Diwali Kyu Manaya Jata Hai: बच्चो से लेकर बुजुर्गो तक सभी को दीपावली के त्योहार का इन्तजार बेसब्री से रहता है, दीपावली को देश के प्रमुख त्योहारो में से एक माना जाता है| दीपावली को बुराई पर अच्छाई या असत्य पर सत्य की जीत के साथ साथ सद्भावना, सत्य और मर्यादा का संदेश देना वाला पर्व माना जाता है| दीवाली का पर्व बड़े धूमधाम और उत्साहपूर्वक मनाया जाता है, दीवाली का पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है| वैसे तो अधिकतर इंसान को पता होता है दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai) लेकिन कुछ इंसान ऐसे होते है जो दीवाली मनाते तो है लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं होती है की आखिर दीवाली क्यों मनाते है?
दीवाली के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कुछ इंसान इंटरनेट का सहारा लेते है और कुछ इंसान अपने घर या आस पास में मौजूद बुजुर्गो से दीवाली के बारे में जानकारी प्राप्त करते है| चलिए आज हम अपने इस लेख में दीपावली से सम्बंधित जानकारी उपलध करा रहे है, सबसे पहले हम आपको दीपावली क्यों मनाई जाती है? (diwali kyu manaya jata hai) के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai)?
सबसे पहले हम आपको बता दें की हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली का त्योहार मनाया जाता है? कुछ लोगो के मन में यह सवाल होता है की दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai)? तो हम आपको बता दें दीपावली त्योहार मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं है जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है| दीपावली को प्रकाश पर्व या दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है, दीपावली की रात अमावस्या की रात होती है लेकिन दीपो के प्रकाश से अमावस्या की काली रात भी पूर्णिमा जैसी दिखाई देती है| दीपावली का पर्व चारों तरफ प्रकाश फैलाने के साथ साथ लोगो की जिंदगियों में भी रौशनी लाता है, दीपावली को मनाने की वजह अलग अलग धर्मो के लोगो के लिए अलग अलग होती है|
दीपावली मनाने की प्रमुख पौराणिक कथा (Diwali kyu manaya jata hai)
दीवाली हिन्दुओ का प्रमुख पर्व होता है, दीपावली मनाने के पीछे की सबसे प्रमुख कथा भगवान राम की अयोध्या में वापसी की है, जिसके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है
भगवान श्री राम रावण का वध कर लौटे थे अयोध्या
भगवन राम के बारे में तो आप सभी अच्छी तरह से जानते ही है, भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने उन्हें 14 वर्षों का वनवास दिया था। हालाँकि भगवान राम को वनवास क्यों दिया गया था? इसके बारे सभी जानते है लेकिन अगर आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो हम आपको बता दें की भगवान राम के पिता राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थी, जिनके नाम कौशल्या, सुमित्रा तथा कैकेयी थे| रानी कैकेयी की सबसे खास दासी का नाम था मंथरा, दासी मंथरा ने रानी कैकेयी के कान भरे, जिसकी वजह से रानी कैकेयी ने अपने पति दशरथ से 3 वचन मांगे, जिसमे पहला वचन था की राम को 14 वर्ष का वनवास मिले, दूसरा वचन था 14 वर्ष के वनवास के साथ अज्ञातवास और तीसरा वचन था कैकेयी के पुत्र भरत को राजा बनाया जाए|
माता कैकेयी के द्वारा मांगे गए वचनो की वजह से भगवान राम को वनवास मिला था, भगवान राम ने अपने पिता की आज्ञा को मानते हुए वन में जाने का निर्णय लिया, भगवान राम के साथ उनकी पत्नी माता सीता भी साथ में वन की ओर प्रस्थान करने वाले थे तभी भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने भी उनके साथ वनवास में जाने की जिद पर अड़ गए, अंत में भगवान राम, माता सीता ओर लक्ष्मण तीनो ने वन की ओर प्रस्थान किया| वन में पहुँचने के बाद तीनो ने मिलकर एक कुटियाँ बनाई ओर उसी में रहने लगे, धीरे धीरे समय ऐसे ही बीतता रहा फिर एक दिन लक्ष्मण खाने बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ लेने गए|
