Operating System Kya Hai: ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में आपने कभी ना कभी जरूर सुना होगा, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हे ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे ज्यादा जानकारी नहीं होती है| अगर आपको भी ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह लेख आपके लिए लाभकारी साबित होने वाला है क्योंकि आज हम आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में महत्वपूर्ण इनफार्मेशन उपलब्ध करा रहे है, चलिए सबसे पहले हम आपको ऑपरेटिंग सिस्टम क्या होता है?(operating system kya hai) के बारे में बताने वाले है
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? / Operating System Kya Hai in Hindi?
किसी भी कंप्यूटर को चलाने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है, अगर कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद नहीं है तो आप कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं कर सकते है| यही कारण है की जब भी कोई इंसान नया कंप्यूटर या लेपटॉप खरीदता है तो अबसे उसमे ऑपरेटिंग सिस्टम को अपलोड या इनस्टॉल किया जाता है| विंडोज के बारे में तो सभी बहुत अच्छी तरह से जानते ही है विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम है और बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर या लेपटॉप को ऑन नहीं किया जा सकता है| जब आप Keyboard से कोई भी कमांड या काम करते है तो ऑपरेटिंग सिस्टम आपके द्वारा दी गई Instruction को प्रोसेस करके आउटपुट को कंप्यूटर या लेपटॉप की स्क्रीन पर दिखाता है| मोबाइल में इस्तेमाल होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम को Android कहा जाता है| चलिए अब हम आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के कामो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रमुख कार्य
ऊपर आपने पढ़ा की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? (operating system kya hai) काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल भी होता है ऑपरेटिंग सिस्टम का काम कया है? या ऑपरेटिंग सिस्टम कौन कौन से काम करता है? चलिए अब हम आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रमुख कामो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
1 – Memory Management
आप सभी अच्छी तरह से जानते होंगे की कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी होती है, इन दोनों मेमोरी को मैनेज करने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम करता है| आसान भाषा में समझें जब कोई भी यूजर कंप्यूटर में कई सारी फाइलों को एक साथ ओपन करता है तो इस स्थिति में मेमोरी के ऊपर काफी ज्यादा लोड पढ़ता है, ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम निर्णय लेता है की कौन से प्रोग्राम को कितनी मेमोरी देनी है| इसके अलावा जब काम खत्म करके कंप्यूटर को बंद किया जाता है तब ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी को अपने पास स्टोर करके रख लेता है|
2 – Processor Management
ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी की तरह से प्रोसेसर को भी मैनेज करता है, जब कोई भी यूजर कंप्यूटर में कई सारे प्रोग्राम एक साथ ओपन करता है| ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्राम के अनुसार प्रोसेस करता है अर्थात ऐसे प्रोग्राम जो जल्दी खुल सकते है वो जल्दी खुलते है और कुछ प्रोग्राम को खुलने में थोड़ा समय लगता है| प्रोग्राम को ओपन करने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है| अगर आप यह जानना चाहते है की प्रोसेसर कौन कौन से काम कर रहा है या कोई काम नहीं कर रहा है तो इसके लिए आपको सबसे पहले CTRL + ALT + Delete का बटन दबाना है, इसके बाद आपके सामने टास्क मैनेजर खुलता है, टास्क मैनेजर में आपको प्रोसेसर का ऑप्शन दिखाई देता है जिस पर क्लिक करके आप आसानी से देख सकता है की प्रोसेसर कौन कौन से काम कर रहा है|
3 – Device Management
प्रोसेसर मैनेजमेंट को मैनेज करने के साथ साथ डिवाइस मैनेजमेंट को भी ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है| कंप्यूटर के अंदर कई तरह के डिवाइस और ड्राइवर मौजूद होते है जिन्हे ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है| कंप्यूटर के अंदर WiFI Driver, Bluetooth Driver, Sound Driver मौजूद होते है इन सभी को ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है इसके अलावा कुछ आउटपुट डिवाइस जैसे स्पीकर और प्रिंटर इत्यादि को भी ऑपरेटिंग सिस्टम ही मैनेज करता है|
