आपने कभी ना कभी धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) के बारे में जरूर सुना होगा। आमतौर पर काफी सारे इंसानो को धर्मनिरपेक्षता के बारे में जानकारी होती है लेकिन कुछ इंसान ऐसे भी होते है जिन्हे धर्मनिरपेक्षता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। धर्मनिरपेक्षता शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले वर्ष 1846 में जॉर्ज जैकब होलीयॉक के द्वारा किया गया था। उसके बाद अलग अलग समय पर इस शब्द का इस्तेमाल और इस शब्द से कई सारे आंदोलन भी हुए।
दुनिया भर में आपको अलग अलग धर्म देखने को मिलेंगे लेकिन धर्मनिरपेक्षता एक ऐसी धारणा है जिसमे किसी भी धर्म की कोई जगह नहीं है। जिन इंसानो को धर्मनिरपेक्षता के बारे में जानकारी नहीं होती है वो अक्सर इंटरनेट पर धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता क्या होती है? धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने वाले कारक कौन से है? धर्मनिरपेक्षता के नुक्सान क्या है? और धर्मनिरपेक्षता के लक्षण इत्यादि लिखकर सर्च करते है। चलिए सबसे पहले हम आपको धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
धर्मनिरपेक्षता क्या है? । Dharmnirpekshta kya hai
दुनिया के काफी सारे देश धर्मनिरपेक्ष है। धर्मनिरपेक्षता शब्द को विभाजित करें तो धर्म और निरपेक्षता होता है। धर्मनिरपेक्षता का मतलब होता है सभी धर्मो से अलग होना। सरल भाषा में समझे तो धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) का अर्थ है सभी धर्म और धर्म के मानने वाले लोगो को एक समान दर्जा या मान्यता देना। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने की वजह से हमारे देश में सभी धर्मो के लोगो को एक समान माना जाता है। आप ऐसे भी समझ सकते है की केंद्र या राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओ का लाभ सभी नागरिको के लिए होता है। देश में रहने वाले सभी धर्मो के लोगो के लिए कानून एक समान है। जब कोई भी इंसान कोई अपराध करता है तो कानून उसके अपराध को देखकर सजा देता है।
भारत एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। पंथनिरपेक्ष का मतलब होता है की जिसका अपना कोई धर्म नहीं है। इसका मतलब यह है की भारत का कोई धर्म नहीं है। भारत देश सभी धर्मो को समान और समानांतर विकास करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। भारत को 3 जनवरी 1977 को पंथ निरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था। देश का कोई भी राज्य किसी खास या विशेष धर्म को किसी भी प्रकार का सरंक्षण नहीं दे सकता है। राज्य सरकार के लिए राज्य में रहने वाले सभी धर्मो के लोग को समान माना जाता है। राज्य सरकार बिना किसी भेदभाव के केवल राज्य की उन्नति और विकास के लिए काम करती है। चलिए अब हम आपको धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) के लक्षण बारे में बताते है
धर्मनिरपेक्षता के लक्षण
ऊपर आपने पढ़ा की धर्मनिरपेक्षता कया है (dharmnirpekshta kya hai)? अब हम आपको धर्मनिरपेक्षता के लक्षणों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
1 – धर्मनिरपेक्षता की वजह से धर्म पर आश्रित लोगो की सोच में काफी बदलाव देखने को मिला। पहले लोग किसी भी घटना के लिए धर्म को मुद्दा बना देते थे, लेकिन वर्तमान में प्रत्येक घटना के लिए तर्क दिए जाते है।
2 – पहले के जमाने में इंसान धर्म को अहमियत ज्यादा देता था लेकिन अब समय में बदलाव है इंसान धर्म के साथ साथ शिक्षा पर काफी ज्यादा जोर देते हुए दिखाई दे रहे है। शिक्षा की वजह से पहले की अपेक्षा अब धार्मिक संस्थाओं का महत्व कम होता हुए नजर आ रहा है।
3 – वर्तमान में जब देश में कहीं पर भी कोई घटना हो जाती है तो सबसे पहले उस घटना की जाँच और छान बीन की जाती है। पहले के समय पर जब कोई भी घटना घटती थी तो उस घटना को धर्म से जोड़ दिया जाता था।
