Loktantra Kya Hai: लोकतंत्र का नाम तो सभी ने कभी ना कभी जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते है की आखिर लोकतंत्र क्या होता हैं? अधिकतर इंसानो को लोकतंत्र के बारे में जानकारी नहीं होती है। ऐसे इंसान अपने आस पास के लोगो से या इंटरनेट पर लोकतंत्र क्या हैं?( loktantra kya hai) लोकतंत्र कितने प्रकार का होता हैं? लोकतंत्र के फायदे और नुक्सान क्या हैं? इत्यादि लिखकर सर्च करते है। अगर आपको भी लोकतंत्र के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि हम इस लेख में लोकतंत्र के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करा रहे है। चलिए सबसे पहले हम आपको लोकतंत्र क्या हैं? के बारे में जानकारी दे रहे है।
लोकतंत्र क्या है (loktantra kya hai)? / Loktantra kise kahate hain
वैसे तो आपको लोकतंत्र शब्द से ही अंदाजा लग रहा होगा की यह लोकतंत्र दो शब्द लोक और तंत्र से मिलकर बनता है। लोकतंत्र एक ऐसी प्रक्रिया होती है जो सरकार और जनता के मध्य संबंध स्थापित करता है, लोकतंत्र में समाज का कोई भी पुरुष या महिला चुनाव में खड़े इंसान को अपनी स्वेच्छा से मत देकर उस इंसान को अपना शासक चुनता है। लोकतंत्र में आम इंसान अपनी शक्तियों का उपयोग करके सरकारी प्रतिनिधियों का चुनने के साथ साथ सरकार चुनने का अधिकार रखते हैं। सरल भाषा में कहें तो लोकतंत्र में बनने वाली सरकार और शासक का चुनाव आम इंसान करता है, चुनाव में कई सारे प्रतिनिधि खड़े होते है उन सभी प्रतिनिधियों में से किसी एक को आम जनता अपना मत देकर विजयी बनाते है, फिर वो प्रतिनिधि आम जनता के लिए काम करते है। हालाँकि लोकतांत्रिक सरकार में जनता के पास कुछ बुनियादी अधिकार भी होते है जिन्हे कोई भी प्रतिनिधि या सरकार उनसे नहीं छीन सकती है। लोकतंत्र में आम इंसान अपनी बात को कहने के लिए स्वतंत्र होता है।
लोकतंत्र का क्या अर्थ है (Loktantra ka kya arth hai) – Loktantra ki paribhasha
आज के समय में कई सारी परीक्षाओ में भी लोकतंत्र से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है जैसे लोकतंत्र का अर्थ क्या है। या लोकतंत्र से आप क्या समझते है।? इत्यादि, चलिए अब हम आपको लोकतंत्र के अर्थ के बारे में जानकारी दे रहे है। दरसल लोकतंत्र को अंग्रेजी में डेमोक्रेसी (democracy) कहा जाता है, अंग्रेजी का डेमोक्रेसी शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दो से मिलकर बना हुआ है, पहला शब्द है ‘डेमो’ जिसका अर्थ होता है जनता और दूसरा शब्द है ‘क्रेसी’ जिसका अर्थ होता है शासन। इसीलिए आप कह सकते है की लोकतंत्र का अर्थ होता है जनता के द्वारा शासन या जनता का शासन, सरल भाषा में आप ऐसे भी समझ सकते है की लोकतंत्र का अर्थ है कि एक ऐसी शासन प्रणाली जिसमें सर्वोच्च अधिकार आम जनता के पास होता है। लोगों की सरकार का मतलब प्रत्यक्ष प्रजातंत्र होता है, जिसमे सरकार आम लोगो पर शासन करती है, सरकार को आम जनता चुनती है या ऐसे भी कहा जा सकता है की आम जनता के एकमत होने पर सरकार बनती है। आम जनता के द्वारा चुनी गई सरकार को अपने दायित्व को पूरी ईमानदारी और मेहनत से पूरा करने के साथ साथ सरकार को आम लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए कदम बढ़ाने चाहिए।
लोकतंत्र के प्रकार – Types of democracy
ऊपर आपने लोकतंत्र के बारे में पढ़ा, अब हम आपको लोकतंत्र के प्रकारो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है, दुनियाभर के हर एक देश लोकतंत्र को अलग अलग नजरिए से देखता है, लोकतंत्र के प्रमुख प्रकार के बारे में हम आपको नीचे बता रहे है।
1 – प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या होता हैं ?