4 – File management
यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते है की कंप्यूटर के अंदर बहुत सारी फाइलें मौजूद होती है, फिर उन फाइलों के अंदर भी फाइल मौजूद होती है ऐसे में किसी भी फाइल को ढूंढ़ने में ऑपरेटिंग सिस्टम ही मदद करता है| जिस फाइल के बारे में आपको जानकारी चाहिए उस फाइल का नाम File Explorer में लिखकर एंटर कर दें, उसके बाद ऑपरेटिंग सिस्टम लोकेशन के साथ उस फाइल के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है|
5 – Security
कंप्यूटर को सुरक्षित रखने में भी ऑपरेटिंग सिस्टम आपकी मदद करता है, कंप्यूटर को किसी दूसरे के हाथो में जाने से रोकने के लिए या कोई आपका कंप्यूटर खोल ना पाए इसके लिए कंप्यूटर में पासवर्ड लगाया जाता है| ऐसे में जब कोई भी इंसान पासवर्ड लगे हुए कंप्यूटर को खोलता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम पासवर्ड मांगता है अगर सही पासवर्ड पता होता है तो ही सिस्टम खुलता है वरना नहीं|
प्रमुख Operating Systems के नाम
ऊपर आपने ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में जाना, अधिकतर इंसानो को ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज iOS और Android के बारे में जानकारी होती है, चलिए अब हम आपको कुछ प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
1 – Windows
2 – MacOS
3 – Linux
4 – ChromeOS
5 – Android
6 – iOS
7 – BlackberryOS
8 – Symbian
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
वर्तमान समय में कई प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम देखने को मिलते है, जिनके बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे है
1 – Batch Operating System
कंप्यूटर के शुरूआती मॉडल या पहले ज़माने के कंप्यूटर देखने में काफी बड़े होते थे, ऐसे कंप्यूटर से डाटा आउटपुट के लिए लाइन प्रिंटर और टेप ड्राइव और पंच कार्ड इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता था| उस समय के कंप्यूटर के अंदर यूजर का मशीन के साथ किसी भी प्रकार का इंटरफ़ेस मौजूद नहीं था, कंप्यूटर में आउटपुट एक Batched Systems के द्वारा होता था, इसीलिए इसे Batched Operating Systems के नाम से जाना जाता था, वर्ष 1960 से पहले के कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद नहीं थे| इस तरह के कंप्यूटर में डाटा को आउटपुट और इनपुट करने के लिए मैग्नेटिक टेप और पंच कार्ड का इस्तेमाल होता था, इसके अलावा इन कंप्यूटरो में हार्ड डिस्क भी उपलब्ध नहीं थी| जनरल मोटर्स रिसर्च लेबोरेटरीज ने दुनिया का पहला Batched Operating System लॉन्च करा था, सिंगल-स्ट्रीम बैच प्रोसेसिंग सिस्टम की मदद से प्रोसेस को एक्सेक्यूट कर डाटा को अलग अलग बैचों और ग्रुप्स में भेजने का काम करता था| उस बैच ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने वाला यूजर सीधे कंप्यूटर से इंटरैक्ट नहीं कर सकता था, इसके लिए यूजर को पंच कार्ड का इस्तेमाल करना पढता था|
2 – Network Operating System
नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम से ही आपको अंदाजा लग रहा होगा की यह नेटवर्क सर्वर के रूप में काम करता है| सरल भाषा में समझे तो जब कई सारे कंप्यूटर एक कंप्यूटर से कनेक्टेड होते है तो Network Operating System उन सभी कंप्यूटर को अपनी सुविधाएँ उपलब्ध करता है, जैसे मान लीजिए एक नेटवर्क कंप्यूटर से एक प्रिंटर कनेक्टेड है तो आप उन सभी कंप्यूटरो से प्रिंट कर सकते है जो नेटवर्क कंप्यूटर से कनेक्टेड होते है|
नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से आप आपस में कनेक्टेड सभी कंप्यूटर के साथ कम्यूनिकेट करने के साथ साथ फाइल शेयरिंग और प्रिंटर शेयरिंग और हार्डवेयर डिवाइसेस इत्यादि को आपस में कम्यूनिकेट कर सकते है| जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत सारे अपडेट की गई| Network Operating System दो प्रकार के होते है जिनके नाम है पीर तो पीर और क्लाइंट सर्वर|
3 – Multiprocessor Operating System
इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक कंप्यूटर के अंदर दो या दो से ज्यादा सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी भी कंप्यूटर में प्रोसेसर अधिक होते है तो उसकी स्पीड में काफी बेहतर हो जाती है| इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी भी टास्क को छोटी छोटी टास्क में विभाजित करके अलग अलग प्रोसेसर में बाँट दिया जाता है, जिसकी वजह से काफी कम वक़्त में टास्क कम्पलीट हो जाती है|
4 – Real-Time Operating System
आपको इस ऑपरेटिंग सिस्सटम के नाम से ही पता चल रहा होगा की यह ऑपरेटिंग सिस्टम रियल टाइम पर वर्क करता है, इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम को सबसे एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है| इस तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसमे रियल टाइम प्रोसेस की जरुरत होती है जैसे रेलवे टिकट बुकिंग और सेटेलाइट से संबंधित काम इत्यादि| रियल टाइम से सम्बंधित कामो में अगर एक सेकंड की भी देरी हो जाएं तो काफी नुक्सान हो सकता है, इसीलिए रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा लाभकारी होता है| रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के Hard Real Time और Soft Real Time Operating System होते है|
हार्ड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है की यह ऑपरेटिंग सिस्टम आपके द्वारा दी गई टास्क को तुरंत पूरा कर देता है, दूसरी तरफ सॉफ्ट रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम टास्क को पूरा करने में थोड़ा समय लेता है| अगर आप सॉफ्ट रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम पर किसी टास्क को करते समय दूसरा टास्क देते है तो यह सिस्टम आपके द्वारा दी गई दूसरी टास्क को पहले पूरा करता है और जिस टास्क को आप पहलेसे कर रहे है उसे बाद में पूर्ण करता है|
5 – Disk Operating System
इस तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम अपनी टास्क को पूरा करने के लिए डिस्क की मदद लेता है इसलिए इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम को डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम से जाना जाता है| डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम को सबसे पहले IBM कंपनी ने बनाया था, जिसका नाम PC – DOS रखा गया था, माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के द्वारा बनाए गए डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम MS DOS रखा गया था|
6 – Simple Batch Operating System
सिंपल बैच ऑपरेटिंग सिस्टम को एक सामान्य ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है, इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट एक समय पर एक टास्क को पूरा करती है| सरल भाषा में समझे तो मान लीजिए आप कंप्यूटर पर कोई टास्क कर रहे है तभी आप कोई दूसरी टास्क दे देते है तो ऐसी स्थिति में सिंपल बैच ऑपरेटिंग सिस्टम पहले उस टास्क को पूरा करता है जो टास्क पहले से रन होती है, यूजर के द्वारा दी गई दूसरी टास्क को Processing में रखता है|
7 – Multiprogramming Operating System
आपको इस ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम से ही अंदाजा लग गया होगा की यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ दो या दो से ज्यादा प्रोग्राम को आसानी से रन कर सकता है| मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर एक साथ बहुत सारे निर्देशों को दे सकता है और कंप्यूटर उन सभी निर्देषो को काफी तेजी से पूरा कर देता है| मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम से कंप्यूटर की Performance काफी बेहतरीन हो जाती है, इस तरह से ऑपरेटिंग सिस्टम में दो दो से अधिक टास्क दिए जाते है, जिसके कारण सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट लगातार टास्क को पूरा करने में लगी रहती है| जब आप एक साथ दो या दो से ज्यादा प्रोग्राम रन करते है तो CPU काफी तेजी से काम करना शुरू कर देता है, यूजर को लगता है उसके द्वारा दी गई सभी टास्क एक साथ पूरी हो रही है| हालाँकि यह सच नहीं है दरसल जब आप कई सारे टास्क दे देते है तो CPU एक एक करके टास्क को पूरा करता है, CPU एक टास्क को पूरा करता है और बाकी सभी टास्क RAM में वेटिंग कर रही होती है| जब किसी भी कंप्यूटर की रेम ज्यादा होती है तो उस कंप्यूटर के टास्क करने की क्षमता काफी ज्यादा होने के साथ साथ कंप्यूटर की परफॉरमेंस भी उतनी ही बेहतर हो जाती है|
8 – Distributed Operating System
