Adarsh Chunav Aachar Sanhita Kya Hai? और आचार संहिता क्यों लगाई जाती है?

Aachar Sanhita Kya Hai?: भारत में जब भी चुनाव होता है तब चुनाव के समय पर आचार संहिता लागू की जाती है| अधिकतर इंसान आचार संहिता का नाम तो जानते है लेकिन आचार संहिता के बारे में सही और सटीक जानकारी काफी कम लोगो को होती है| आचार संहिता लागू होने के पीछे का मुख्य उद्देश्य चुनाव को निष्पक्ष तरीके से कराना होता है| चुनाव की घोषणा होते ही अचार संहिता लागू हो जाती है| आज के समय में जिन इंसानो को आचार संहिता के बारे में जानकारी नहीं होती है वो इंटरनेट पर आचार संहिता क्या है? आचार संहिता कब से कब तक लगती है? आचार संहिता क्यों लगाई जाती है? और आचार संहिता की अवधि कितनी होती है? इत्यादि लिखकर सर्च करते है| अगर आपको भी आचार संहिता के बारे में जानकारी नहीं है तो आप बिलकुल सही पेज पर पहुँच गए है| आज हम आपको अपने इस लेख में आचार संहिता के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है| चलिए सबसे पहले हम आपको आचार संहिता क्या होती है (aachar sanhita kya hai)? के बारे में बता रहे है

आचार संहिता क्या है / Aachar Sanhita Kya Hai?

चुनाव को निष्पक्ष कराने में आचार संहिता का अहम् रोल होता है| आचार संहिता को अंग्रेजी में कोड ऑफ कंडक्ट (code of conduct) कहा जाता है| आचार संहिता में राजनितिक दलों से लेकर मतदान तक के लिए अलग अलग नियम बनाए गए है, उन नियमो का पालन करना सभी के लिए जरुरी होता है| आचार संहिता के नियमो के बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे है| आसान भाषा में समझे तो जब भी किसी भी राज्य या क्षेत्र में चुनाव होते है तो चुनाव को जितने के राजीनीतिक दल और राजनीतिक दलों के उम्मीदवार चुनाव जितने के लिए मतदाताओं को अलग अलग तरह प्रलोभन और लालच देते है, सत्ताधारी राजनीतिक दल अपनी पावर का गलत इस्तेमाल कर सकते है| ऐसी सभी परेशानियो को दूर करके चुनाव को निष्पक्ष कराने के लिए आचार संहिता (aachar sanhita kya hai) लगाई जाती है| जब भी चुनाव आयोग कहीं पर चुनाव की तारिख की घोषणा करता है तो उसी समय से आचार संहिता लागू हो जाती है|     

आचार संहिता कब से कब तक लगती है?

आचार संहिता क्या है (aachar sanhita kya hai)? के बारे में आप ऊपर पढ़ चुके है| कुछ इंसानो के मन में यह सवाल रहता है की आचार संहिता कब लगती है? तो हम आपको बता दें आचार संहिता उसी समय से लग जाती है जब चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा कर देता है| चुनाव हो जाने के बाद जिस दिन चुनाव के परिणाम आते है उसी दिन आचार संहिता समाप्त हो जाती है| आमतौर पर आचार संहिता के शुरू होने और समाप्त होने की घोषणा नहीं की जाती है| आचार संहिता स्वतः ही लगती है स्वतः ही समाप्त हो जाती है|

आचार संहिता की अवधि कितनी होती है?

यह तो आप ऊपर पढ़ चुके है की चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लग जाती है और चुनाव के परिणाम आते ही आचार संहिता खत्म हो जाती है| ऐसे में काफी सारे लोगो के मन में यह सवाल होता है की आचार संहिता की समय अवधि कितनी होती है? आमतौर पर आचार संहिता की समय अवधि 30 दिन से लेकर 60 दिन तक होती है| 

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आचार संहिता क्यों लगाई जाती है?

कुछ इंसान यह सोचते है की आखिर आचार संहिता क्यों लगाई जाती है या अचार संहिता लगने से क्या फायदा होता है? दरसल चुनाव के समय पर सभी राजनितिक दल चुनाव जीतने के लिए अलग अलग तरीके अपनाते है| ऐसे में चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कराने के लिए आचार संहिता लागू की जाती है| आचार संहिता के नियमो की वजह से कोई भी राजनीतिक दल या सत्ताधारी दल अपने आधिकारिक पदों का इस्तेमाल चुनावों में लाभ पाने के लिए नहीं कर सकता है| आचार संहिता के नियम सभी राजनीतिक दलों पर सामान रूप से लागू होते है|

आचार संहिता सबसे पहले कब लागू हुई?

