तालिबान क्या है इन हिंदी?: History of Taliban in Hindi

तालिबान क्या है: आज के समय में शायद ही कोई इंसान हो जिसने तालिबान का नाम ना सुना हो| अफगानिस्तान जिस स्थिति में आज है उसका पूर्ण रूप से जिम्मेदार तालिबान ही है, काफी सारे इंसान ऐसे है जिन्हे तालिबान का नाम तो पता होता है लेकिन तालिबान के बारे में जानकारी नहीं होती है| ऐसे में इंसान इंटरनेट का सहारा लेता है, तालिबान के बारे में जानने के लिए इंसान इंटरनेट पर तालिबान कया है? तालिबान कौन है? (who is taliban in hindi) तालिबान का मुख्य बिजनेस कया है और तालिबान को पैसा कहाँ से मिलता है इत्यादि लिखकर सर्च करता है| अगर आप भी तालिबान के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारा यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है| आज हम अपने इस लेख में तालिबान के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने की कोशिश कर रहे है| अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग चुके हैं| अफगानिस्तान पर जब से तालिबान का कब्ज़ा हुआ है तभी से अफगनिस्तान के लोगो की जिंदगी नर्क से भी बदत्तर हो गई है| खासकर अफगानी महिलाओ की क्योंकि तालिबान के अधिकतर प्रतिबंद महिलाओ के लिए ही है| लेख में हम आपको तालिबान के प्रतिबंद और सजा के बारे में भी जानकारी उपलब्ध करा रहे है, लेकिन उससे पहले हम आपको तालिबान के इतिहास के बारे में बता रहे है 

तालिबान का इतिहास / History of Taliban in Hindi

काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल होता है की तालिबान कब बना या तालिबान की शुरुआत कौन से वर्ष में हुई थी? दरसल तालिबान की शुरुआत वर्ष 1990 में उत्तरी पाकिस्तान से हुई थी, शुरुआत में तालिबान के संस्थापक ने उत्तरी पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को अपने साथ इस आंदोलन की शुरुआत की| धीरे धीरे उनके साथ साथ काफी सारे छात्र जुड़ने लगे और धीरे धीरे तालिबान संगठन काफी बढ़ा हो गया| ऐसा बताया गया है की सोवियत सेना अफगानिस्तान को छोड़कर वापिस जा रही थी, तभी पश्तून आंदोलन के सहारे तालिबान (what is taliban in hindi) ने अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत बना ली थीं| तालिबानियो के इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य यह था कि इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोगों को धार्मिक मदरसों में जरूर जाना चाहिए| उसके बाद वर्ष 1996 में अफगानिस्तान के अधिकतर क्षेत्रों पर तालिबान ने अपना अधिकार जमा लिया था|

उसके बाद वर्ष 2001 में तालिबान और अफगानिस्तान में युद्ध हुआ, जिसमे अफगानिस्तान जित गया था उसके बाद तालिबान लुप्त सा हो गया था| उसके बाद वर्ष 2004 के बाद तालिबान एक बार फिर सक्रिय हुआ और तालिबान की गतिविधियाँ दक्षिणी अफगानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में बढ़ती हुई दिखाई देने लगी| धीरे धीरे तालिबान काफी बढ़ गया, ऐसे में वर्ष 2009 में तालिबान ने पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सरहद के करीब स्वात घाटी में पाकिस्तान सरकार के साथ एक समझौता किया गया| पाकिस्तान ने तालिबान के साथ जो समझौता किया उसके अनुसार तालिबान समझौते के बाद किसी को भी कानून के नाम पर मौत के घाट नहीं उतारेगा, तालिबान को इसके बदले शरीयत के अनुसार काम करने की छूट दी जाएगी| तालिबान ने समझौते के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पश्तून इलाकों में लोगो से वायदा किया कि अगर तालिबान सत्ता में आ जाता है तो वो इस क्षेत्र में सुरक्षा और शांति कायम करने की कोशिश करेंगे| इसके अलावा तालिबान इस क्षेत्र में इस्लाम के साधारण शरिया कानून को भी लागू कर देंगे, लोगो ने उनकी बात पर विश्वास कर लिया और तालिबान के हाथ में सत्ता आ गई| लेकिन तालिबान (taliban in hindi) के हाथ में सत्ता आने के बाद लोगो का भरम टूटने में ज्यादा समय नहीं लगा क्योंकि तालिबान अपने वादे भूल कर शरिया कानून के तहत महिलाओं पर कई तरह की कड़ी पाबंदियां लगा दी, जिसकी वजह से वहां की महिलाओ की जिंदगी बाद से बदत्तर हो गई| तालिबान के जुल्म के बारे में सुनकर हर कोई हैरान था, तालिबान ने खासकर महिलाओ पर सबसे ज्यादा पाबंदी लगाई|