जब लक्ष्मण लकड़ियां इकट्ठा कर रहे थे तभी उनके पास एक राक्षसी पहुंची जिसका नाम शूर्पणखा था, राक्षसी शूर्पणखा ने लक्ष्मण के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, लक्ष्मण ने विवाह के लिए साफ मना कर दिया, लेकिन शूर्पणखा नहीं मानी ओर विवाह के लिए हठ करने लगी, जिसकी वजह से लक्ष्मण बहुत ज्यादा क्रोधित हो जाते है और क्रोध में लक्ष्मण राक्षसी शूर्पणखा की नाक काट देते हैं। राक्षसी शूर्पणखा को यह अपना अपमान लगा, अपमानित राक्षसी अपने भाई रावण के पास पहुँची और रावण को सारी बातें बताकर अपने अपमान का बदला लेने की बात कही|
रावण को यह बात सुनकर बहुत ज्यादा गुस्सा आया और उसने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने का निर्णय लिया| रावण ने माता सीता का हरण करने की योजना बनाई, सबसे पहले रावण ने मारीच को सोने का हिरण बनाकर वन में उस जगह भेज दिया जहाँ भगवान राम की कुटियाँ थी| सोने का हिरण देख माता सीता बहुत ज्यादा आकर्षित हो जाती है, माता सीता उस सोने के हिरण को अपने पास रखना चाहती थी इसीलिए उन्होंने भगवान राम से सोने के हिरण को पकड़ने का आग्रह किया, माता का आग्रह स्वीकार करते हुए भगवान राम उस हिरण को पकड़ने के लिए वन में उस हिरण के पीछे चल दिए| जब काफी समय तक भगवान राम वापिस नहीं आए तो ऐसे में माता सीता बहुत ज्यादा चिंतित हो गई और उन्होंने लक्ष्मण को भगवान राम को ढूंढ़ने भेज दिया| लक्ष्मण माता सीता की आज्ञा का पालन करते हुए वन में में चले गए, लेकिन जाने से पहले लक्ष्मण कुटिया के चारो और एक लक्ष्मण रेखा खिंच कर गए, जिसे कोई भी असुर पार नहीं कर सकता था| इसीलिए रावण ने माता सीता का हरण करने के लिए साधु का वेश धारण किया, फिर रावण धोखे से माता सीता का हरण करके उन्हें लंका ले जाता है।
भगवान राम और लक्ष्मण जब वापिस कुटिया में आए तो माता सीता को ना पाकर दोनों परेशां हो गए और माता सीता की खोज में निकल गए| खोज करते समय भगवान राम और लक्ष्मण को जटायु मिलता है जो उन्हें बताता है की माता सीता का हरण लरवान ने किया है और वो माता सीता को लंका लेकर गया है| यह सुनकर भगवान राम और लक्ष्मण लंका की तरफ चल देते है, माता सीता की खोज करते समय भगवान राम की मुलाकात वानर राज सुग्रीव से होती है, वानर राज सुग्रीव की वानर सेना की मदद से माता सीता का पता चल जाता है| माता सीता का पता हनुमान जी लगाते है, फिर इसके बाद भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान और राजा सुग्रीव अपनी सेना के साथ लंका पर चढ़ाई कर देते हैं। रावण और भगवान राम के बीच महायुद्ध होता है, इस युद्ध में रावण के कई सारे महान योद्धा जैसे रावण का भाई कुंभकरण, रावण का पुत्र मेघनाथ इत्यादि मारे गए, अंत में भगवान राम ने रावण का वध कर दिया| भगवान राम ने जिस दिन रावण का वध किया था उस दिन को पूरे भारत में दशहरे के त्यौहार रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन भी कहा जाता है।
रावण का वध करने और माता सीता को छुड़ाने के बाद भगवान राम अयोध्या पहुंचे, भगवान राम के आने से पहले अयोध्या वासियों को उनके आने की खबर मिल गई थी| इसीलिए अयोध्या वासियों ने भगवान राम और माता सीता के वापिस लौटने की ख़ुशी में पूरे अयोध्या को सजा दिया और घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया, बस उसी दिन से इस दिन को दिवाली के त्यौहार (diwali kyu manaya jata hai) के रूप में मनाया जाने लगा था|
दीपावली के त्यौहार की अन्य पौराणिक मान्यताएं
ऊपर आपने दीपावली मनाने की प्रमुख कथा के बारे में जाना, अब हम आपको दीपावली मनाने के पीछे की आने कथाओ के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
जैन धर्म के लोगो के लिए भी खास है दीपावली का दिन
दीपावली का दिन जैन धर्म को मानने वाले सभी लोगो के लिए बेहद खास होता है, चलिए अब हम आपको बताते है की आखिर क्यों दीपावली का दिन जैन धर्म के लोगो के लिए विशेष होता है| दरसल जैन धर्म के पूजनीय और आधुनिक जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव ने दीपावली के दिन ही निर्वाण को प्राप्त किया था, निर्वाण प्राप्त करने वाल दिन दीपावली का होने की वजह से जैन धर्म के लोग इस दिन को विशेष रूप से सेलिब्रेट करते है|
