Holi Kyu Manaya Jata Hai? होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा

Holi Kyu Manaya Jata Hai?: होली का नाम सुनते ही बच्चो से लेकर बड़ो तक सभी के मन में खुशी की लहर दौड़ जाती है, हिंदू धर्म के पवित्र और प्रमुख त्यौहारों में से एक होली का त्योहार है| होली को रंगो का त्योहार भी कहा जाता है, होली का त्योहार पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है| होली का पर्व देश के अलग अलग हिस्से में अलग अलग रूपों में देखने को मिलता है| वैसे तो होली के बारे में लगभग सभी इंसान अच्छी तरह से जानते है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनके मन में होली को लेकर कई सारे भी सवाल होते है जैसे होली क्यों मनाई जाती है (holi kyu manaya jata hai) , होली की कथा कौन सी है? रंग वाली होली क्यों मनाई जाती है और होली को मनाने का  तरीका इत्यादि|

अगर आपके मन में भी होली को लेकर सवाल है तो हमारा यह लेख आपके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी साबित होने वाला है क्योंकि आज हम अपने इस लेख में होली से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध करा रहे है, चलिए सबसे पहले हम आपको होली क्यों मनाई जाती है? (holi kyu manaya jata hai) के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

होली क्यों मनाई जाती है ? (holi kyu manaya jata hai)

यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते ही है की होली हिन्दू धर्म के लोगो के लिए प्रमुख और खास पर्व होता है| होली को मनाने के पीछे कई सारी कथाएं है जिनमे से सबसे ज्यादा प्रचलित कथा प्रह्लाद की कथा है, जिसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे है| पहले के जमाने में होली मनाने के पीछे का कारण यह भी था की इस दिन सभी लोग अपने आपसी मतभेद और शत्रुता को समाप्त करके एक दूसरे के गले लगते थे और एक दूसरे को खुशीपूर्वक रंग लगाते है| हालाँकि आज के जमाने में पहली वाली बात नहीं रही है, वर्तमान में इंसान होली के दिन दुश्मनी खत्म करने की बजाय बढ़ाता या खुंदस निकालता है, इसी वजह से वर्तमान में काफी इंसान होली खेलने से बचने लगे है| चलिए अब हम आपको होली की पौरोणिक कथा के बारे में बताते है   

होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में एक असुर राजा रहता था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था, हिरण्यकश्यप बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी राजा था और वो चाहता था की तीनो लोक पर उसका राज हो, अपनी इस इच्छा को पूरी करने के लिए उसने भगवन ब्रह्मा की घोर तपस्या करनी शुरू दी| काफी लम्बे समय तक घोर तपस्या करने के बाद भगवान ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और उससे कहा की मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ वरदान मांगो, ब्रह्मा जी की बात सुनकर हिरण्यकश्यप ने अजर अमर होने का वरदान माँगा, भगवान ब्रह्मा ने अमर होने का वरदान देने से मना कर दिया, जिसके बाद हिरण्यकश्यप ने वरदान माँगा की ना तो कोई मुझे दिन में मार सके, ना रात में मार सके, मेरा वध किसी भी अस्त्र या शस्त्र से ना हो, ना मुझे कोई इंसान मार सके और ना ही कोई जानवर मार सके, ना आकाश में ना पाताल में, ना अंदर ना बाहर मेरे प्राणो को कोई छीन ना सके, हिरण्यकश्यप की बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा तथास्तु और भगवान ब्रह्मा जी चले गए| भगवान ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करने के बाद हिरण्यकश्यप अपने आपको अजर अमर मानने लगा, इसीलिए हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में आदेश करवा दिया की अब प्रजा का भगवान वो ही है और सभी लोग उसकी पूजा करें| हिरण्यकश्यप को सभी भगवानो में से भगवान विष्णु से सबसे ज्यादा नफरत थी, कुछ सालो बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी पत्नी के गर्भवती होने पर दैत्य गुरु शुक्राचार्य से अपनी आने वाली संतान के बारे में पूछा, गुरु शुक्राचार्य ने अपनी दिव्य दृष्टि से महारानी के पेट में पल रही संतान को देखा तो नवजात शिशु पेट के अंदर भी भगवान विष्णु का जप कर रहा था और वो शिशु भगवान विष्णु का परम भक्त था| शुक्राचार्य ने जब हिरण्यकश्यप को गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में बताया तो यह सुनकर हिरण्यकश्यप को बहुत ज्यादा क्रोध आया और उसने तभी से अपनी पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने की कई बार कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रहा| कुछ समय बाद बालक का जन्म हुआ और उस अलौकिक बच्चे का नाम प्रह्लाद रखा गया, प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था और वो अपना अधिकतर समय भगवान विष्णु की पूजा और जप करने में बिताता था| हिरण्यकश्यप को अपने बेटे के द्वारा भगवान विष्णु का जप करना बिलकुल भी पसंद नहीं था, इसीलिए उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को कई बार विष्णु की भक्ति करने से मना किया लेकिन प्रह्लाद नहीं माना, फिर एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मृत्यु दंड दे दिया| हिरण्यकश्यप के सैनिको ने प्रह्लाद को मारने के अनेको प्रयास किया लेकिन वो सफल नहीं हो पाएं|

