Navratri Kyu Manaya Jata Hai? देवी दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से है?

Navratri Kyu Manaya Jata Hai?: शायद ही कोई हिन्दू धर्म का इंसान हो जिसे नवरात्री के बारे में पता ना हो, नवरात्री को हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारो में से एक माना जाता है। नवरात्री का पर्व पूरे देश में बहुत ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है, वैसे तो अधिकतर इंसान नवरात्री के बारे में अच्छी तरह से जानते है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हे नवरात्री के बारे में जानकारी नहीं होती है| जिन इंसानो को नवरात्री के बारे में जानकारी नहीं होती है वो अक्सर अपने अड़ोस पड़ोस में रहने वाले इंसानो से या इंटरनेट पर नवरात्री (navratri kyu manaya jata hai) के बारे में जानकारी प्राप्त करते है|

जिन लोगो को नवरात्री के बारे में जानकारी नहीं होती है वो इंटरनेट पर नवरात्रि का अर्थ क्या है, नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (navratri kyu manaya jata hai) और नवरात्रि क्यों मनाते है? इत्यादि लिखकर सर्च करते है| अगर आपको भी नवरात्री के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि आज हम अपने इस लेख में नवरात्री के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

नवरात्रि क्या है – What is Navratri in Hindi

हिन्दू धर्म के कुछ लोगो के मन में यह सवाल रहता है की आखिर नवरात्रि क्या है? तो हम आपको बता दें की नवरात्री शब्द संस्कृत भाषा का एक शब्द है और नवरात्री शब्द का अर्थ होता है नौ राते। नवरात्री का पर्व पूरे नौ दिन चलता है और इस पर्व का प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक स्वरूप को समर्पित होता है| नवरात्री में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और अर्चना होती है, और नवरात्री के बाद दसवें दिन सम्पूर्ण भारत में धूम धाम से दशहरा मनाया जाता है|

यह तो आप समझ ही गए होंगे नवरात्री हिन्दू धर्म के लोगो के लिए महत्वपूर्ण पर्व है, लगभग सभी हिन्दू धर्म के पुरुष और महिलाऐं इन नौ दिन का उपवास रखती है और माँ दुर्गा के नौ रूपों की भक्ति और आराधना करके अपनी मनोकामना पूर्ण करने की कामना करती है| ऐसा माना जाता है नवरात्री में उपवास और पूजा करने से देवी माँ बहुत जल्द प्रसन्न होती है और अपने भक्तो के दुःख और कष्टों को हर लेती है, देवी माँ अपने भक्तो के जीवन को खुशहाल बनाती है| चलिए अब हम आपको बताते है की आखिर नवरात्री क्यों मनाई जाती है (navratri kyu manaya jata hai)

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है ? (navratri kyu manaya jata hai)

ऊपर आपने पढ़ा की नवरात्रि क्या है? कुछ इंसानो के मन में सवाल होता है की आखिर नवरात्रि क्यों मनाते है? या नवरात्री क्यों मनाई जाती है? (navratri kyu manaya jata hai) तो हम आपको बता दें की यह तो आप समझ ही गए होंगे की नवरात्री के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपो को समर्पित होते है| नवरात्री का पर्व मनाने का कारण माता दुर्गा के द्वारा किया गया महिषासुर राक्षस का वध है, महिषासुर के मारे जाने की ख़ुशी को मनाते हुए मां के भक्तो द्वारा नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है| नवरात्री के पर्व पर देश भर में अलग अलग जगहों पर अलग अलग धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है कुछ जगह पर गरबा का आयोजन, जागरण और लोक मेलो का आयोजन किया जाता है| चलिए अब हम आपको नवरात्री की कथा के बारे में जानकारी दे रहे है

नवरात्री की कथा

सदियों से हिन्दू धर्म के सभी इंसान नवरात्री का त्योहार मना रहे हैं, लगभग सभी पुरुष और महिला नौ दिन व्रत रखते है| चलिए अब हम आपको नवरात्र मनाने के पीछे की पौराणिक कथा के बारे जानकारी दे रहे है, प्राचीन समय में महिषासुर नामक शक्तिशाली राक्षस था, जिसकी सबसे बढ़ी चाहत अमर होने की थी| अपनी अमर होने की चाहत को पूरा करने के लिए उसने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या शुरू कर दी, बहुत लंबे समय तक घोर तपस्या करने के बाद ब्रह्मा जी महिषासुर की तपस्या से खुश हो गए और ब्रह्मा जी ने महिषासुर को दर्शन देकर कहा की महिषासुर हम तुम्हारी तपस्या से बेहद प्रसन्न हुए मांगो जो वरदान चाहिए वो वरदान मांगो| ब्रह्मा जी की बात सुनकर महिषासुर ने ब्रह्मा जी से कहा की भगवान मुझे अमर होने का वरदान प्रदान करें|

