Gangrene Kya Hai?: गेंग्रीन रोग के बारे में अधिकतर इंसानो को जानकारी नहीं होती है, इस रोग के बारे में काफी कम इंसान जानकारी रखते है। गेंग्रीन रोग एक बहुत ही जटिल और घातक बिमारी होती है। आमतौर पर यह बिमारी हाथ और पैर में ज्यादा देखने को मिलती है। गेंग्रीन रोग में पीड़ित के शरीर का रोगग्रस्त हिस्सा सड़ने लगता है। अगर आपको इस रोग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो परेशान ना हो, आज हम अपने इस लेख में गेंग्रीन क्या है? गेंग्रीन होने के कारण कौन कौन से है? गेंग्रीन के लक्षण और गेंग्रीन का घरेलु उपचार इत्यादि के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है। चलिए सबसे पहले हम आपको गेंग्रीन क्या होता है (gangrene kya hai)? के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
गेंग्रीन क्या है / Gangrene Kya Hai?
जब किसी भी पुरुष या महिला के शरीर के किसी भी अंग या हिस्से में चोट लग जाती है और वो चोट लम्बे समय तक ठीक ना होकर सड़ने लगती है। तो इस स्थिति को गेंग्रीन रोग कहा जाता है। सरल भाषा में समझे तो गेंग्रीन रोग का इलाज सही समय पर ना किया जाएं तो यह पीड़ित के पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। जब किसी भी इंसान के हाथ या पैर में कोई घाव या चोट या कट लग जाता है और वो काफी समय से ठीक नहीं होता है तो कुछ समय बाद वो हिस्सा सड़ने लगता है। इसे ही गेंग्रीन रोग (gangrene kya hai) कहा जाता है। गेंग्रीन रोग जिस हिस्से को प्रभावित करता है उस हिस्से में ब्लड सर्क्युलेशन बंद हो जाता है।
गैंग्रीन के प्रकार
गेंग्रीन क्या है (gangrene kya hai)? के बारे में आप ऊपर पढ़ चुके है। काफी सारे इंसानो के मन में यह सवाल रहता है की गेंग्रीन रोग कितने प्रकार का होता है? या गेंग्रीन कितनी तरह का होता है। चलिए अब हम आपको गेंग्रीन रोग के प्रकारो के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है। आमतौर पर गेंग्रीन के तीन प्रकार ड्राई गेंग्रीन, वेट गेंग्रीन और गैस गेंग्रीन मानी जाती है लेकिन इसके अलावा भी गेंग्रीन के प्रकार होते है। जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है
सुखी या ड्राई गैंग्रीन –
गैंग्रीन का यह पहला प्रकार है आपको ड्राई गैंग्रीन के नाम से अंदाजा हो रहा होगा की इसका संबंध ड्राइनेस से होगा। जब कोई भी इंसान ड्राई गैंग्रीन की समस्या से पीड़ित होता है तो पीड़ित इंसान की त्वचा रूखी और झुर्रीदार होने के साथ साथ काली या बैंगनी या नीली दिखाई देती है। ड्राई गैंग्रीन की समस्या धीरे धीरे बढ़ती है। ड्राई गैंग्रीन शरीर के बाहरी हिस्से को प्रभवित करती है। जब शरीर के किसी अंग तक ब्लड पूर्ण रूप से नहीं पहुँच पाता है तो ऐसी स्थिति में ड्राई गैंग्रीन की समस्या होने की प्रबल संभावना होती है। आमतौर पर ड्राई गैंग्रीन की समस्या बुजुर्गो के पैरों और पैरो की उंगलियो में देखने को मिलती है।
वेट गैंग्रीन –