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धीरे धीरे समय बीतता गया प्रह्लाद भी बड़ा होने लगा लेकिन प्रह्लाद की भक्ति में कोई कमी नहीं आई, फिर एक दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अपने भाई से मिलने आई, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को प्रह्लाद के बारे में बताया, हिरण्यकश्यप की बात सुनकर होलिका ने अपने भाई को एक सुझाव दिया की वो प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाएगी| ऐसा करने से प्रह्लाद आग में जल जाएगा लेकिन होलिका को कुछ नहीं होगा क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था की आग उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती अर्थात होलिका को आग जला नहीं सकती है| होलिका की बात सुनकर हिरण्यकश्यप बहुत ज्यादा प्रसन्न हुआ, उसके बाद सैनिको ने बहुत सारी लकडियो को एक जगह एकत्रित कर दिया उसके बाद होलिका अपनी गोद में प्रह्लाद को बैठकर उन लकडो के ऊपर बैठ गई| प्रह्लाद चिंतामुक्त होकर भगवान विष्णु का जाप करता रहा, उसके बाद उन लकडियो में आग लगा दी गई, धीरे धीरे आग ने विशाल रूप ले लिया और देखते ही देखते होलिका उस आग से जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ| प्रह्लाद भगवान विष्णु का जाप करते हुए उस आग में से सही सलामत निकल आए, होलिका के जलने का कारण यह था की भगवान ब्रह्मा से मिली दिव्य शक्ति का इस्तेमाल गलत उद्देश्य के लिए किया था| बस उसी दिन से होलिका दहन की शुरुआत हुई, कुछ इंसान इसे बुराई पर अच्छाई की जीत भी कहते है|

होलिका के मरने के कुछ दिनों बाद विष्णु भक्त प्रह्लाद अपने पिता हिरण्यकश्यप के पास आकर भगवान विष्णु का ध्यान करने के लिए बोलता है| प्रह्लाद बताता है की भगवान विष्णु सर्वशक्तिमान होने के साथ साथ हर जगह और कण-कण में विराजमान है, भगवान विष्णु मेरे अंदर भी है आपके अंदर भी है यहाँ तक की हमे दिखने वाली हर चीज के अंदर भगवान विष्णु मौजूद है, अपने बेटे के मुख से ऐसी बातें सुनकर हिरण्यकश्यप को बहुत ज्यादा क्रोध आ गया और हिरण्यकश्यप ने खड़े होकर प्रह्लाद से कहा की क्या तेरा भगवान विष्णु इस खंभे में भी मौजूद है? पिता की बात सुनकर बेटे प्रहलाद ने कहा कि भगवान विष्णु तो कण कण में मौजूद है। प्रह्लाद की सुनकर हिरण्यकश्यप को क्रोध बहुत ज्यादा बढ़ गया और उसने क्रोध में खंबे को तोड़ दिया, जैसे ही हिरण्यकश्यप ने खंबा तोडा तो उस खंबे में से भगवान विष्णु नरसिंह रूप में अवतरित हो गए| नरसिंह भगवान को देख हिरण्यकश्यप थोड़ा डर गया, नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप को पकड़ा और अपने घुटनो पर लेटा कर उसका पेट अपने नाखूनों से फाड़ दिया, नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध ऐसे समय और इस प्रकार किया की भगवान ब्रह्मा से प्राप्त वरदान भी नहीं टूटा था, क्योंकि नरसिंह भगवान ना पुरुष थे और ना जानवर, ना उसका वध अस्त्र से हुआ और ना शस्त्र से, वध ना जमीन पर हुआ और ना आसमान में|