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अधिकतर एक्सपर्ट्स का मानना है तालिबान के इतना खतरनाक या बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा योगदान पाकिस्तान का ही है| हालाँकि लोगो के लगाए जा रहे इन आरोपों को लगातार ख़ारिज करता हुआ आया है| लेकिन अगर हम तालिबान के इतिहास पर नजर डालें तो तालिबान आंदोलन में शामिल अधिकतर छात्रों ने पाकिस्तानी मदरसों से शिक्षा प्राप्त की है| तालिबान में शामिल चाहे अफगानी हो या पाकिस्तानी लेकिन उनके अत्याचार से पीड़ित अफगानी लोग उनसे जल्द से जल्द मुक्ति पाना चाहते है, अफगानी महिला लगातार तालिबान (taliban in hindi) के खिलाफ प्रदर्शान या विरोध करती रहती है|

कौन है तालिबान? / Who is Taliban in Hindi?

हालाँकि आज के समय में तालिबान का नाम तो सभी जानते है लेकीन आज भी काफी सारे इंसानो के मन में यह सवाल होता है की तालिबान कौन है या तालिबान कया है? दरसल तालिबान एक आंदोलन है जिसे तालिबान या तालेबान भी कहा जाता है, यह तो आप अच्छी तरह से जानते होंगे की मुसलमानो में शिया और सुन्नी होते है| तालिबान आंदोलन सुन्नी समुदाय के लोगो का एक इस्लामिक आन्दोलन है, जिसे कुछ लोग सुन्नी आंदोलन भी कहते है| तालिबानी आंदोलन की शुरूआत वर्ष 1994 में दक्षिणी अफगानिस्तान से हुई थी और इस आंदोलन में शामिल सिर्फ वो छात्र ही हो सकते है जो पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के मदरसों में पढ़ते है या पढाई कर चुके है|    .

तालिबान को किसने शुरू किया था ?

काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल होता है की आखिर तालिबान की शुरुआत किसने की थी, चलिए अब हम आपको बताते है की तालिबान की शुरुआत किसने की| दरसल तालिबान की शुरुआत मुल्ला मोहम्मद उमर ने की थी, मुल्ला मोहम्मद उमर पूर्वी पाकिस्तान के कुछ मदरसों से इसकी शुरुआत की थी| ऐसा बताया जाता है की शुरुआत में तालिबान ने दवा किया था की वो शांति और सुरक्षा स्थापित करेगा, लेकिन सत्ता में आने के बाद उसने अपनी बात बदल दी और फिर तालिबान ने शरिया कानून के आधार पर शासन स्थापित करने को कहा और आम नागरिको पर जुल्म करता गया| तालिबान को अभी केवल पाकिस्तान,  UAE और सउदी अरब ने ही मान्यता दी है इनके आलावा अभी किसी भी देश ने इसे मान्यता नहीं दी है|