वेट गेंग्रीन को गीली गेंग्रीन के नाम से भी जाना जाता है। वेट ग्रीन ड्राई गेंग्रीन के मुकाबले तेजी से फैलती है। वेट गेंग्रीन नम ऊतकों जैसे मुंह, फेफड़े, आंत, सर्विक्स और वाल्व इत्यादि में बिकसित होता है इसके अलावा कूल्हे या एड़ियों इत्यादि में होने वाले बेड सोर्स भी वेट गैंग्रीन का ही एक प्रकार माना जाता है। अगर किसी बह इंसान को वेट गेंग्रीन की समस्या हो रही है तो किसी भी तरह की लापरवाही मरीज के लिए बहुत ज्यादा घातक सिद्ध हो सकती है। इसीलिए वेट गेंग्रीन के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह और इलाज कराएं। वेट गैंगरीन से प्रभावित क्षेत्र में सूजन और फफोले इत्यादि समस्या देखने को मिलती है।
गैस गैंग्रीन –
गेंग्रीन का तीसरा प्रकार गैस गेंग्रीन होता है। गैस गेंग्रीन को अन्य गेंग्रीन के मुकाबले सबसे ज्यादा घातक और गंभीर माना जाता है। गैस गैंग्रीन शरीर में मौजूद मांसपेशियों के गहरे ऊतकों को प्रभावित करता है। गैस गेंग्रीन एक तरह का जीवाणु संक्रमण होता है और यह संक्रमण ऊतकों में गैस उत्पन्न करने का काम करता है। संक्रमण से पैदा हुआ बैक्टीरिया अपने आस पास के स्वस्थ ऊतकों में बहुत तेजी से घुसता है। तेजी से घुसने की वजह से इस गेंग्रीन को सबसे ज्यादा घातक माना जाता है। जब किसी भी इंसान के शरीर में गैस गैंग्रीन की समस्या हो आती है तो इसका असर शुरुआत में त्वचा पर दिखाई नहीं देता है। लेकिन जैसे जैसे संक्रमण बढ़ता है वैसे वैसे त्वचा का रंग पीला और फिर बैंगनी हो जाता है।
आंतरिक गैंग्रीन –
आंतरिक गेंग्रीन के नाम से आपको अंदाजा लग रहा होगा की इस तरह का गेंग्रीन शरीर के आंतरिक हिस्सों को प्रावित करता होगा। आमतौर पर इस तरह का गेंग्रीन अपेंडिक्स, आंतों या पित्ताशय इत्यादि आंतरिक अंगों में विकसित होता है। जब शरीर के की भी आंतरिक अंग में ब्लड फ्लो अवरुद्ध हो जाता है तब आंतरिक गेंग्रीन की समस्या हो सकती है। अगर सही समय पर इस समस्या का इलाज ना कराया जाएं तो पीड़ित की जान भी जा सकती है।
फोरनियर गैंग्रीन –
इंसान के जननांगों में फोरनियर गैंग्रीन:की समस्या होती है। इस तरह का गेंग्रीन महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलता है। फोरनियर गैंग्रीन की समस्या किसी भी पुरुष या महिला के मूत्र पथ या जननांग क्षेत्र के संक्रमण से विकसित होता है। फोरनियर गैंग्रीन के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकिसत के परामर्श और इलाज कराना चाहिए।
मेलेनी का गैंग्रीन –
मेलेनी गैंग्रीन बहुत ही कम लोगो में देखने को मिलता है इसीलिए मेलेनी गेंग्रीन को गेंग्रीन का सबसे दुर्लभ प्रकार माना जाता है। इस तरह का गैंग्रीन जटिल सर्जरी के बाद विक्स्ट होता है। आमतौर पर मेलेनी गैंग्रीन शरीर की त्वचा पर दर्द होने और घावों की वजह से बनती है। जब किसी भी इंसान की किसी भी तरह की सर्जरी होती है तो सर्जरी के बाद इस तरह की गेंग्रीन होने की समस्या देखने को मिल सकती है।
गैंग्रीन रोग का कारण