दीपावली का दिन सिख धर्म के लोगो के लिए भी बेहद खास है
दीपावली का दिन सिख धर्म के लोगो के लिए भी बेहद खास होता है, चलिए अब हम आपको बताते है की सिख धर्म के लोगो के लिए दीपावली का दिन खास क्यों होता है? सिखों के 6वें गुरु हरगोविंद सिंह जी के बारे में तो आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे, उस समय पर मुग़ल बादशाह ने गुरु हरगोविंद सिंह जी को बंदी बना लिया था| सिख समुदाय के लोगो का मानना की जब मुग़ल बादशाह ने गुरु हरगोविंद जी को कैद कर लिया था तो रात में मुगल बादशाह के सपने में एक फकीर आए और उस फकीर ने मुगल बादशाह से गुरु हरगोविंद को रिहा करने को कहा, फकीर की बात मानते हुए बादशाह ने गुरु हरगोविंद को रिहा कर दिया| जिस दिन गुरु जी को आज़ाद किया गया था उस दिन को सिख समुदाय अपने गुरु की आज़ादी की ख़ुशी में यह त्यौहार को धूमधाम से मनाते है।
पाँचों पांडव अपने राज्य में दीपावली के लौटे थे (diwali kyu manaya jata hai)
शायद ही कोई इंसान हो जिसे महाभारत की कहानी के बारे में ना पता हो, महाभारत में पांडवो को कौरवों ने पांडवों को शकुनी मामा के पासो की मदद से खेल में हरा दिया था| खेल में हारने की वजह से पांडवों को 13 वर्ष तक वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था। 13 वर्ष तक वनवास और एक साल का अज्ञातवास पूरा करने के बाद कार्तिक माह की अमावस्या के दिन पाँचों पांडव अपने राज्य में वापिस आए थे। पांडवो के वापिस आने की ख़ुशी में लोगो ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया और उसी दिन से दीवाली का त्योहार मनाया जाता है|
दीपावली का त्यौहार किसानो के लिए भी है बेहद खास
दीपावली के त्यौहार को फसलों का त्यौहार भी कहा जाता है, इसके पीछे का कारण यह भी है की जिस समय पर दीपावली का त्यौहार आता है उस समय खरीफ की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती है अर्थात फसल को काट कर बेचने का समय होता है| फसल के बेचने पर पर किसानो पर धन की परेशानी नहीं रहती है इसीलिए किसान दीपावली को समृद्धि का त्यौहार भी कहते है और सभी किसान दीवाली को बहुत ही हर्षोउल्लास से मनाते हैं।
हिंदू व्यापारियो के लिए भी बेहद खास होता है
प्राचीन समय में दीपावली के समय पर हिंदू व्यापारी दीपावली के दिन अपने पुराने बहीखातों को बंद करके नया बहीखाता शुरू करते थे, हालाँकि काफी सारे व्यापारी आज भी पहले की तरह नए बहीखाता बनाते है| इसीलिए हिंदू व्यापारियो के लिए दीपावली को नव वर्ष की तरह मनाते है, अधिकतर हिंदू व्यापारी नया बहीखाता बनाने से पहले पुराने सभी ऋणों का भुगतान करने के साथ जिनसे धन लेना है उनसे धन वापिस लेकर हिसाब को पूर्ण करके बंद कर देते है फिर नए सिरे से नया खाता बनाते है|
आर्य समाज के लोगो के लिए भी दीपावली का दिन है खास
आर्य समाज के लोगो के लिए भी दीवाली का दिन बेहद खास होता है क्योंकि दीपावली के दिन महर्षि दयानंद जी को निर्वाण प्राप्त हुआ था| यह तो हम सभी को अच्छी तरहसे पता होगा की आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद जी ने की थी, इसीलिए आर्य समाज के लोगों के लिए दिवाली का दिन महत्वपूर्ण होता है|
दीपावली के दिन हुआ था माता लक्ष्मी का जन्म
हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है और जिस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है उस घर में कभी धन की कमी नहीं होती है| दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश जी पूजा होती है, कुछ लोगो का मानना है की दीपावली के दिन लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था| समुद्र मंथन के बारे में तो सभी जानते ही है, समुद्र मंथन देवताओ और असुर के द्वारा किया गया था, समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से अमृत, विष के साथ साथ कई सारी चीजें निकली थी| मान्यताओ के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी और तभी से माता लक्ष्मी के जन्म के उपलक्ष में दीपावली का यह त्यौहार मनाया जाता है और यही कारण है कि दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
दीपावली मनाने का क्या महत्व हैं?