जब कोई आम इंसान प्रत्यक्ष तरीके से प्रशासन और शासन के कार्य में हिस्सा लेने के साथ साथ निर्माण कार्य और कार्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी चुनकर उन पर अपना नियंत्रण रखता है तो इसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है। पहले के ज़माने में ग्रीक में लोकतंत्रात्मक शासन का प्रचलन हुआ करता था, प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक प्रणाली केवल कम जनसंख्या वाले छोटे राज्य और प्रदेश में लागू की जा सकती है। लेकिन प्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रणाली को बड़ी जनसंख्या वाले राज्य में लागू नहीं किया जा सकता है या आप कह सकते है की किसी भी बड़े राज्य में इसे लागू करना नामुमकिन होता है। इस प्रणाली के उदहारण की बात करें तो स्विट्जरलैंड की आबादी काफी कम है इसीलिए इस प्रणाली को स्विट्जरलैंड में आसानी से लागू किया जा सकता है।
प्रत्यक्ष लोकतंत्र संचालन के लिए निम्न साधन की जरुरत होती है
प्रत्यक्ष लोकतंत्र संचालन के लिए मुख्य रूप से जनमत संग्रह और आरंभक की जरुरत होती है, जिनके बारे में हम आपको डिटेल से नीचे बता रहे है, चलिए सबसे पहले आपको जनमत संग्रह के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है।
जनमत संग्रह – काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल होता है की जनमत संग्रह क्या होता है, दरसल जब किसी भी विषय पर आम जनता की राय जाननी होती है तो इसके लिए जनता से मतदान करवाया जाता है, जिससे जनता की राय के बारे में जानकारी मिलती है, इस प्रोसेस को ही जनमत संग्रह कहा जाता है। आमतौर पर जनमत संग्रह चार प्रकार की जैसे अनिवार्य जनमत संग्रह, ऐच्छिक जनमत संग्रह, प्रत्यावर्तन और प्रारंभिक सभाएं होती है।
आरंभक : जब जनता खुद कानून का निर्माण करने लगे या कानून बनाने की मांग करे तो इस तरह के लोकतंत्र को आरंभक कहा जाता है। आरंभक दो रकार के होते है, जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है।
साधारण आरंभक : आरंभक का पहला भाग साधारण आरंभक होता है, जब आम जनता सरकार से मौखिक रूप से या किसी आंदोलन के माध्यम से किसी कानून को बनाने की मांग कर रही होती है तो इसे प्रोसेस को साधारण आरंभ कहा जाता है।
सूत्रवत आरंभक : आरंभक का दूसरा भाग सूत्रवत आरंभक होता है, वैसे आपको नाम से ही पता चल रहा होगा की जब आम जनता किसी भी कानून को बनाने के लिए प्रारूप बनाकर शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से मांग करती है तो इसे सूत्रवत आरंभक कहा जाता है।
2 – अप्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या होता हैं?
अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता को वास्तविक शासन की शक्ति का प्रतीक कहा जा सकता है लेकिन जनता शासन को चलाने की शक्ति स्वतंत्रता पूर्वक अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को वो शक्ति दे देती है, जिसके बाद जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही शासन चलाते है। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिनिध्यापक लोकतंत्र भी कहा जाता है, अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के उदाहरण की बात करें तो भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र दो तरह के होते है जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे है।
(a) अध्यक्षीय शासन प्रणाली – अध्यक्षीय शासन प्रणाली में एक अध्यक्ष चुना जाता है, जिसके हाथ में सारी शक्ति होती है, जैसे राष्ट्रपति के द्वारा ही मुख्य रूप से शासन करने के साथ साथ सारी शक्तियों का उपयोग भी उनके द्वारा ही किया जाता है।
(b) संसदीय शासन प्रणाली – संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति के पास बहुत कम शक्तियां होती है, इस तरह की प्रणाली में शासन की अधिकतर शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के पास होती है, शक्तियों का इस्तेमाल प्रधानमंत्री तथा मंत्रिमंडल ही कर सकता है।
3 – सत्तावादी लोकतंत्र क्या होता है?
सत्तावादी लोकतंत्र में आम जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि को वोट देने की अनुमति होती है, दरसल सबसे पहले आम जनता वोट करके अपना प्रतिनिधि चुनते है फिर वो प्रतिनिधि शासन करने के लिए एक प्रतिनिधि चुनते है जिसमे केवल उमीदवार ही हिस्सा लेते है जिन्हे आम जनता ने चुना होता है। इस वोटिंग में आम जनता को प्रवेश करने या वोट देने की अनुमति नहीं होती है। सत्तावादी लोकतंत्र में प्रतनिधियो द्वारा चुना गया शासक ही राज्य की आबादी के विभिन्न हितों के लिए निर्णय लेता है, किसी आने को निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता है। सत्तावादी लोकतंत्र के उदाहरण के लिए आप रूस को देख सकते है, रूस में व्लादिमीर पुतिन के द्वारा सत्तावादी शासन व्यवस्था को चलाया जा रहा है।
4 – राष्ट्रपति लोकतंत्र क्या होता है?
आपको इस लोकतंत्र के नाम से ही पता चल रहा होगा की इस लोकतंत्र में राष्टपति ही सर्वोपरि होता है, दरसल राष्ट्रपति लोकतंत्र के अनुसार किसी भी एक एक देश के राष्ट्रपति के पास शासन की सभी महत्वपूर्ण शक्तियां मौजूद होती हैं और उस देश के राष्ट्रपति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश के नागरिक ही चुनते है। राष्ट्रपति लोकतंत्र में अगर विधायिका चाहे तो राष्ट्रपति को उनके पद से हटा सकती है, हालाँकि विधायिका राष्टपति को उनके अड़ से तब तक नहीं हटती है जब तक राष्टपति को हटाने के पीछे कोई खास वजह या जरूरत होती है। राष्टपति के द्वारा पारित किए गए किसी भी विधेयक को रोकने की शक्ति विधायिका के पास होती है लेकिन इसके लिए विधायिका के पास पर्याप्त वोट होने जरुरी है। अगर विधायिका के पास पर्याप्त वोट जुटा लेती है तो वो राष्ट्रपति के वीटो को ओवरराइड कर सकती है। राष्ट्रपति लोकतंत्र के अंतर्गत देश का मुखिया या सरकार का मुखिया राष्ट्रपति ही होता है, इस लोकतंत्र के उदाहरण की बात करें तो सूडान, संयुक्त राज्य अमेरिका और अर्जेंटीना जैसे देशो में राष्ट्रपति लोकतंत्र चलता है।
5 – संसदीय लोकतंत्र क्या होता है?