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ब्रह्मा जी ने महिषासुर की बात सुनने के बाद कहा की महिषासुर जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होनी भी निश्चित है, इसलिए अमर होने का वरदान नहीं दिया जा सकता है तुम अन्य कोई वरदान मांग लो| ब्रह्मा जी की बात सुनकर महिषासुर ने ब्रह्मा जी से कहा की अगर आप अमर होने का वरदान नहीं दे सकते है तो आप मुझे ऐसा वरदान दो की मेरा वध ना तो किसी देवता के हाथो हो और ना ही किसी असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथों हो, अगर मेरा वध हो तो किसी स्त्री के हाथों होना चाहिए| महिषासुर की बात सुनकर ब्रह्माजी ने महिषासुर को उसके द्वारा मांगे गए वरदान को देते हुए तथास्तु कहा और ब्रह्मा जी वापिस चले गए। महिषासुर का ऐसा वरदान मांगने के पीछे का कारण यह था की महिषासुर को लगता था स्त्री कमजोर होती है और वो कभी भी महिषासुर का वध नहीं कर सकती है| ब्रह्मा जी वरदान प्राप्त करने के बाद महिषासुर को राक्षसों का राजा बना दिया, राजा बनाने के बाद महिषासुर ने देवताओं पर आक्रमण करना शुरू कर दिया| महिषासुर से आक्रमण से सभी देवता चिंतित हो गए और उन्होंने सभी देवताओ को एकत्रित किया, देवताओ के साथ भगवान शिव और विष्णु भी थे लेकिन सभी देवता महिषासुर के हाथों पराजित हो गए, पराजय मिलने के बाद महिषासुर का देवलोक पर भी राज हो गया था।

पराजित देवताओ ने महिषासुर से अपनी रक्षा करने के लिए आदि शक्ति की आराधना करना शुरू कर दिया, फिर सभी देवताओ के शरीर से एक दिव्य रोशनी ने निकलकर एक बेहद खूबसूरत और अद्भुत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण करके दर्शन दिए| देवी दुर्गा ने सभी देवताओ को भरोसा दिया की जल्द ही उन्हें महिषासुर से छुटकारा मिल जाएगा, यह सुनकर देवता वहां से चले गए| महिषासुर ने जैसे ही देवी दुर्गा को देखा वो उनके रूप को देखकर बहुत ज्यादा मोहित हो गया और महिषासुर ने देव दुर्गा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। काफी बार मना करने के बाद देवी दुर्गा ने शादी के लिए एक शर्त रखी की अगर महिषासुर युद्ध में उन्हें हरा देता है तो वो महिषासुर से शादी कर लेगी, युद्ध की बात सुनकर महिषासुर बहुत ज्यादा खुश हो जाता है| सभी देवताओ के द्वारा प्राप्त शस्त्रों के साथ देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध शुरू हो जाता है, दोनों के बीच 9 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और युद्ध के दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत करके देवताओ को भयमुक्त कर दिया| बस उसी दिन से नवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, अब हम आपको माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

देवी दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से है?

ऊपर आपने नवरात्री की कथा के बारे में जाना, कुछ लोगो को माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में जानकारी नहीं होती है, अगर आपको भी माँ दुर्गा के नौ रूपो के बारे में जानकारी नहीं है तो परेशान ना हो, नीचे हम आपको नौ रूपों के बारे में बता रहे है

माँ शैलपुत्री

नवरात्री का पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित होता है, माता शैलपुत्री ने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था| माता शैलपुत्री के दाए हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल का फूल और माथे पर चन्द्र बिराजमान है। नवरात्रि की शुरुआत देवी शैलपुत्री के दिन से होती है, इस दिन सभी भक्त उपवास रखते है, मंदिर जाकर पूजा अर्चना करते है| 