आज के समय में डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है, इस ऑपरेटिंग सिस्टम के तहत जुड़े हुए कंप्यूटर एक स्थान पर या दूर किसी अन्य स्थान पर भी हो सकते है| सरल भाषा में समझे तो आपके पास दो या दो से ज्यादा कंप्यूटर एक कमरे में या एक ऑफिस या घर में रखें है तो आप उन्हें आसानी से जोड़ सकते है, इस तरह के नेटवर्क को Local Area Network कहा जाता है| जब दो या दो से अधिक कंप्यूटर जो की अलग अलग या दूर स्थान पर होते है और उन सभी दूर स्थान पर रखें कंप्यूटर को एक साथ जोड़ा जाता है तो इस तरह के नेटवर्क को Wide Area Network कहा जाता है| डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे अच्छा उदाहरण इंटरनेट है, आप देख सकते है की कैसे दुनिया भर के कंप्यूटरो को आपस में जोड़ा जाता है|
9 – Time-Sharing Operating System
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक टास्क को पूरा करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम टाइम प्रदान करता है| ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा टाइम प्रदान करने की मुख्य वजह यह है की निश्चित समय पर सभी टास्क सही से पूर्ण हो जाएं, इस तरह से ऑपरेटिंग सिस्टम में सिंगल यूजर टास्क और मल्टी यूजर टास्क दोनों आसानी से हो सकते है। जब टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम किसी एक टास्क को पूरा करने के लिए जो टाइम प्रदान करती है उस टाइम को Quantum कहा जाता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदे बहुत सारे होते है जैसे इस ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक टास्क को पूरा करने के लिए बराबर का समय दिया जाता है और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट idle time को आसानी से कम करा जा सकता है|
ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदे (advantage of operating system in hindi )
ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदे बहुत सारे होते है, चलिए उनमे से कुछ फायदों के बारे में जानकारी दे रहे है
1 – ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे बढ़ा लाभ यह है की इसे बहुत ही आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है, यूजर इंटरफेस ग्राफिकल होने की वजह से कोई भी नया यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम की मदद से कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकता है|
2 – ऑपरेटिंग सिस्टम की मदद से हम एक कंप्यूटर का डाटा अलग अलग कंप्यूटर के साथ आसानी से शेयर कर सकते है|
3 – ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा हम आसानी से रिसोर्सेज जैसे प्रिंटर को शेयर कर सकते है
4 – ऑपरेटिंग सिस्टम को आसानी से अपडेट करा जा सकता है.
5 – ऑपरेटिंग सिस्टम काफी सुरक्षित होते है, जैसे विंडो में विंडोज डिफेंडर मौजूद होता है जो विंडोज के लिए हानिकारक फाइल्स को डिटेक्ट करके उन्हें सिस्टम या कंप्यूटर से डिलीट कर देता है|
6 – ऑपरेटिंग सिस्टम की मदद से ही इसके गेम या सॉफ्टवेर को इनस्टॉल करके इस्तेमाल कर सकते है|
7 – कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स होने के साथ साथ फ्री भी होते है, जिन्हे आप आसानी से अपने कंप्यूटर पर रन करके इस्तेमाल कर सकते है|
ऑपरेटिंग सिस्टम नुक्सान (disadvantage of operating system in hindi )
ऊपर आपने ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदों के बारे जाना,लेकिन जब किसी चीज के फायदे होते है तो उसके कुछ नुक्सान भी होते है| चलिए अब हम आप ऑपरेटिंग सिस्टम के नुक्सान के बारे में बता रहे है
1 – जिन ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है जैसे विंडोज, वो थोड़े महंगे होते है| इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इस्तेमाल करने के लिए आपको लगभग 6000₹ से 12000₹ तक देने पढ़ते है|
2 – Linux ऑपरेटिंग सिस्टम फ्री में उपलब्ध है लेकिन विंडोज के मुकाबले इसे इस्तेमाल करना आसान नहीं है| विंडोज को चलाना काफी ज्यादा आसान होता है|
3 – कुछ मामलो में देखा जाता है ऑपरेटिंग सिस्टम कभी कभी किसी हार्डवेयर को सपोर्ट नहीं करते है, ऐसे में इंसान को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है|
4 – कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम में viruses आने का खतरा होता है|
निष्कर्ष –
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