संसदीय लोकतंत्र के अंतर्गत विधायिका के पास सबसे ज्यादा शक्ति मौजूद होती है, इस तरह के लोकतंत्र में कार्यकारी शाखा को अपनी लोकतांत्रिक वैधता केवल संसद से प्राप्त होती है। संसदीय लोकतंत्र में निर्वाचित विधायिका ही सरकार के मुखिया अर्थात प्रधानमंत्री को चुनती है। अगर प्रधानमंत्री के कामो से विधायिका संतुष्ट नहीं है तो ऐसी स्थिति में विधायिका किसी भी समय अविश्वास प्रस्ताव पारित करके प्रधानमंत्री को उनके पद से हटा सकती है। संसदीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास अलग अलग तरह की शक्तियां मौजूद होती हैं, जिसका इस्तेमाल वो अलग अलग कामो में कर सकते है, लेकिन इस तरह के लोकतंत्र में अधिकतर मामलों में राष्ट्रपति सिर्फ एक औपचारिक प्रमुख के रूप में कार्य करता हुआ नजर आता है।
6 – भागीदारी प्रजातंत्र क्या होता है?
भागीदारी प्रजातंत्र को आप लोकतंत्र का एक सहभागी रूप भी कह सकते है और भागीदारी प्रजातंत्र सत्तावादी लोकतंत्र के ठीक विपरीत होता है। भागीदारी प्रजातंत्र के नाम से आपको अंदाजा लग रहा होगा की इसमें विभिन्न प्रकार के सहभागी लोकतंत्र मौजूद होते हैं, जो देश या राज्य को छोटे छोटे भागों में बांटकर अशक्त लोगों को सशक्त बनाने की कोशिश करते है। आज के समय में दुनिया का कोई भी देश सक्रिय रूप से भागीदारी प्रजातंत्र का इस्तेमाल करता हुआ दिखाई नहीं देता है। ऐसा करने के पीछे सबसे बढ़ा कारण यह है की वास्तविक जीवन में भागीदारी प्रजातंत्र का उपयोग बहुत ज्यादा मुश्किलों भरा हो सकता है।
7 – इस्लामी लोकतंत्र क्या होता है?
इस्लामी लोकतंत्र ऐसे देशो में देखने को मिल सकता है जो इस्लामिक देश है। दुनिया में ऐसे बहुत सारे इस्लामिक देश मौजूद है। हालाँकि इस्लामी लोकतंत्र बहुत ही कम देशो में देखने को मिलता है, इस लोकतंत्र के अंतर्गत इस्लामी कानून को सार्वजनिक नीतियों के रूप में लागू करने की कोशिश करता है।
लोकतंत्र के फायदे (Loktantra ki visheshtayen)
ऊपर आपने पढ़ा की लोकतंत्र कितने प्रकार के होते है? अब हम आपको लोकतंत्र के फायदों के बारे बता रहे है।
1 – लोकतंत्र की सबसे अच्छी बात यह है की एक निश्चित समय अंतराल के बाद दोबारा चुनाव होते है, अगर जनता अपने चुने हुए पहले प्रतिनिधि या सरकार से खुश नहीं है तो आ उस प्रतिनिधि या सरकार की जगह पर एक नए प्रतिनिधि या सरकार को स्वतंत्रता पूर्वक चुन सकते है। चुनाव में आप अपनी पसंद के प्रतिनिधि या सरकार को वोट देकर जीता सकते है।
2 – लोकतंत्र में चुनाव करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास होती है, चुनाव आयोग स्वतंत्रता के साथ और बिना किसी पक्षपात के चुनाव को आयोजित करवाती है।
3 – प्रजातंत्र का अर्थ होता है प्रजा के हाथ में शासन, प्रजातंत्र का मतलब उस राज्य सरकार से होता है, जिसमे शासन की अंतिम सत्ता आम जनता के हाथों में होती है।
4 – लोकतंत्र में एक निश्चित उम्र के बाद प्रत्येक इंसान को मत देने का अधिकार प्राप्त होता है, लोकतंत्र में तय की उम्र पूरी करने वाला इंसान चाहे एक युवक हो या एक युवती, उसे मत देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
5 – लोकतंत्र में आम जनता ही यह निर्णय लेती है की इस बार कौन सी पार्टी या दल सरकार बनाएगी, इसीलिए आम जनता को सत्ता का मुख्य स्रोत कहा जाता है।