तालिबान को कौन चलाता है

तालिबान को चलाने के अलग अलग पद बनाए गए है, सबसे ऊपर संगठन का एक मुखिया मौजूद होता है, फिर उस मुखिया के नीचे तीन डिप्टी लीडर मौजूद हैं| इन लीडरो की एक लीडरशिप काउंसिल होती है जिसे रहबरी शूरा कहा जाता है| फिर इन डिप्टी लीडर के अंडर में अलग-अलग विभागों के कमीशन आते है इसके अलावा अलग अलग प्रांतों के लिए अलग-अलग गवर्नर और कमांडर मौजूद होते है| तालिबान की बागडोर 5 प्रमुख तालिबानी सँभालते है, तालिबान की कमान संभालने वाले 5 तालिबानियों में पहले तालिबानी नेता का नाम है हैबतुल्ला अखुंजादा| हैबतुल्ला अखुंजादा वर्ष 2016 से ही तालिबान संगठन का प्रमुख नेता है, इसके बाद तालिबान के संस्थापक सदस्य अब्दुल गनी बरादर, डिप्टी चीफ मुल्ला मोहम्मद याकूब, डिप्टी चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी और वार्ता प्रमुख अब्दुल हकीम हक्कानी मौजूद है| यह सभी तालिबान संगठन को चलाते है|

तालिबान के पास पैसा कहाँ से आता है ?

तालिबानियो के पास पैसा कहाँ से आता है यह एक ऐसा सवाल है जो अधिकतर लोगो के मन में रहता है| इस सवाल के होने का सबसे बड़ा कारण यह है की ना तो किसी देश ने तालिबान को मान्यता दी है ऑर्डर ना ही इनका कोई खास बिजनेस है ऐसे में इनके पास पैसा कहाँ से आता है| चलिए हम आपको आपके सवाल के जवाब देने की कोशिश करते है, सबसे पहले हम आपको बता दें की वर्ष 2016 में छपी एक खबर के अनुसार तालिबान का सालाना कारोबार 2, 968 करोड़ रुपए से ऊपर है जो वर्ष 2020 में तालिबान का सालाना बजट लगभग 11 हजार करोड़ रुपए से ऊपर था| तालिबान को पैसा मिलने का सबसे मुख्य जरिया है ड्रग्स, खनन, वसूली, टैक्स, धार्मिक दान और रूस, ईरान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों से पैसा मिलना| कुछ मुस्लिम देश ऐसे है जो तालिबान को काफी पैसा देते है|  

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तालिबान शब्द का क्या अर्थ है? Taliban meaning in hindi?

असल में तालिबान एक पश्तो भाषा से लिया गया शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ है छात्र| तालिबान शब्द ऐसे छात्रों के लिए कहा गया जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर बहुत ज्यादा विश्वास रखते है| तालिबान इन छात्रों का इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं, हालाँकि दुनिया के अधिकतर देशो ने इस आंदोलन को मान्यता  नहीं दी है, दुनिया में केवल सऊदी अरब, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात ने ही इस आंदोलन मान्यता दे रखी थी| अफगानिस्तान को नष्ट करने से सबसे बड़ा जिम्मेदार तालिबान ही है| आज अफगानिस्तान में आम आदमी की जिंदगी काफी ज्यादा बदतर हो गई है, तालिबानियो ने अपने नियम आम नागरिको पर थोप रखे है| चलिए अब हम आपको कुछ ऐसे प्रतिबन्ध के बारे में बताने वाले है जिन्हे तालिबानियो ने अफगानिस्तान के लोगो पर जबरदस्ती थोप रखें है|

तालिबान के वर्तमान प्रमुख कमांडर के नाम / Taliban Leader

मावलावी हैबतुल्‍ला अखुंदजादा –

मावलावी हैबतुल्‍ला अखुंदजादा तालिबान के पूर्व चीफ जस्टिस और शरिया कानून के जानकार है, इनका मुख्य काम फ़तवा जारी करना है| मावलावी हैबतुल्‍ला अखुंदजादा ने ही अवैध संबंध रखने वालों और हत्यारों को मौत की सजा देने के लिए फतवा जारी करा था। हैबतुल्‍ला अखुंदजादा को वर्ष 2016 में तालिबान का प्रमुख कमांडर बनाया था|