ऊपर आपने अलग अलग धर्मो के लोगो के लिए दीपावली का दिन खास होता है, इसके बारे में जानकारी प्राप्त की, अलग धर्मो के लोगो की अलग-अलग परम्पराएं और रीति-रिवाज़ होते है, लेकिन हर एक परंपरा का अपना अलग महत्व होता है। चलिए अब हम आपको दीपावली मनाने के महत्व के बारे में जानकारी उपलध करा रहे है
- शायद ही कोई घर हो जिसमे दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, चलिए अब हम आपको दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के महत्व के बारे में बताते है| ब्रह्म पुराण के अनुसार दीवाली की रात में माता लक्ष्मी भ्रमण करती है, इसीलिए सभी भक्त लक्ष्मी जी पूजा करते है और मनोकामना करते है की लक्ष्मी जी उनके घर पर आ कर विराजमान हो जाएं| इसीलिए दीवाली पर लक्ष्मी जी पूजा की जाती है|
- दिवाली पर लगभग सभी इंसान खरीददारी करते है, दीवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलता है| दीवाली से दो दिन पहले धनतेरस के दिन सोना, चंडी, बर्तन, झाड़ू इत्यादि चीजे खरीदने का प्रचलन है और ऐसा मन जाता है की इस दिन खरीददारी करने से बरकत के साथ साथ सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- दिवाली की रात पटाखे चलाने का भी अपना अलग महत्व होता है, पटाखे खासतौर पर बच्चो को बहुत ज्यादा पसंद होते है| जब बच्चे खुश होते है तो परिवार में ख़ुशी का माहौल बन जाता है|
- दिवाली पर लगभग सभी घरो में मिट्टी के दीपक जलाएं जाते है, मिटटी के दिए जलाने का विशेष महत्व होता है| ऐसा माना जाता है की जिस घर में मिटटी से निर्मित दीपक जलाएं जाते है उस घर पर मंगल और शनि देव की कृपा बनी रहती है, इसके अलावा मिटटी के दीपक जलाने से पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचता है|
- दीपावली के मौके पर सभी घरो में अलग अलग तरह की बहुत ही सुन्दर सुन्दर रंगोली बनाई जाती है, रंगोली को शुभ और फलदायी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है|
- दीपावली से पहले सभी घरो में साफ़ सफाई की जाती है और अधिकतर घरो में तो पुताई भी की जाती है| दीपावली पर साफ़ सफाई का अपना अलग महत्व होता है, यह तो आप ऊपर पढ़ चुके है की दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा होती है| हर इंसान चाहता है की लक्ष्मी जी उसके घर पर सदा के लिए निवास करें, ऐसा माना जाता है की माता लक्ष्मी उस घर में प्रवेश नहीं करती है जहाँ पर गंदगी होती है| इसीलिए दीपावली से पहले सभी अपने घरो की साफ़ सफाई करते है, घरो से पुराना और ख़राब सामान निकाल कर नया सामान रखते है और घरो में तोरण, फूलो की सजावट और लाइटों इत्यादि से घरों को अच्छे तरह से सजाया जाता है, जिससे लक्ष्मी जी खुश हो जाएं|
निष्कर्ष –
हम आशा करते है की आपको हमारे लेख दीपावली क्यों मनाई जाती है?( diwali kyu manaya jata hai) और दीवाली के महत्व में दी गई जानकारी पसंद आई होगी, अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करके ऐसे इंसानो के पास एक पहुंचाएं जिन्हे दीवाली क्यों मनाई जाती है? (diwali kyu manaya jata hai) के बारे में जानकारी नहीं है|