GST Kya Hai?: वर्तमान समय में जीएसटी के बारे अधिकतर इंसान जानते है लेकिन आज भी काफी सारे इंसान ऐसे है जिन्हे जीएसटी का नाम तो पता होता है लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। अगर आपको भी जीएसटी के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें, आज हम आपको अपने इस लेख में जीएसटी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने की कोशिश कर रहे है, चलिए सबसे पहले हम आपको GST क्या है? (gst kya hai) के बारे में बताते है।
जीएसटी क्या है (GST Kya Hai)? – What is GST in Hindi
जीएसटी को आप एक अप्रत्यक्ष टैक्स प्रणाली कह सकते है जो देश में उत्पादित होने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई पर जीएसटी लागू होती है। GST आने से पहले देश में कई तरह के टैक्स जैसे सेवा कर, बिक्री कर, एक्साइज ड्यूटी इत्यादि देने पड़ते थे, केंद्र सरकार ने ऐसे सभी टैक्स को खत्म करके एक टैक्स लगाया, जिसे जीएसटी या गुड्स एंड सर्विस टैक्स (gst kya hai) कहा गया। सरल भाषा में समझे तो जीएसटी एक इनडायरेक्ट टैक्स होता है, जो पूरे देश के लिए लागू किया गया है। किस चीज पर कितना जीएसटी लगेगा इसके लिए सरकार ने जीएसटी के पाँच स्लेब तैयार किया है, जिनके बारे में आप नीचे पढ़ सकते है। जीएसटी के लागू होने के बाद बिजनेसमैन को अलग अलग तरह के टैक्स देने की जरुरत नहीं है, केवल जीएसटी देना जरुरी है।
जीएसटी का फुल फॉर्म हिंदी और अंग्रेजी में | GST Full Form in Hindi
जीएसटी के बारे में तो लगभग सभी जानते है लेकिन जीएसटी की फुल फॉर्म के बारे में अधिकतर लोगो को जानकारी नहीं होती है, चलिए अब हम आपको जीएसटी की फुल फॉर्म इन हिंदी और अंग्रेजी के बारे में जानकारी दे रहे है
GST Ki Full Form In English – Goods and Service Tax
GST Ki Full Form In Hindi – सामान और सेवा कर
जीएसटी के प्रकार| Types of GST in india
ऊपर आपने जाना की जीएसटी क्या है? अब हम आपको जीएसटी के प्रकारो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है। जीएसटी 4 प्रकार की होती है, जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है।
1 – Central Goods and services Tax (CGST)
सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स से जितना भी टैक्स प्राप्त होता है वो सेंट्रल गवर्नमेंट को भेज दिया जाता है। केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए CGST के लागू होने के बाद कस्टम ड्यूटी, सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी इत्यादि टैक्स खत्म हो गए, आम भाषा में आप ऐसे समझ सकते है की ऐसे टैक्स जिनका पैसा केंद्र सरकार को जाता था उनस भी टैक्स को खत्म करके CGST को लागू किया गया।
2 – State Goods and services Tax
स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स से जितनी भी धनराशि मिलती है वो सब राज्य सरकार के पास पहुँचती है। किसी भी राज्य के अंदर बेची जाने वाली सभी चीजों पर SGST लागू होता है, SGST आने के बाद वैल्यू ऐडेड टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टेट सेल्स टैक्स और एंट्री टैक्स इत्यादि टैक्स को समाप्त कर दिया गया।
3 – Integrated goods and services Tax
इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स के द्वारा प्राप्त धनराशि को उन राज्यो में बराबर बाँट दी जाती है जिनके बीच प्रोडक्ट और सेवाओं का लेन देन किया जाता है, इसके अलावा IGST उन प्रोडक्ट पर भी लगता है जिन्हे बाहर से खरीद कर मंगाया जाता है।
4 – Union Territory Goods and services Tax
देश के कई सारे ऐसे प्रदेश भी है जो केंद्र शासन के अंडर आते है उन्हें केंद्र शासित प्रदेश कहा जाता है, ऐसे सभी प्रदेशो पर यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू किया गया है। देश में केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार आइसलैंड, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और लक्षदीप जैसे प्रदेशो में UGST लगता है। केंद्र शासित प्रदेशो में जिन चीजों की सप्लाई होती है उन सभी पर UGST लगाया जाता है और इससे मिलने वाली धनराशि केंद्र सरकार को प्राप्त होती है।
भारत में GST को लागू करने की जरुरत क्यों पड़ी ?
