक ऐसा सवाल है जो काफी सारे लोगो के मन में होता है। पीएफआई को फंड भारत के साथ दुनिया के कई सारे मुस्लिम देशो से पैसा मिलता है, भारत के कई सारे मुस्लिम बिजनेसमैन के आलावा मिडिल ईस्ट देशों से फंड प्राप्त हो रहा है, जिसका इस्तेमाल संगठन को मजबूत बनाने के साथ साथ विस्तार करने के लिए किया जाता है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया को जितना भी फंड मिल रहा है वो अधिकतर हवाले के जरिए प्राप्त होता है, इसीलिए संगठन को कितना पैसा मिल रहा है इसकी पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस संगठन को मिलने वाले फंड का इस्तेमाल जहांगीरपुरी में हुई हिंसा से लेकर यूपी के हाथरस कांड में होने के साथ साथ कई राज्यो में हिंसक प्रदर्शनों के लिए किया गया था, जांच में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के पश्चिमी यूपी के 73 बैंक खातों में 130 करोड़ रुपए से ज्यादा की फंडिंग मिली थी।
PFI पर बैन क्यों लगा
ऊपर आपने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के बारे में जानकारी प्राप्त की, लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने इस संगठन पर बड़ी कारवाई करते हुए पांच साल का बैन लगा दिया है। हालाँकि इस बैन का विरोध भी काफी लोग दबे पाँव करते हुए नजर आ रहे है और कुछ लोगो के मन में यह सवाल है की आखिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पर बैन क्यों लगाया गया है। दरसल पिछले कुछ सालो से केंद्र सरकार इस संगठन पर निगाह राखी हुई थी अलग अलग समय पर इस संगठन के खिलाफ कई सारे सबूत मिले है, देश में होने लगभग सभी बड़े बड़े हिंसात्मक प्रयास, दंगा और हत्याओं में इसी संगठन का नाम शामिल होता है। केंद्र सरकार ने इस सरकार को बैन करने का निर्णय एकदम से नहीं लिया है, काफी समय पहले से पीएफआई पर बैन लगाने की गुहार कई सारे लोग और राज्य भी कर चुके है। दिल्ली के शाहीनबाग में हुई हिंसा और धरना प्रदर्शन, कर्नाटक में हुई भाजपा नेता की हत्या, राजस्थान का करौली कांड इत्यादि हिंसात्मक कांडो में पीएफआई के तार जुड़े हुए नजर आए थे, जिसकी वजह से लगातार इस संगठन पर बैन लगाने की मांग हो रही थी।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के संचालन और फंडिंग पर भी सरकार की नजर बनी हुई थी, केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पर बैन लगाने के पीछे मुख्य वजह यह भी है की बैन लगाने के बाद इस संगठन को देश और विदेश से मिलने वाला पैसा बंद हो जाएगा और भविष्य में यह संगठन किसी भी हिंसात्मक प्रदर्शन में शामिल नहीं होगा और देश में शान्ति बनी रहेगी। यह संगठन अपने धर्म को बढ़ावा दे रहा था तो अब उससे भी निजात मिलेगी।
निष्कर्ष –
हम आशा करते है की आपको हमारे लेख पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया क्या है (pfi kya hai)? और पीएफआई की स्थापना कब हुई? में दी गई जानकारी पसंद आई होगी, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया एक ऐसा संगठन है जिसे लगातार बैन करने की मांग उठ रही थी। इस संगठन का नाम अधिकतर हिंसात्मक कामो में नजर आ रहा है। अगर आपको हमारे लेख में दी गई जानकारी पसंद आई है तो हमारे इस पेज को अधिक से अधिक शेयर करें।