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर –

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को तालिबान का सह संस्थापक के रूप में जाना जाता है, अब्दुल गनी बरादर तालिबान के संस्थापक उमर के समय से ही तालिबान संगठन के उपप्रमुख बने हुए है| वर्ष 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान ने एक ऑपरेशन चलाया था, जिसमे मुल्ला अब्दुल गनी बरादर पकड़ा गया था, वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2018 तक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर पाकिस्तान की जेल में बंद रहा था| उसके बाद मुल्ला अब्दुल गनी  को रिहा कर दिया था, जेल से छूटने के बाद मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान के राजनीतिक प्रमुख के रूप में कतर में रहा, अब्दुल गनी बरादर ने ही अमरीका और तालिबान के बीच हुए दोहा समझौते पर हस्ताक्षर करे थे| 

मुल्ला मोहम्मद याकूब –

मुल्ला मोहम्मद याकूब भी वर्तमान में तालिबान का प्रमुख कमांडर है, याकूब तालिबान के संस्थापाक मोहम्मद आमिर का बेटा है। मुल्ला मोहम्मद याकूब को वर्ष 2021 में तालिबान की रहबरी शूरा ने मिलिट्री विंग के कमांडर के रूप में नियुक्त किया था, मुल्ला मोहम्मद याकूब को नरमपंथी रुख वाला नेता के रूप में जाना जाता है। 

सिराजुद्दीन हक्‍कानी –

मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा सिराजुद्दीन हक्कानी है, सिराजुद्दीन हक्कानी के पिता ने हक्कानी नेटवर्क का निर्माण किया था, हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख काम तालिबान के पैसे का इंतजाम करना और मिलिट्री की जितनी भी प्रॉपर्टी है उसकी देखभाल करना है| सिराजुद्दीन हक्‍कानी से पहले उनके पिता हक्कानी नेटवर्क की देखभाल करते थे पिता की मौत के बाद सिराजुद्दीन हक्कानी ने अपने पिता की जगह ले ली| ऐसा बताया जाता है की हक्कानी नेटवर्क ने ही आत्मघाती हमलों की शुरुआत की थी|

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मुल्ला अब्दुल हकीम –

मुल्ला अब्दुल हकिम को तालिबान की शांतिवार्ता दल के प्रमुख सदस्य के रूप में जाना जाता है। आज के समय में मुला अब्दुल हकीम धार्मिक स्कॉलर्स की पावरफुल परिषद के प्रमुख के पद पर मौजूद है| मुल्ला अब्दुल हकीम को तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदजादा का सबसे वफादार और भरोसेमंद माना जाता है, इसीलिए तालिबान के सभी प्रमुख फैसलों में मुल्ला अब्दुल हकीम की भूमिका तय रहती है। 

तालिबान के द्वारा लगाए गए सामाजिक प्रतिबंध

शुरुआत में तालिबान ने कहा था की वो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पश्तून इलाकों सुरक्षा और शांति कायम करने के साथ साथ इस्लाम के शरिया कानून को लागू करेंगे। लेकिन सत्ता मिलने के बाद तालिबान की पाबंदियां आम लोगो के लिए सिरदर्द बनी हुई है| तालिबान ने शरिया कानून के तहत पुरुषो के साथ साथ महिलाओं पर भी बहुत सारी कड़ी पाबंदियां लगा दी है, जिसकी वजह से अफगानी नागरिको की जिंदगी नर्क जैसी हो गई है| तालिबान के अधिकतर प्रतिबन्ध महिलाओ के ऊपर ही लगाए गए है, चलिए अब हम आपको तालिबान के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बारे में जानकारी देते है

1 – अफगानिस्तान में सत्ता कब्जाने के बाद, तालिबान ने शरिया कानून के अनुसार सभी अफगानी पुरुष बढ़ी हुई दाढ़ी रखेंगे और सभी अफगानी महिलायें बुर्का पहनेगी|