ऊपर आपने गैंग्रीन क्या है (gangrene kya hai)? अब हम आपको गैंग्रीन होने के कारणों के बारे में बताने जा रहे है। गैंग्रीन का इलाज करने से पहले आपको गैंग्रीन होने के कारणों के बारे में जानना बहुत ज्यादा जरुरी है क्योंकि अगर आपको इस बिमारी के होने के कारणों का पता होगा तो आपको गैंग्रीन का इलाज करने में आसानी होती है। चलिए अब हम आपको गैंग्रीन होने के कारणों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
1 – गेंग्रीन होने का कारण हड्डी टूटना भी होता है अर्थात किसी भी महिला या पुरुष के शरीर की कोई सी भी हड्डी टूटने की स्थिति में गेंग्रीन की समस्या हो सकती है।
2 – शरीर में मौजूद धमनियो पर दबाव पड़ने की वजह से भी गेंग्रीन की परेशानी हो सकती है। – अगर किसी भी भी पुरुष या महिला के शरीर का कोई भी अंग जल गया है और उस जले हुए हिस्से में घाव हो गया है तो ऐसी स्थिति में में भी गेंग्रीन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
3 – गेंग्रीन होने का कारण बहुत अधिक सर्दी लगना भी होता है। बहुत अधिक सर्दी लगने के पीछे अन्य कारण भी हो सकते है। इसीलिए बहुत अधिक सर्दी लगने पर लापरवाही बिलकुल ना करें तुरंत डॉक्टर से सलाह लें की सर्दी लगने के पीछे का कारण गेंग्रीन तो नहीं है।
4 – अगर किसी भी इंसान को बिजली का झटका लगा है तो बिजली का झटका लगने की वजह से गेंग्रीन की समस्या हो सकती है।
5 – गेंग्रीन रोग होने का प्रमुख कारण मधुमेह रोग भी होता है। आम इंसानो के मुकाबले मधुमेह की समस्या पीड़ित इंसान में गेंग्रीन रोग होने की आशंका अधिक होती है।
6 – कुछ मामलो में धमनियों में इन्जेक्शन से दवा देने की वजह से गेंग्रीन रोग देखा गया है।
7 – शरीर के किसी भी हिस्से में चोट की वजह से होने वाले घाव के कारण भी गेंग्रीन रोग हो सकता है।
8 – अगर किसी इंसान के गले की पेशियों में लकवा की समस्या हो जाती है तो ऐसे इंसान में गेंग्रीन रोग होने की संभावना काफी ज्यादा होती है।
9 – गेंग्रीन रोग होने का कारण ब्लड की आपूर्ति में कमी होना भी होता है। अगर आपके शरीर के अंगो में रक्त की आपूर्ति पूरी या सही ढंग से नहीं हो रही है तो आपको गेंग्रीन रोग हो सकता है।
10 – गेंग्रीन रोग होने का कारण संक्रमण भी होता है।
गैंग्रीन रोग के लक्षण
ऊपर आपने गेंग्रीन क्या है (gangrene kya hai) और गेंग्रीन होने के कारणों के बारे में जाना। अब हम आपको गेंग्रीन के लक्षणों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है। गेंग्रीन के लक्षणों के बारे में जानकारी सभी पुरुष और महिला को होनी चाहिए क्योंकि अगर आपको गेंग्रीन के लक्षणो के बारे में जानकारी होगी तो आप आसानी से गेंग्रीन की पहचान कर सकते है। गेंग्रीन का इलाज शुरूआती दौर में ही हो जाता है। काफी सारे मामलो में देखा गया है की जानकारी के आभाव में इंसान बिमारी को बढ़ा लेता है, जिसकी वजह से इलाज में परेशानी या लम्बा इलाज चलता है। गेंग्रीन के लक्षण निम्न प्रकार है
1 – जब किसी भी इंसान के शरीर के किसी भी हिस्से या अंग में गेंग्रीन रोग हो जाता है तो उस हिस्से या अंग में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया महसूस नहीं होती है।
2 – गेंग्रीन रोग से ग्रस्त हिस्से या अंग पर ठंडा, गर्म या दर्द का अहसास नहीं होता है।