4 – पहले ज़माने के भारत पर नजर डालें तो उस समय पर देश में धर्म, जाति, लिंग और संप्रदाय इत्यादि के आधार पर परस्पर भेद-भाव काफी ज्यादा देखने को मिलता था। वर्तमान में आपको ऐसा माहौल भारत में जल्दी से देखने को नहीं मिलेगा। स्कूल से लेकर ऑफिस तक सभी धर्मो के लोग एक साथ मिलकर काम करते है। धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) की वजह से भारत में भेद-भाव लगभग समाप्त हो गया है। देश में सभी धर्मो के लोगों को उनके विशिष्ट क्षेत्रों में समान अवसर प्राप्त होते हैं।
धर्मनिरपेक्षता के नुक्सान
धर्मनिरपेक्षता को लेकर लोगो के दो मत दिखाई देते है। कुछ लोगो का मानना है की धर्मनिरपेक्षता किसी भी देश और देश के नागरिको के लिए फायदेमंद है और कुछ लोगो का मानना है की धर्मनिरपेक्षता के नुक्सान काफी है। चलिए अब हम आपको धर्मनिरपेक्षता के नकारात्मक पक्ष के बारे में जानकारी दे रहे है
1 – देश के कुछ नागरिको का मानना है की धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी देशो से आई है हालाँकि यह सच नहीं है क्योंकि अगर हम भारत की आजादी पर नजर डालें। देश को आजादी दिलाने में सभी धर्मो के लोगो का योगदान रहा है। सभी धर्मो के लोगो के सहयोग की बदौलत ही देश को आजादी मिली थी।
2 – कुछ लोगो का मानना है धर्मनिरपेक्षता एक धर्म विरोधी धारा है। ऐसे लोगो को लगता है की धर्मनिरपेक्षता की वजह से लोगों की धार्मिक पहचान खत्म हो सकती है।
3 – धर्मनिरपेक्षता का एक नकारात्मक पक्ष यह भी बताया जाता है की राज्य सरकार अपने राज्य में मौजूद बहुसंख्यकों से प्रभावित होकर अल्पसंख्यकों के मामले में हस्तक्षेप कर सकती है। आप ऐसी भी समझ सकते है की धर्मनिरपेक्षता तुष्टीकरण की नीति को बढ़ावा दे सकती है।
धर्मनिरपेक्षता की विशेषताएं
ऊपर आपने धर्मनिरपेक्षता क्या है (dharmnirpekshta kya hai)? और धर्मनिरपेक्षता के लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त की। धर्मनिरपेक्षता की कई सारी विशेषताएं होती है, जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी उपलब्ध करा रहे है
1 – जैसे जैसे धर्मनिरपेक्षता वादी शिक्षा बच्चो को मिल रही है वैसे वैसे बच्चो में नैतिक दृष्टिकोण का विकास देखने को मिल रहा है। नैतिक शिक्षा की वजह से बच्चो में ईमानदारी, सत्य बोलना, नम्रता, दूसरो के प्रति सहानुभूति, मानवता की भावना, सेवा और त्याग इत्यादि गुणों का विकास होने लगता है। जिसकी वजह से इंसान के चरित्र एवं व्यक्तित्व में निखार आने लगता है। ऐसे में इंसान सभी धर्म के लोगो के प्रति समान रुख रखता है। सरल भाषा में समझे तो इंसान की मदद करते समय उसका धर्म नहीं देखता है।
2 – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की खासियत यह भी होती है की ऐसे राष्ट्र का अपना कोई धर्म नहीं होता है। किसी विशेष धर्म की जगह सभी धर्मो के लोगो को सामान माना जाता है।
3 – जिस देश में धर्मनिरपेक्षता होती है उस देश में रहने वाले नागरिको को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है। सरल भाषा में समझे तो देश में रहने वाले सभी धर्म और जाती के लोगो को अपने धर्म के प्रति स्वतंत्रता प्राप्त होती है। वो अपने धर्म के अनुसार पर्व मना सकता है और अपने धर्म का प्रचार भी कर सकते है।
4 – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में नागरिक तानाशाही का विरोध कर सकते है।
5 – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सभी धर्मों का समान आदर किया जाता है। राष्ट्र की सरकार किसी खास धर्म के लिए कोई काम नहीं करती है। सर्कार के द्वारा किए गए कामो का लाभ सभी धर्मो के लोगो को प्राप्त होता है।
6 – जब किसी भी राष्ट्र में धर्मनिरपेक्ष पॉलिसी लागू होती है तो उस देश में किसी भी नागरिक के साथ उसके धर्म की वजह से भेदभाव नहीं किया जा सकता है। आसान भाषा में समझे जैसे सरकार मुफ्त में राशन दे रही है तो यह मुफ्त राशन किसी विशेष धर्म या जाती के लोगो के लिए नहीं है। मुफ्त राशन की सुविधा उस देश के नागरिको के लिए है।
7 – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में जो भी करे किया जाता है वो देश के समस्त नागरिको के लिए किया जाता है। इन कामो में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। जैसे सड़क बनाना, बिजली पहुँचाना इत्यादि। जब सरकार किसी भी जगह पर सड़क बनाती है तो उस सड़क का निर्माण किसी विशेष जाती या धर्म के लोगो के लिए नहीं किया जाता है। बल्कि देश में रहने वाले सभी धर्मो के लोगो के लिए बनाई जाती है।