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माँ ब्रह्मचारिणी

माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी है और नवरात्री का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है, नवरात्री के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किया होता है। माँ ब्रह्मचारिणी के वस्त्र सफेद रंग के होते है। नवरात्री के दूसरे दिन जो भी भक्त माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना करता है उसे माँ का आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ साथ त्याग, तप और वैराग्य में वृद्धि होने लगती है। माँ ब्रह्मचारिणी ने साधारण महिला के रूप में जन्म लिया था, जिन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी, लंबे समय तक घोर तपस्या करने की वजह से मन को एकाग्र रखने की शक्ति उत्पन्न करने की वजह से उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा जाने लगा, फिर काफी समय बाद ब्रह्मचारिणी को हर जन्म में पति के रुप भगवान् शिव मिलने का वरदान प्राप्त हुआ था|

माँ चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित होता है, चंद्रघंटा माता को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप के रूप में जाना जाता है| माँ चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो माँ के दस हाथ दिखाई देते है और सभी हाथो में अलग अलग तरह के अस्त्र शस्त्र धारण हुए दिखाई देते है, माँ चंद्रघंटा बाघ पर सवार होती है| दुर्गा माता के इस स्वरूप युद्ध की देवी भी कहा जा सकता है, ऐसा माना जाता है की जब असुर और राक्षसों का अत्याचार धरती पर बहुत ज्यादा बढ़ गया था तो सभी असुर ओर राक्षसों को समाप्त करने के लिए माँ दुर्गा ने देवी चंद्रघंटा के रूप में अवतार लेकर सभी राक्षसों ओर असुरो को समाप्त कर दिया था।

माँ कुष्माण्डा

नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा को समर्पित होता है, इस दिन माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएं होने की वजह से उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से पुकारा जाता है, माँ कुष्मांडा का तेज बहुत ज्यादा होता है, ऐसा कहा जाता है की सूर्य भगवान को ऊर्जा भी माँ कुष्मांडा से ही प्राप्त होती है| माँ कुष्मांडा को भी युद्ध के प्रतीक के रूप में माना ओर जाना जाता है, इस दिन जो भी भक्त माँ कुष्मांडा की पूजा ओर अर्चना करता है उसे माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद प्राप्त होता है|

स्कंदमाता

नवरात्रि का पाँचवा दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है, इस दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है| स्कंदमाता अपने भक्तो के मन में नवचेतना का निर्माण करने के साथ साथ मन में शांति और स्थिरता का भाव प्रदान करती है, ऐसा माना जाता है इस जो भी भक्त उपवास करता है ओर सच्चे मन से स्कंदमाता की पूजा करता है उससे देवी माँ बहुत जल्दी प्रसन्न होती है|

माँ कात्यायनी

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है, माँ कात्यायनी की सवारी सिंह है| जो भी भक्त इस दिन माँ कात्यायनी की आराधना सच्चे मन से करता है, देवी माँ उससे बहुत जल्द प्रसन्न होती है और भक्तो पर माँ की कृपा होती है| माँ कात्यायनी को सुख की देवी भी कहा जाता है, इसीलिए भक्त अपने जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए माँ कात्यायनी की पूजा करते है| 

माँ कालरात्रि

नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के सांतवे स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, पौराणिक कथाओ के अनुसार माँ दुर्गा ने शुभ निशुम्भ का वध और उद्धार करने के लिए

 माँ कालरात्रि के रूप में अवतार लिया था| कालरात्रि माता का शरीर काले रंग का है और उनके गले में असुरों के शीशो की माला डली हुई होती है, माँ दुर्गा के अन्य स्वरूपों के मुकाबले माँ कालरात्रि को सबसे ज्यादा भयानक और शक्तिशाली माना जाता है| ऐसा मन जाता है जो भी इंसान इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा करता है उससे देवी माँ बहुत जल्दी प्रसन्न होती है और भक्त को हर तरह के भय से मुक्ति प्रदान करती है अर्थात भक्त के मन में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है|