3 – रोग्रस्त हिसस या अंग की त्वचा का रंग बदलता है। रोग की शुरुआत में त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है। फिर जैसे जैसे रोग बढ़ता है वैसे वैसे त्वचा का रंग बैंगनी, भूरा और अंत में हरा या पूरी तरह काला पड़ जाता है।
4 – गेंग्रीन का लक्षण तेज दर्द भी होता है।
5 – अगर आपके शरीर के किसी अंग के सूजन आ रही है तो इसके पीछे का कारण गेंग्रीन रोग भी हो सकता है। हालाँकि सूजन आने के कारण अन्य भी हो सकते है।
6 – शरीर में हुए किस प्रकार के घाव से दुर्गंधयुक्त स्राव निकलता है तो इसके पीछे की वजह से गेंग्रीन रोग हो सकता है।
7 – गेंग्रीन रोग के लक्षण में शामिल है तेज़ हृदय गति का होना
8 – अगर आपको सांस लेने में कठिनाई हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि गेंग्रीन रोग के लक्षणों में शामिल है सांस लेने में परेशानी होना।
9 – बुखार आने के बहुत सारे कारण होते है। बुखार आने पर चिकित्सक से परामर्श करें की कहीं बुखार आने का कारण गेंग्रीन रोग तो नहीं है।
गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपचार
अक्सर जब कोई भी इंसान गेंग्रीन की समस्या से पीड़ित होता है तो कई बार इंसान गेंग्रीन रोग का घरेलू इलाज या गेंग्रीन की देसी दवा ढूंढता है। यह तो आप समझ ही गए होंगे की गेंग्रीन एक बहुत जटिल बिमारी है। किसी भी बिमारी का इलाज उस बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर आपको बीमारी का पता शुरुआत में ही चल जाता है तो आप आसानी से इलाज कर सकते है। चलिए अब हम आपको गैंग्रीन का आयुर्वेदिक उपाय बताने जा रहे है।
गेंग्रीन का इलाज करने के लिए आपको गाय का मूत्र, एक सूती कपड़ा, थोड़ी सी हल्दी और गेंदे के फूल की जरुरत पड़ती है। सबसे पहले सूती कपड़ा लेकर उसे इस तरह से मोड़ें की कपड़ें की लगभग आठ या दस परत बन जाएं। उसके बाद गोमूत्र को मुड़ें हुए सूती कपड़ें में से छान लें। फिर गेंदे के दो फूल लेकर उनके नारंगी या पीले रंग के पत्तो को तोड़कर अलग कर लें। उसके बाद गेंदे के फूलो की पत्तियाँ, हल्दी और गोमूत्र की मदद से चटनी बना लें। चटनी को घाव पर अच्छी तरह से लगा कर ऊपर से रुई लगा कर पट्टी बाँध लें। चटनी की पट्टी आपको दिन में दो बार करनी है। मान लीजिए आपने सुबह एक बार चटनी लगाकर पट्टी बाँधी है। फिर शाम को पट्टी बांधने से पहले घाव को अच्छी तरह से धो कर साफ़ करके चटनी लगाकर पट्टी बाँध लें। घाव को धोने के लिए गोमूत्र का इस्तेमाल करें। नियमित रूप से इस उपचार को करने से कुछ दिनों में ही आपको आराम प्राप्त होगा। चटनी की मात्रा आप अपने घाव के हिसाब से कम या ज्यादा कर सकते है।
लेकिन हम आपको सलाह देंगे की गेंग्रीन की समस्या होने पर सबसे पहले चिकित्सक या वैध को अपनी बिमारी के बारे में बताएं और घाव को दिखाएं। उसके बाद वैध या चिकित्साक के परामर्श और सलाह के अनुसार इलाज करें। अपनी मर्जी से इलाज करने की वजह से आपको नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है।
गैंग्रीन रोग होने पर क्या करना चाहिए?