काफी सारे लोगो को यह नहीं पता है की आखिर केंद्र सरकार को जीएसटी लागू करने की जरुरत क्यों पड़ी? चलिए अब हम आपको बताते है की आखिर केंद्र सरकार ने जीएसटी क्यों लागू किया दरसल जीएसटी आने के पहले देश में प्रोडक्ट और सर्विस की बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार का होता था, लेकिन वस्तु के उत्पादन और सेवा पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार का था।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा लगाए जाने वाले अलग अलग प्रकार के टैक्स के कारण टैक्स की संख्या बहुत ज्यादा हो गई थी, इन सभी तरह के टैक्स को खत्म करके एक टैक्स बनाने का निर्णय लिया गया, जिसे जीएसटी का ना दिया गया। जीएसटी में पुराने टैक्स को शामिल कर दिया गया, जिसकी वजह से बिजनेसमैन को अलग अलग टैक्स की जगह केवल जीएसटी टैक्स देना पड़ता है।
राज्य सरकार की वैल्यू ऐडेड टैक्स की दर और नियम अलग अलग होती है, अक्सर या देखा जाता था की राज्य सरकार निवेशकों को राज्य में इन्वेस्टमेंट करने के लिए सरकार टैक्स और टैक्स की दरों को कम कर देती है, जिसके कारण राज्य सरकार सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार को भी राजस्व की हानि होती है। जीएसटी के द्वारा प्राप्त टैक्स को केंद्र और राज्य सरकार के बीच में बांटा जाता है, जीएसटी देने के बाद कोई भी स्टेट टैक्स नहीं देना पड़ता है और पूरे देश में सर्विस और वस्तुओं को बेचना आसान हो गया है। जीएसटी के फायदे बहुत सारे है जिनके बारे में हम आपको बता रहे है।
जीएसटी के फायदे | GST Benefits in hindi
ऊपर आपने जीएसटी के बारे में जाना, अब हम आपको जीएसटी के फायदों के बारे में बताने जा रहे है, चलिए जानते है की जीएसटी के फायदे कौन-कौन से हैं।
1 – जीएसटी लागू होने के बाद आम जनता को सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है की जीएसटी के अंतर्गत आने वाले सभी उत्पादों की खरीददारी करने पर एक समान टैक्स देना पढता है, जीएसटी आने से पहले यह पता करना मुश्किल था की किस सामान पर कितना टेक्स लगेगा क्योंकि सभी सामने पर अलग अलग टेक्स लगता था।
2 – केंद्र सरकार के द्वारा जीएसटी व्यवस्था लागू करने के बाद भारत में टैक्स सिस्टम बहुत ज्यादा आसान हो गया है।
3 – जीएसटी आने के बाद व्यापारियों के द्वारा भरे जा रहे जीएसटी टैक्स से उन्हें व्यापार में लेन देन और आयकर भरने में काफी सुविधा मिली है।
4 – केंद्र सरकार के द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद इनकम टैक्स के कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने की संभावना ना के बराबर है।
5 – जीएसटी के लागू होने के बाद सर्विस टैक्स, सेंट्रल सेलिंग टैक्स, स्टेट सेलिंग टैक्स और वैल्यू ऐडेड टैक्स इत्यादि टैक्स खत्म हो गए है।
6 – जब जीएसटी लागू नहीं था तब आम जनता को अलग अलग प्रोडक्ट पर 30% से लेकर के 35 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता था, लेकिन जीएसटी आने के बाद उन चीजों पर महज 18 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है।
जीएसटी के नुकसान | GST Disadvantages in Hindi
ऊपर आपने जीएसटी के फायदों के बारे में जाना, अब हम आपको जीएसटी के नुकसान के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
1 – यह तो आपको पता ही होगा की जीएसटी आईटी संचालित कानून होने की वजह से वर्तमान में बिजनेसमैन को अपने बिजनेस के लिए उपयोग किए जाने वाले ईआरपी सॉफ्टवेयर को जीएसटी के लायक बनाना पड़ेगा या फिर बिजनेसमैन को जीएसटी सॉफ्टवेयर को खरीदना पड़ता है, जिसका खर्चा अतिरिक्त होता है।