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माँ महागौरी

नवरात्रि के आठवें दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है, माता गौरी को माता पार्वती का स्वरूप भी कहा जाता है| पौराणिक कथाओ के अनुसार माता गौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, घोर तपस्या करने की वजह से माता गौरी का शरीर काला पड़ गया था| माता गौरी की घोर तपस्या से भगवान शिव बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए और उन्होंने माता गौरी को पत्नी का दर्जा देने के साथ साथ पहले की तरह खूबसूरत होने का वरदान दिया, इसके बाद उनको महागौरी के नाम से पुकारा जाने लगा था| माँ महागौरी को तपस्या और दृढ़ संकल्प का प्रतीक मन जाता है और जो भी भक्त माँ महागौरी की आराधना सच्चे मन से करता है उसे जीवन में खुशियां प्राप्त होती है|

 माँ सिद्धिदात्री

नवरात्रि का आखिरी दिन माँ के नौवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, माँ सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियों और शक्तियों की देवी के रूप में जाना जाता है| माँ सिद्धिदात्री के हाथो में चक्र, गदा, कमल और शंख शुशोभित होते है और माँ सिद्धिदात्री की उपासना देवता और असुर दोनों करते है| ऐसा माना जाता है जो भी भक्त इस दिन माँ सिद्धिरात्रि की उपासना सच्चे मन से करता है उस पर माँ सिद्धिरात्रि की कृपा बनी रहती है और भक्त को जीवन में सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है|   

 नवरात्रि साल में कितनी बार आती है ?

काफी सारे इंसानो को यह जानकारी नहीं होती है की नवरात्री साल में कितनी बार आती है? तो हम आपको बता दें की नवरात्री साल में चार बार आती है, देश के अलग अलग क्षेत्रो पर कुल चार नवरात्री को मनाया जाता है जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है

  • यह तो आप जानते ही होंगे की हिंदू नववर्ष की शुरूआत चैत्र शुक्ल से होती है, चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से प्रथम नवरात्रि की शुरुआत होती है| चैत्र शुक्ल में आने वाली नवरात्री को चैत्र नवरात्रि या चैती नवरात्रि के नाम से जाना जाता है, चैत्र नवरात्री को प्रकट नवरात्रि भी कहा जाता है| चैत्र नवरात्री या प्रकट नवरात्री के 9 दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा और आराधना (navratri kyu manaya jata hai) की जाती है।
  • आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्री आती है और आषाढ़ मास में आने वाली नवरात्री को गुप्त नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है| आषाढ़ शुक्ल की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक दूसरी नवरात्री मनाई जाती है हालाँकि इस नवरात्री के बारे में बहुत कम ही इंसान जानते है और इस नवरात्री में महाविद्याओं और तंत्र साधना की देवी की पूजा की जाती है| 
  • तीसरी नवरात्रि आश्विन मास में आती है, शुक्ल पक्ष से नवमी तिथि तक तीसरी नवरात्री मनाई जाती है। तीसरी नवरात्री को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है और इसमें देवी को प्रसन्न करने के लिए गरबा इत्यादि किया जाता है| शारदीय नवरात्री देश के कई हिस्सों में काफी ज्यादा लोकप्रिय है और इस नवरात्री (navratri kyu manaya jata hai) को काफी धूमधाम से मनाई जाती है|
  • माघ मास में चौथी और अंतिम नवरात्रि आती है और माघ मास के शुक्ल पक्ष से नवमी तिथि तक चौथी नवरात्री मनाई जाती है, यह भी गुप्त नवरात्रि होती है इसीलिए इसके बारे में कम लोगो को पता होता है| इस नवरात्री पर गुप्त सिद्धियां और चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने के लिए पूजा आराधना (navratri kyu manaya jata hai) की जाती है|

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का महत्व बहुत ज्यादा होता है, जो भी भक्त नवरात्री में माँ दुर्गा के स्वरूपों की आराधना और उपासना करता है उसको शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है| जब कोई भी इंसान माँ दुर्गा के लिए उपवास के साथ साथ सच्चे मन से माँ की पूजा करता है तो उस इंसान से देवी माँ बहुत जल्द प्रसन्न होती है और उस इंसान के जीवन में आने वाले कष्टों को दूर करती है|

निष्कर्ष –

हम उम्मीद करते है की आपको हमारे लेख में दी गई जानकारी पसंद आई होगी, हमारे इस लेख को शेयर करके ऐसे लोगो के पास तक पहुँचाएं जिन्हे नवरात्री क्यों मनाई जाती है? (navratri kyu manaya jata hai) या नवरात्री के बारे में जानकारी नहीं है|

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