8 – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सरकार के लिए देश में रहने वाले सभी धर्मो के लोग एक सामान है। ऐसे राष्ट्र में सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी स्कीम का लाभ देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को मिलता है।
9 – देश में रहने वाला कोई भी नागरिक अपराध करता है तो उसे सजा उसके अपराध पर मिलती है। किसी विशेष धर्म को वजह से सजा में कसी प्रकार की छूट नहीं मिलती है। जुर्म की सजा सभी धर्मो के लोगो के लिए सामान होती है।
10 – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में रहने वाले नागरिक अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र होते है। अपनी पसंद का धर्म अपनाने के लिए उन्हें कोई नहीं रोक सकता है।
धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने वाले कारक
धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने वाले करक बहुत सारे होते है। चलिए अब हम आपको कुछ ऐसे कारको के बारे में जानकारी दे रहे है जिनकी वजह से धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) प्रभावित हो रही है।
धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने का कारण है पश्चिमीकरण
भारत में धर्मनिरपेक्षता के विचारों को बढ़ावा देने में पश्चिमीकरण का बहुत बड़ा योगदान रहा है। प्राचीन समय में इंसान के पास ज्यादा सुविधाएं मौजूद नहीं थी लेकिन ब्रिटिश शासन आने के बाद भारत में नवीन प्रौद्योगिकी संचार, यातायात के साधन, पोस्ट ऑफिस की सुविधा, रेल की सुविधा, बेहतरीन शिक्षा के साथ साथ नवीन मूल्यों के बारे में जानकारी हुई। जैसे जैसे भारत में पश्चिमीकरण को बढ़ावा मिला वैसे वैसे देश में भौतिकवाद को बढ़ावा मिलने लगा और नागरिको में धर्म का भाव धीरे धीरे कम होता हुआ नजर आने लगा।
आधुनिक शिक्षा पद्धति
प्राचीन समय में इंसान के पास ना तो यातायात के ज्यादा साधन मौजूद थे और ना हे शिक्षा का इतना जोर था। जैसे जैसे शिक्षा का प्रभाव बढ़ने लगा वैसे वैसे लोग गांवो से नगर की तरफ पलायन करने लगे। नगरों में अच्छी शिक्षा प्राप्त होने के साथ यातायात की सुविधा भी उपलब्ध थी। स्कूलों में बच्चो के धर्म को नहीं देखा जाता था, सभी धर्म के लोग एक साथ पढ़ते थे। जिसकी वजह से बच्चो और बच्चो के माँ बाप में अपने धर्म के साथ साथ आने धर्म के लोगो के साथ मेलजोल बढ़ने लगा। जिसकी वजह से धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) को बढ़ावा मिलने लगा। पहले के जमाने में शिक्षा धार्मिक होने की वजह से कुछ खास जातियों को ही शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति थी। अन्य किसी भी जाती को शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति नहीं थी जिसकी वजह से भेदभाव काफी ज्यादा बड़ गया था। लेकिन आधुनिक शिक्षा में ऐसा नहीं है आप किसी भी धर्म या जाती के हो शिक्षा पाने का अधिकार सभी को है। आधुनिक शिक्षा की वजह से नागरिको के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया और उनमें स्वतंत्रता और समानता का विकास भी होने लगा।
औद्योगीकरण ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
ब्रिटिश शासन काल में देश में विभिन्न प्रकार के उद्योग, धंधे और व्यवसाय बढ़ने लगे। सभी प्रकार की नौकरियां नगर में ही मिलती थी। जिसकी वजह से काम करने के लिए नागरिक गांव से नगर जाने लगे। अलग अलग जाती और धर्म और अलग अलग भाषाओ के इंसान एक साथ काम करने लगे। जिसकी वजह से धीरे धीरे धार्मिक कट्टरता समाप्त होने लगी थी। सभी धर्मो के लोग एक साथ मिलकर काम करते थे और एक दूसरे की मदद करते थे। धीरे धीरे ऐसे लोगो में धार्मिक सहिष्णुता और सह अस्तित्व के भाव उत्पन्न होने लगे।
यातायात एवं संचार के साधन