2 – जीएसटी आने से पहले काफी छोटे मोटे बिजनेसमैन को किसी तरह का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाना पड़ता था लेकिन अब उन्हें भी जीएसटी के लिए रजिस्टर करवाना होगा।
3 – ऐसे बिजनेसमैन जो अलग-अलग राज्यों से सामान मंगाते है या सामान भेजते है, उन सभी बिजनेसमैनों को उन सभी राज्यों में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा जिनमे वो अपना बिजनेस करते है।
4 – केंद्र सरकार के द्वारा जीएसटी लागू होने के बाद कुछ चीजें महंगी हो गई है जैसे इंश्योरेंस रिनुअल प्रीमियम, हेल्थ केयर, कोरियर सर्विस, डीटीएच इत्यादि।
5 – जीएसटी आने से पहले दिव्यांग लोगों के इस्तेमाल में आने वाली व्हीलचेयर, आवाज सुनने की मशीन जैसी कई साड़ी चीजों पर टैक्स नहीं था लेकिन जीएसटी आने के बाद इन चीजों पर भी टैक्स देना पड़ता है।
जीएसटी की खासियत
इंडिया में पुराने टैक्स सिस्टम में जो भी खामी थी उसे सही करने के लिए गवर्नमेंट ने जीएसटी को साल 2017 के जुलाई के महीने से लागू किया है, जिसकी मुख्य खासियत निम्न अनुसार है।
1 – जीएसटी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें टैक्स प्रणाली को ऑनलाइन रखा गया है, ऑनलाइन होने की वजह से इसमें गड़बड़ी या धोखा होने की संभावना बहुत ही कम हो जाती है। और अगर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी हो भी जाती है तो उस गड़बड़ी की जांच करने और उस गड़बड़ी को पकड़ना काफी आसान हो जाता है।
2 – जीएसटी की खासियत यह भी है इसमें कर की वसूली उस इंसान से की जाती है जो सामान या सर्विस प्रदान करता है। सरल भाषा में समझे तो जितनी बार भी कोई प्रोडक्ट जितनी बार ख़रीदा या बेचा जाएगा उस इंसान को उतनी बार ही जीएसटी देनी होगी।
3 – जीएसटी में इनपुट क्रेडिट सिस्टम की सुविधा दी गई है, जीएसटी के अंतर्गत सबसे अंतिम स्टेज पर टैक्स लगने से पहले आपने जिस जिस जगह पर टैक्स अदा किया है, उसे वापस प्राप्त किया जा सकता है।
4 – जीएसटी आने से पहले भी टैक्स देना पड़ते थे, लेकिन उस समय पर अलग लग तरह के टैक्स भरने पड़ते थे, जिसकी वजह से इंसान को काफी साड़ी परेशानियो का सामना करना पड़ता था। केंद्र सरकार ने इन सभी टैक्स को हटाकर जीएसटी टैक्स को लागू किया, जिसकी वजह से अब आपको अलग अलग तरह के टैक्स की जगह सिर्फ एक टैक्स अर्थात जीएसटी भरने के बाद आपको आने टैक्स देने की जरुरत नहीं पड़ती है।
5 – जीएसटी लागू होने से पहले जो टैक्स सिस्टम लागू था, उसमें राज्य सरकार अपनी मर्जी के अनुसार अपने राज्य में बेचे जाने वाले सभी प्रोडक्ट पर अपने हिसाब से टैक्स लगाने के साथ साथ अपने हिसाब से टैक्स की दर में बढ़ोतरी भी तय करती थी। लेकिन जीएसटी आने के बाद राज्य सरकार की मनमानी भी ख़त्म हो गई है।
जीएसटी ने किन किन करों का स्थान लिया है ?
काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल भी होता है की जीएसटी आने से पहले ऐसे कौन कौन से टैक्स थे जो जीएसटी आने के बाद खत्म हो गए है। चलिए अब हम आपको कुछ ऐसे इनडायरेक्ट टैक्स के बारे में बताने जा रहे है जो जीएसटी आने के बाद खत्म हो गए है, आप ऐसे भी कह सकते है की नीचे बताए जा रहे है टैक्स को एक टैक्स में समाहित कर दिया गया है, चलिए अब हम आपको उन टैक्स के बारे में बताते है।
सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी
ड्यूटी ऑफ एक्साइज मेडिकल एंड टॉयलेट प्रिपरेशन
एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज ऑन गुड्स ऑफ स्पेशल इंर्पोटेंस
एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज टैक्सटाइल एंड टैक्सटाइल प्रोडक्ट
ड्यूटी ऑफ कस्टम
स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम
सर्विस टैक्स
सेस एंड सर्विस चार्ज
वैल्यू ऐडेड टैक्स
सेंट्रल सेल्स टैक्स
परचेज टैक्स
लग्जरी टैक्स
एंट्री टैक्स
एंटरटेनमेंट टैक्स
टैक्स ऑन एडवरटाइजमेंट
टैक्स ऑन लॉटरी, वेटिंग एंड गैंबलिंग
जीएसटी का रेट
कौन से सामन पर कितना जीएसटी लगता है? यह सवाल अधिकतर लोगो के मन में होता है क्योंकि अधिकतर लोगो को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। केंद्र सरकार ने जरूरी चीजों पर कम टैक्स और लग्जरी चीजों पर अधिक टैक्स लगाया गया है, जीएसटी को न्याय पूर्ण बनाने की पूरी कोशिश की गई है। जीएसटी में टैक्स को चार पार्ट में विभाजित किया है जो 00% , 05%, 12%, 18% और 28% जीएसटी है, ऐसे में अधिकतर लोगो को यह नहीं पता होता है की कौन कौन सी चीज किस श्रेणी में आती है, चलिए अब हम आपको इसके बारे में डिटेल से जानकारी उपलब्ध करा रहे है।
00% GST: जीएसटी के इस स्लेब में ऐसी चीजें आती है, जिनकी जरुरत लगभग सभी इंसानो को बहुत ज्यादा जरुरी होती है। निचे बताई जा रही सभी चीजों पर किसी भी तरह का जीएसटी नहीं देना होता है। 00% जीएसटी में गेहूं, चावल, आटा, मैदा, बेसन, चूड़ा, मुरमुरे, खोई, ब्रेड, गुड़, दूध, दही, लस्सी, खुला पनीर, अंडे, मीट-मछली, शहद, ताजी फल सब्जियां, प्रसाद, नमक, सेंधा या काला नमक, कुमकुम, बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां, पान के पत्ते, गर्भ निरोधक, स्टांप पेपर, कोर्ट के कागजात, डाक विभाग के पोस्टकार्ड या लिफाफे, किताबें, स्लेट-पेंसिल, चॉक, समाचार पत्र-पत्रिकाएं, मैप, एटलस, ग्लोब, हैंडलूम, मिट्टी के बर्तन, खेती में इस्तेमाल होने वाले औजार, बीज, बिना ब्रांड के ऑर्गेनिक खाद, सभी तरह के गर्भनिरोधक, ब्लड, सुनने की मशीन इत्यादि चीजें शामिल है।
05% GST: जिंदगी के लिए जरूरी चीजों और सर्विस पर 05 % जीएसटी देनी पड़ती है, इस स्लैब में ब्रांडेड अनाज या आटा, ब्रांडेड शहद, चीनी, चाय, कॉफी, मिठाइयां, खाद्य तेल, स्किम्ड मिल्क पाउडर, बच्चों के मिल्क फूड, रस्क, पिज्जा ब्रेड, टोस्ट ब्रेड, पेस्ट्री मिक्स, प्रोसेस्ड या फ्रोजन फल और सब्जियां, पैकिंग वाला पनीर, ड्राई फिश, न्यूज प्रिंट, ब्रोशर, लीफलेट, राशन का केरोसिन, रसोई गैस, झाडू, क्रीम, मसाले, जूस, साबूदाना, जड़ी-बूटी, लौंग, दालचीनी, जायफल, जीवन रक्षक दवाएं, स्टेंट, ब्लड वैक्सीन, हेपेटाइटिस डायग्नोसिसकिट, ड्र गफॉर्मूलेशन, क्रच, व्हील चेयर, ट्राय साइकिल, लाइफ बोट, हैंडपंप और उसके पार्ट्स, सोलर वाटर हीटर, रिन्यूएबल एनर्जी डिवाइस, ईंट, मिट्टी के टाइल्स, साइकिल और रिक्शा के टायर, कोयला, लिग्नाइट, कोक, कोलगैस इत्यादि चीजें आती है।
12% GST: दैनिक जीवन में काम आने वाली सभी वस्तुओं और सर्विस पर 12% जीएसटी देनी पड़ती है, जिनमे नमकीन, भुजिया, बटर ऑयल, घी, मोबाइल फोन, ड्राईफ्रूट, फ्रूट और वेजिटेबल जूस, सोया मिल्क जूस और दूध से बने ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड या फ्रोजन मीट या मछली, अगरबत्ती, कैंडल, बैंडेज, प्लास्टर, ऑर्थोपेडिक उपकरण, टूथ पाउडर, सिलाई मशीन और इसकी सुई, बायो गैस, एक्सरसाइज बुक, क्राफ्ट पेपर, पेपर बॉक्स, बच्चों की ड्रॉइंग और कलर बुक, प्रिंटेड कार्ड, चश्मे का लेंस, पेंसिल शार्पनर, छुरी, कॉयर मैट्रेस, एलईडी लाइट, किचनऔरटॉयलेट के सेरेमिक आइटम, स्टील, तांबे और एल्यूमीनियम के बर्तन, इलेक्ट्रिक वाहन, साइकिल और पार्ट्स, खेल के सामान, खिलौने वाली साइकिल, कार और स्कूटर, आर्टवर्क, मार्बल या ग्रेनाइट ब्लॉक, छाता, वाकिंग स्टिक, फ्लाईएश की ईंटें, कंघी, पेंसिल, क्रेयॉन इत्यादि चीजें शामिल है।