होली कैसे मनाएं या होली मनाने का सबसे अच्छा तरीका

होली का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, होली के त्योहार की शुरुआत होलिका दहन से होती है| लगभग सभी जगहों पर होली बनाई जाती है, हालाँकि बहुत सारे घरो या जातियों में घरो में होली जलाने की भी प्रथा है| घर पर होली जलाने के लिए गोबर से छोटे छोटे बुरकुले बनाए जाते है| मोहल्लो में होली लकड़ी और गोबर से बने उपले के द्वारा बनाई जाती है, उसके बाद होली को कलावे से चारो तरफ से बाँध दिया जाता है| उसके बाद शाम को शुभ मुहूर्त पर पंडित जी के द्वारा पूजा करवाई जाती है उसके बाद होली का दहन किया जाता है| होलिका दहन से पहले सभी घरो के लोग होली पर जाते है और घर पर बने मेवा मिष्ठान को होली पर चढ़ाते है और होली की परिक्रमा लगा कर घर आ जाते है| उसके बाद जब होलिका दहन होता है तो लगभग सभी इंसान गन्ने में जौ बाँध कर होली पर जाते है और होली की परिक्रमा करते हुए गन्ने में बंधे जौ को भूनते है| होलिका दहन के समय पर सभी लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते है और एक दूसरे के गले मिलते है|   

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होलिका दहन से अगले दिन रंग खेलने का दिन होता है, इस दिन का इन्तजार बच्चो से लेकर बढ़ो तक सभी को बड़ा बेसब्री से होता है| इस दिन आपको लगभग सभी घरो में संगीत चलता हुआ दिखाई देता है, सभी लोग अपने दोस्तों और मिलने वालो के घर जाते है और एक दूसरे के प्यार से गुलाल और रंग लगाते है गले मिलते है और एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते है| बड़ो और बुजुर्गो के माथे पर टिका लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है, बच्चो में होली का उत्साह सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, बच्चे हाथ में पिचकारी लेकर सभी पर पानी और रंग डालते है|

होली के दिन क्या करना चाहिए

होली के दिन कुछ चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए, चलिए अब हम आपको बताते है की होली के दिन आपको क्या करना चाहिए 

1 – पहले के जमाने में होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगो का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आजकल केमिकल युक्त रंग ज्यादा देखने को मिलते है इसीलिए ऐसे रंगो का इस्तेमाल करने से बचें|

2 – कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हे होली खेलना पसंद नहीं होता है या किसी बिमारी की वजह से होली नहीं खेलते है ऐसे इंसानो पर जबरदस्ती रंग नहीं डालना चाहिए या रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि होली खुशियों का त्योहार है, किसी को दुःख पहुँचाकर त्योहार नहीं मनाया जाता है|

3 – होली के दिन केवल अपने परिवार, दोस्त या खास मिलने वालो के साथ ही होली खेलें या केवल उन्ही के घर होली खेलने जाएं | अनजान इंसानो के साथ या अनजान के घर जाने से बचें|

4 – मस्ती में किसी भी जानवर के ऊपर रंग बिलकुल ना डालें|

5 – कुछ लोग होली पर ऐसे पहनते है जिससे उनकी त्वचा पर अधिक रंग लगता है, इसीलिए केमिकलयुक्त रंग से बचने के लिए पूरी आस्तीन की शर्ट या कुर्ता पहने|

6 – होली पर लगे रंग को एकदम से छुटाने का प्रयास ना करें कई बार कुछ इंसान उसी रंग छुटाने के चक्कर में चेहरा ख़राब कर लेते है| इसीलिए होली पर रंग खेलने जाने से पहले चेहरे और शरीर पर सरसो का तेल लगा लें, ऐसा करने से आपके चेहरे और शरीर पर रंग नहीं चढ़ता है|

7 – कुछ इंसान होली पर बालो में रंग भरते है, इसीलिए कोशिश करें की होली के दिन बालो को रंग से बचाने के लिए टोपी या सिर पर कपडा बाँध लें|

8 – सबसे मुख्य बात होली ख़ुशी का त्योहार है अगर कोई इंसान आपसे रंग लगाने के लिए मना कर रहा है तो जबरदस्ती किसी पर रंग बिल्कुल ना लगाएं|

9 – किसी भी इंसान के चेहरे पर रंग लगाते हुए इस बात का खास ख्याल रखें की सामने वाले की आँखों या कानो में रंग ना जाएं|

होली के दिन क्या नहीं करना चाहिए

होली के दिन कुछ बातो का खास ख्याल रखना बहुत ज्यादा जरुरी है, चलिए अब हम आपको बताते है की होली के दिन किन चीजों से बचना चाहिए