गेंग्रीन की समस्या से प्रभावित इंसान एक मन में यह सवाल भी रहता है की गेंग्रीन रोग होने पर उसे क्या करना चाहिए? तो हम आपको बता दें की गेंग्रीन रोग होने पर बिना देरी किए सबसे पहले आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइयो का सेवन करें और डॉक्टर के द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें। इसके अलावा आप अपने घाव सही करने के लिए कुछ सावधानियाँ बरत सकते है। शरीर का जो भी हिस्सा या अंग गेंग्रीन रोग से प्रभावित हुआ है उसे अधिक से अधिक समय तक खुला रखना चाहिए। खुली हवा लगने से आराम प्राप्त होता है। गेंग्रीन रोग अधिकतर पैरो में देखने को मिलता है इसीलिए हमेशा ऐसे जूते पहने जिसमे आपको आराम मिलें। जिस अंग में गेंग्रीन हुआ है उस अंग या हिस्से को ज्यादा से ज्यादा स्थिर रखने की कोशिश करें। गेंग्रीन होने का एक कारण मधुमेह का रोग भी होता है इसीलिए अगर आपको गेंग्रीन की परेशानी हुई है और आप मधुमेह की समस्या से पीड़ित है तो मधुमेह को नियंत्रित रखें। इसके अलावा रोग्रस्त भाग को किसी भी प्रकार के केमिकल के संपर्क में ना आने दें।
गेंग्रीन की समस्या से बचने के उपाए
ऊपर आपने गेंग्रीन क्या है (gangrene kya hai)? और गेंग्रीन होने के कारणों के बारे में पढ़ा। अब हम आपको कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे है जिन्हे अपनाकर आप गेंग्रीन की समस्या से अपने आपको बचा सकते है।
1 – वजन बढ़ने से इंसान को कई सारी परेशानियो का सामना करना पड़ता है। जब इंसान के शरीर का वजन बढ़ता है तो शरीर में मौजूद धमनियों पर दबाव बढ़ने के साथ साथ ब्लड सर्क्युलेशन में कमी इत्यादि परेशानी हो सकती है। इसीलिए अगर आप गेंग्रीन की परेशानी से बचना चाहते है तो तो अपने वजन को संतुलित रखें।
2 – अगर आप गेंग्रीन की समस्या से बचना चाहते है तो तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल ना करें। तम्बाकू का सेवन करने से शरीर में मौजूद रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिसकी वजह से गेंग्रीन रोग होने की प्रबल संभावना होती है।
3 – जब किसी भी पुरुष या महिला को मधुमेह या शुगर की परेशानी होती है तो उस इंसान को नियमित रूप से शुगर की जाँच कराने के साथ साथ शरीर का भी ख़ास ख्याल रखना पड़ता है। शुगर की समस्या से पीड़ित इंसान के शरीर में किसी भी तरह की चोट, घाव या कट लग जाएं तो वो जख्म देर से सही होता है।
4 – अगर शरीर के किसी भी अंग में किसी भी प्रकार का घाव या चोट लग गई है तो उस घाव या चोट की साफ़ सफाई का खासतौर पर ख्याल रखें।
5 – गेंग्रीन रोग होने का कारण ठंड भी होती है, दरसल ठंड में शरीर के अंदर ब्लड सर्क्युलेशन धीमा या कम होने लगता है। जिसकी वजह से गेंग्रीन की समस्या हो सकती है। इसीलिए अगर आप किसी ठंडी जगह पर रह रहे है और आपके शरीर का कोई हिस्सा या अंग कठोर या सुन्न पड़ रहा है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
निष्कर्ष –
हम आशा करते है की हमारे लेख गेंग्रीन क्या है (gangrene kya hai) और गेंग्रीन होने के कारण में दी गई जानकारी पसंद आई होगी। आज के समय में बहुत से लोगो को इस बिमारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है, इसलिए हमारे इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करके ऐसे लोगो के पास तक पहुंचाने में मदद करें। जिन्हे गेंग्रीन रोग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।