18% GST: ऐसे चीजें जिनका इस्तेमाल दैनिक जीवन में थोड़ा बहुत होता है, उन पर 18 पर्सेंट जीएसटी देनी पड़ती है, इस स्लैब में हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉर्नफ्लेक्स, पेस्ट्री, केक, जैम-जेली, आइसक्रीम, इंस्टैंटफूड, शुगर कन्फेक्शनरी, फूड मिक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स , निकोटिन गम, मिनरल वॉटर, हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉयर मैट्रेस, कॉटन पिलो, रजिस्टर, अकाउंट बुक, नोट बुक, इरेजर, फाउंटेन पेन, नैपकिन, टिश्यू पेपर, टॉयलेट पेपर, कैमरा, स्पीकर, प्लास्टिक प्रोडक्ट, हेलमेट, कैन, पाइप, शीट, कीटनाशक, रिफ्रैक्टरी सीमेंट, बायो डीजल, प्लास्टिक के ट्यूब, पाइप और घरेलू सामान, सेरेमिक-पोर्सिलेन-चाइना से बनी घरेलू चीजें, कांच की बोतल जार बर्तन, स्टील के टब या एंगल या ट्यूब या पाइप या नट बोल्ट, एलपीजी स्टोव, इलेक्ट्रिक मोटर और जेनरेटर, ऑप्टिकल फाइबर, चश्मे का फ्रेम, गॉगल्स, विकलांगों की कार इत्यादि चीजें शामिल है।
28% GST: आज के समय में जितने भी लग्जरियस और हानिकारक कैटेगरी में आने वाले सामान और सर्विस पर 28 पर्सेंट जीएसटी देनी होती है, इस स्लैब में कस्टर्ड पाउडर, कॉफी, चॉकलेट, शैंपू, परफ्यूम, मेकअप का सामान, डियोड्रेंट, हेयरक्रीम, पाउडर, स्किन केयर प्रोडक्ट, सनस्क्रीन लोशन, मैनिक्योर या पैडीक्योर प्रोडक्ट, शेविंग क्रीम, रेजर, लिक्विड सोप, डिटरजेंट, एल्युमीनियम फ्वायल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, डिशवाशर, इलेक्ट्रिक हीटर, इलेक्ट्रिकहॉटप्लेट, प्रिंटर, फोटो कॉपी और फैक्स ki मशीन, लेदर का प्रोडक्ट, विग, घड़ियां, वीडियो गेम, सीमेंट, पुट्टी, प्लाईबोर्ड, प्लास्टर, स्टील पाइप, टाइल्स और सेरामिक्स प्रोडक्ट, प्लास्टिक की फ्लोर कवरिंग और बाथ फिटिंग्स, कार बस ट्रक के ट्यूब और टायर, लैंप, लाइटफिटिंग्स, एल्युमिनियम के डोर और विंडो फ्रेम, इनसुलेटेड वायर और केबल इत्यादि चीजें आती है।
जीएसटी में टैक्स कैसे भरा जाता है?
ऊपर आपने पढ़ा की जीएसटी की वसूली खरीददार से की जाती है, चलिए अब हम आपको इसे सरल भाषा में समझते है। बेल्ट का इस्तेमाल सभी लोग करते है, मान लीजिए एक बेल्ट है जिसका निर्माण एक कंपनी करती है, कंपनी के बेल्ट बनाने से लेकर कस्टमर के पास तक पहुँचने के बीच में बेल्ट को अलग अलग प्रकरण से गुजरना पड़ता है। ऐसे में कंपनी से लेकर कस्टमर के बीच में जितने भी चरणों तक बेल्ट पहुँचती है उन सभी को जीएसटी देना पड़ता है। इसके अलावा अगर एक खरीददार बेल्ट को दूसरे खरीददार को बेचेगा तो उसे भी इस स्थिति में जीएसटी भरनी पड़ती है।
निष्कर्ष –
हम आशा करते है की आपको हमारे इस लेख जीएसटी क्या है? (gst kya hai) जीएसटी के फायदे और नुक्सान में दी गई जानकारी पसंद आई होगी, अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अधिक से अधिक शेयर करें जिससे हमारा यह लेख ऐसे इंसानो के पास पहुँच जाएं जिन्हे जीएसटी के बारे में जानकारी नहीं है।