2 – तालिबान ने टीवी,  म्यूजिक,  सिनेमा पर पाबंदी लगाने का फरमान जारी किया है|

3 – अफगानिस्तान में दस वर्ष से ज्यादा उम्र की कोई भी लड़की स्कूल नहीं जाएगी|

4 – तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान में काफी सारी महिलाऐं नौकरी करती थी, लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद किसी भी अफगानी महिला को नौकरी करने की इजाजत नहीं है|

5 – अफगानिस्तान की सभी लड़कियों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दरवाजे बिलकुल बंद करा दिए गए है|

6 – अफगानिस्तान में किसी भी महिला के अकेले घर से निकलने पर पाबंदी है अगर महिला को घर से बहार निकलना है तो उसे किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ जाना होगा, अगर कोई महिला बिना पुरुष रिश्तेदार के घर से बाहर निकलती हुई पकड़ी जाती है तो उस महिला का बहिष्कार कर दिया जाएगा।

7 – किसी भी लड़की या महिला को पुरुष डॉक्टर द्वारा चेकअप करने पर सख्त पाबंदी है, लड़की या महिला केवल महिला डॉक्टर से ही इलाज करा सकती है|

8 – अगर कोई भी अफगानी लड़की या महिला तालिबानियो के किसी भी आदेश का उल्लंघन करती है तो ऐसी स्थिति में उल्लंघन करने वाली महिला को निर्दयता से पीटा और मारा जाता है।

9 – तालिबानी के आधिकारिक क्षेत्र में रहने वाले किसी भी महिला को घर से बाहर निकलकर नौकरी करने की भी इजाजत नहीं है|  

अफगानिस्तान में तालिबानियो की सजा कौन कौन सी है

जब से अफगानिस्तान में तालिबानी ने कब्ज़ा किया है तब से तालिबानी इलाकों में शरीयत का उल्लंघन करने वाली महिलाओ और पुरुषो को बहुत ज्यादा क्रूर सजाएं दी जाती हैं, हालांकि तालिबानियो के अधिकतर प्रतिबन्ध महिलाओ पर है, इसीलिए महिलाओ को ही सजा ज्यादा मिलती है| चलिए अब हम आपको कुछ सजाओ के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है 

1 – तालिबानियो के द्वारा कब्जा की जाने वाली जगह पर कोई भी महिला बालिका विद्यालय नहीं चला सकती है| अगर कोई महिला स्कूल चलती हुई पकड़ी जाती है तो उस महिला को उसके पति, बच्चो और स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियो के सामने ही गोली मार दी जाती है।

2 – अगर कोई भी लड़की या महिला प्रेमी के साथ भागने की कोशिश करती है तो उस महिला या लड़की को भीड़ से पत्थर मरवाकर मार दिया जाता है|

3 – किसी भी लड़की या महिला के पैर अगर बुर्के में दिखाई दे गए तो उस महिला की बेरहमी से पिटाई की जाती है|

4 – महिला डॉक्टरों की कमी और पुरुष डॉक्टर्स से इलाज ना करवाने की पाबंदी की वजह से अफगानिस्तान में काफी सारी लड़कियो और महिलाओ की मौत हो चुकी है|

5 – अफगानिस्तान में काफी सारी महिलाओ को बंदी बना कर रखा गया था, जिसकी वजह से काफी सारी महिलाऐं और लड़कियां आत्महत्या कर चुकी है|

निष्कर्ष

हम आशा करते है की आपको हमारे लेख तालिबान कया है? (what is taliban in hindi) में दी गई जानकारी पसंद आई होगी| तालिबानियो का कहना है की वो जो भी करते है वो शरिया कानून के तहत काम कर रहे है, लेकिन उनके द्वारा लगाई गई पाबंदियां किसी भी तरह से सही नहीं है| अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया है तो इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करें|

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