प्राचीन समय में यातायात और संचार के साधन उतने मौजूद नहीं थे जितने आज के समय में मौजूद है। साधन ना होने की वजह से देश में रहने वाले इंसानो में गतिशीलता की कमी थी। इसीलिए वो अन्य धर्मो के लोगो के संपर्क में नहीं आते थे। उन्हें लगता था की केवल उनका धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है जिसकी वजह से लोगो में धार्मिक कट्टरता बढ़ती रही। लेकिन जैसे जैसे यातायात और संचार के साधन बड़े वैसे वैसे इंसान में गतिशीलता बढ़ गई। अलग अलग धर्म के लोग एक दूसरे के संपर्क में आने लगे, जिससे सभी धर्मो के लोगो को अन्य धर्मो के बारे मं जानकारी हुई। साथ में सफर करने से लोगो में आपसी मेलजोल बढ़ने लगा और धीरे धीरे धार्मिक संकीर्णता समाप्त होने के साथ साथ छुआछूत भेदभाव भी कम होने लगा। आसान भाषा में समझे तो जब इंसान बस या ट्रैन में सफर कर रहा होता है तो उस बस में चढ़ने वाले अलग अलग धर्म के लोगो के लिए किराया एक सामान और सीट पर किसी भी धर्म के लोग बैठ सकते है।
धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन ने निभाया अहम् रोल
भारत में मौजूद समाज और धर्म की कुरीतियों को दूर करने के लिए महापुरुषों ने बहुत सारे कार्यक्रमों और आंदोलन किए। शुरुआत में आंदोलन से कम इंसान जुड़ें फिर धीरे धीरे लोगो की सोच में बदलाव आने लगा, महापुरुषों के प्रयत्नों की वजह से धार्मिक अंधविश्वास कम होने लगा था।
सरकार ने उठाए ठोस कदम
धर्मनिरपेक्षता के लिए भारत की सरकार ने देश में रहने वाले सभी नागरिकों को काफी सारे मौलिक अधिकार प्रदान किए। भारतीय संविधान की धारा 15 के अनुसार कोई भी राज्य की सरकार किसी भी इंसान के लिंग, जाती, वंश और धर्म इत्यादि के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकती है। इसके अलावा भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया ता जिससे केंद्र सरकार भी देश में रहने वाले सभी नागरिको को सामान अवसर और सामान मान कर काम करेगी। केंद्र सरकार ने निम्न और पिछड़ी जातियों को ऊंचा उठाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई। जिनकी मदद से देश में धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) को बढ़ावा मिल रहा है।
राजनीतिक दलों का भी महत्पूर्ण योगदान
धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने में देश के अलग अलग राजनीतिक दलों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते है की आजादी के समय पर कांग्रेस देश की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी थी। कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता जैसे महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी इत्यादि ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpekshta kya hai) का समर्थन किया था। कांग्रेस के अलावा कई सारे अन्य राजनितिक दलों ने भी धर्मनिरपेक्षता को बढ़ाने में सहयोग किया। आधुनिक युग में आप देख सकते है जो भी पार्टी जीतकर सरकार बनाती है वो सभी धर्मो के लोगो का समान आदर और काम करती है। आज के समय में सभी राजनितिक दलों में अलग अलग धर्मो के लोग मौजूद है।
स्वतंत्रता आंदोलन भी महत्वपूर्ण
देश को आजादी दिलाने के लिए अलग अलग समय पर अलग अलग जगह पर स्वतंत्रता आंदोलन किए गए। स्वतंत्रता आंदोलन में सभी धर्मों के लोग शामिल थे, देश को आजाद कराने के लिए सभी धर्मो और जातियों ने आपसी भेदभाव भुला कर सहयोग किया। इसी वजह से देश के आजाद होने के बाद भारतीय संविधान में भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था। ऐसा करने का मुख्य कारण यह भी था की जिस तरह से सभी धर्मो के लोगो ने मिलकर देश को आजाद कराया है उसी तरह से सभी धर्म और जाती के लोग मिलकर देश के विकास और प्रगति में समान रूप से भागीदार बनें।
निष्कर्ष –
हम आशा करते है की आपको हमारे लेख धर्मनिरपेक्षता क्या है (dharmnirpekshta kya hai)? और धर्मनिरपेक्षता के लक्षणों में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। वर्तमान में अधिकतर इंसान धर्मनिरपेक्षता के बारे में काफी अच्छी तरह से जानते है। लेकिन कुछ इंसान ऐसे भी है जिन्हे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है हमारे इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करके ऐसे लोगो के पास तक पहुँचाने में मदद करें।