6 – लोकतंत्र के अंतर्गत हर एक इंसान को उसके मौलिक अधिकार दिए जाते है। अपने मौलिक अधिकारो की वजह से ही हर एक इंसान अपने भाव या विचार को प्रकट करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होता है।
7 – लोकतंत्र में समाचार पत्रों और मीडिया को सरकार की नीतियों पर अपनी राय बताने की छोट पूर्ण रूप से होती है। अगर समाचार पत्रों या मीडिया को सरकार की नीतियों में कमी दिखाई दे रही हो या सरकार को लोगो के लिए क्या करना चाहिए इत्यादि मुद्दों को खुलकर या स्वतंत्रता पूर्वक अपने विचारों को प्रकट कर सकती है। सरकार की खूबियो से लेकर कमियों के बारे में समाचार पात्र और मीडिया खुलकर लिख सकती है, इसी वजह से समाचार पत्रों और मीडिया को सरकार और आम जनता के बीच की सबसे अहम कड़ी मानी जाती है।
8 – लोकतंत्र केवल एक शासन पद्धति के रूप में नहीं बल्कि एक जीवन शैली के रूप में कार्य करती हुई नजर आती है। जिसमें सभी धर्म और वर्गों के लोगो के लिए काम किया जाता है और लोकतंत्र में अलग अलग धर्मो के लोग अपने अपने धर्म का पालन पूरी निष्ठा के साथ करते है और वो अपनी भाषा को या संस्कृति को अपनाने के लिए भी पूरी तरह से स्वतंत्र होते है, उन पर पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं लगाई जाती है।
9 – आज के समय में देखा जाए तो लोकतंत्र व्यवस्था बहुत ज्यादा उपयोगी साबित हुई है। लोकतंत्र के द्वारा इंसान के मौलिक अधिकारों की रक्षा होने के साथ साथ इंसान अपने भाव या विचारों को सरकार तक आसानी और सही तरीके से पहुँचा पाता है। लोकतंत्र व्यवस्था की बदौलत राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका की व्यवस्था हो पाती है।
लोकतंत्र के नुक्सान
ऊपर आपने लोकतंत्र के बारे में जानने के साथ लोकतंत्र के फायदों के बारे में पढ़ा, हालाँकि लोकतंत्र के कुछ नुक्सान भी होते है, जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे है।
1 – आप ऊपर पढ़ चुके है की लोकतंत्र में निश्चित समय अंतराल पर नेता और सरकार बदलती है, जिसकी वजह से अस्थिरता पैदा होती है।
2 – अधिकतर मामलो जनता के द्वारा चुने गए नेताओं को आम जनता के हितों के बारे में जानकारी नहीं होती है, जिसकी वजह से उनके द्वारा लिए गए निर्णयो का परिणाम आम जनता के हित में नहीं दिखाई देता है।
3 – आज के समय नेता बनने और सरकार बनाने के लिए राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा हो गई है जिसकी वजह से नैतिकता की कोई गुंजाइश नहीं बची है।
4 – लोकतंत्र चुनावी प्रतिस्पर्धा पर आधारित होने की वजह से इसमें भ्रष्टाचार की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
5 – लोकतंत्र में निर्णय लेने से पहले बहुत सारे लोगों से परामर्श लेना होता है, जिसकी वजह से अधिकतर मामलो में उचित निर्णय लेने में देरी हो जाती है।
निष्कर्ष –
हम आशा करते है की आपको हमारे लेख लोकतंत्र क्या है? (loktantra kya hai) लोकतंत्र के फायदे और नुक्सान कौन से है? में दी गई जानकारी पसंद आई होगी, अगर आपको हमारे लेख में दी गई जानकारी पसंद आई है तो हमारे इस पेज को अधिक से अधिक शेयर करें। जिससे हमारा यह पेज उन लोगो के पास पहुँच जाएं जिन्हे लोकतंत्र के बारे में जानकारी नहीं है।