1 – होली के दिन प्राकृतिक रंगो का इस्तेमाल करें, केमिकल वाले रंगो से बचें|

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2 – आज के समय में कई लोग शरारती होते है, जो भांग के पकोड़े बनाकर रखते है, इसीलिए किसी भी जगह पकोड़े खाने से पहले पता जरूर कर लें की पकोड़े किस चीज के बने हुए है|

3 – किसी भी इंसान के साथ जबरदस्ती होली बिलकुल ना खेलें, होली प्यार और ख़ुशी का त्योहार है|

4 – शराब, बियर और वाइन जैसी चीजों का सेवन करने से बचें|

5 – किसी भी अंजान इंसान के साथ होली खेलने से बचें और अजनबी के घर भी जाने से बचना चाहिए|

रंग वाली होली क्यों खेली जाती है या धुलंडी क्यों मनाई जाती है?

होलिका दहन से अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है, कुछ लोगो के मन में यह सवाल भी होता है की रंग वाली होली मनाने के पीछे का कारण क्या है? या रंग होली क्यों मनाई जाती है? (holi kyu manaya jata hai) हालाँकि रंग वाली होली मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं है लेकिन उन कथाओ में सबसे ज्यादा प्रचलित कथा भगवान कृष्ण की है| पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण दुष्टों का वध करने के बाद वापिस आने पर गोपियों के साथ रंगो के साथ रास रचाया था, तभी से रंगो की होली प्रचलित हुई थी| वृंदावन की होली देश के साथ साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, दुनियाभर के लोग वृंदावन की होली देखने और खेलने के लिए बेताब रहते है, होली के समय पर पूरे वृंदावन में बहुत ही धूम धाम और हर्षोउल्लास से होली का पर्व मनाया जाता है|

होली मनाए जाने का कारण

प्राचीन समय में होली को ऐसे त्योहार के रूप में जाना जाता था जिस दिन दुश्मन भी अपनी दुश्मनी भूलकर दोस्त बन जाते थे| होली के दिन सभी इंसान अमीर-गरीब, काले-गोरे, ऊँच-नीच जैसी सभी बुराइयो को छोड़कर ख़ुशी और प्यार से एक दूसरे को रंग लगाते है| इस दिन सभी जातियों के लोग एक दूसरे को खुशीपूर्वक रंग लगाते है और एक दूसरे के घर जाते है|

भारत के अलग अलग हिस्सों में होली के अलग अलग नाम और रूप

यह तो हम सभी जानते है की भारत के अलग अलग राज्यो में अलग अलग भाषाएं बोली जाती है, होली के पर्व को भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरह से मनाया जाता है, होली को मनाने का तरीका भले ही अलग हो लेकिन सभी जगहों पर रंग जरूर खेला जाता है, चलिए अब हम आपको होली के अलग अलग रूपों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है

1 – मथुरा और वृंदावन की होली तो देश और विदेश तक प्रसिद्ध है, हर साल होली के मौके पर लाखो इंसान यहाँ की होली के रंग में रंगने के लिए पहुँचते है| मथुरा और वृंदावन की होली लगभग एक हफ्ते चलती है, यहाँ की लट्ठ मार होली और फूलो की होली मुख्य आकर्षण का केंद्र होती है|

2 – पंजाब में होली का त्योहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है, पंजाब में होली को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है| पंजाब में होला पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है और इस दिन सभी लोग अपनी सैन्य शैली और साहस का प्रदर्शन करने के साथ साथ घुड़सवारी, रंगों के साथ खेलना और भांगड़ा इत्यादि करते है|

3 – राजस्थान में भी होली का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, राजस्थान में आज भी आपको कई सारे राज घराने देखने को मिल जाएंगे| राजस्थान में होली की शुरुआत होली का पुतला जलाकर की जाती है, राजस्थान में होली के पर्व पर आपको जगह जगह लोक नाटक देखने को मिलते है|

निष्कर्ष –

हम आशा करते है की आपको हमारे लेख होली क्यों मनाई जाती है?( holi kyu manaya jata hai) में दी गई जानकारी पसंद आई होगी, हालाँकि होली के बारे में सभी लोग काफी अच्छी तरह से जानते ही है लेकिन कुछ इंसान ऐसे होते है जिनके मन में होली लेकर सवाल भी होते है, हमारे इस लेख को ऐसे लोगो के पास तक पहुँचाने के लिए अधिक से अधिक शेयर करें|

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