ऊपर आपने जाना की आचार संहिता क्या है (aachar sanhita kya hai)? काफी सारे इंसानो के मन में यह सवाल रहता है की देश में पहली बार आचार संहिता कब लागू हुई थी? या पहली बार आचार संहिता कब लागू हुई थी? चलिए अब हम आपको बताते है की भारत में आचार संहिता पहली बार कब लागू हुई थी? दरसल भारत की आजादी के बाद वर्ष 1960 में पहली बार आचार संहिता लगी थी| भारत के केरल राज्य में विधान सभा के चुनाव में पहली बार आचार संहिता को लगाया गया था| उस समय पर चुनाव आयोग ने चुनाव से संबंधित कुछ नियम बनाए, फिर उन नियमो को केरल में चुनाव लड़ रही सभी राजनीतिक पार्टियों को बताया गया| जब भी केरल में चुनाव की घोषणा की जाएगी तब से सभी पार्टियों को कौन कौन से काम करने की अनुमति और कौन कौन से कामो की अनुमति नहीं है यह सब जानकारी उन नियमो में बताया गया था|

उसके बाद वर्ष 1978 तक वही नियम और कानून चलते रहे है| उसके बाद वर्ष 1979 में सभी राजनितिक दलों से सलाह करने के बाद आचार संहिता में कुछ नए नियम जोड़े गए जिसमे सत्ताधारी पार्टी के लिए कुछ नियम जोड़ें गए| दरसल इन नियमो को जोड़ने का मुख्य कारण यह था की जो भी राजनीतिक दल सत्ता में बैठा है वो अपनी सत्ता और ताकत का उपयोग चुनाव में लाभ प्राप्त करने के लिए नहीं कर सकती है| उसके बाद वर्ष 1991 में आचार संहिता हो पहले से बेहतर और मजबूत बनाने के लिए कुछ जरुरी बदलाव किए गए|

फिर वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आचार संहिता में चुनाव घोषणापत्र से सम्बंधित नियमों को जोड़ने का आदेश दिया गया| वर्तमान में वो ही आचार संहिता लागू है फिलहाल कोई भी नई नियम आचार संहिता में जोड़ा नहीं गया है| आचार संहिता के नियमो के बारे में जानकारी हम आपको नीचे दे रहे है

आचार संहिता के नियम 

ऊपर आपने पढ़ा की आचार संहिता क्या होती है (aachar sanhita kya hai)? अब हम आपको आचार संहिता के नियमो के बारे में बताने जा रहे है| जब किसी भी क्षेत्र में आचार संहिता लग जाती है तो उस क्षेत्र के लिए कुछ नियम या पाबंदी लगाई जाती है| आचार संहिता में जिन चीजों पर पाबंदी होती है अगर कोई भी आम इंसान या नेता या कोई अन्य इंसान उन नियमो का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा सकती है| आचार संहिता लगने के बाद राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवारों के साथ साथ आम इंसानो के लिए भी कुछ नियम बनाए गए जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी उपलब्ध करा रहे है

आचार संहिता के सामान्य नियम

आचार संहिता लागू होने के बाद कुछ आम नियमो का पालन सभी को करना जरुरी होता है| काफी सारे इंसान इन नियमो से अंजान होते है| चलिए अब हम आपको आचार संहिता के आम नियमो के बारे में जानकारी दे रहे है

1 – आचार संहिता लगने के बाद किसी भी राजीनीतिक पार्टी को कोई भी ऐसा कार्य करने की मनाही होती है, जिसकी वजह से किसी भी जाती और धार्मिक समुदायों के बीच में आपसी मतभेद उत्पन्न हो सकता है| अगर कोई भी राजनीतिक दल का नेता ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है|

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2 – आचार संहिता के दौरान किसी भी धर्म के धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल चुनाव के लिए नहीं करेगा| कोई भी राजनीतिक दल धार्मिक स्थान जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरूद्वारे इत्यादि का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के रूप में नहीं कर सकता है|

3 – किसी राजनीतिक दल के द्वारा की जाने वाली बुराई दूसरे दल के कार्यक्रम और नीतियों तक सिमित होनी चाहिए| आलोचना व्यक्तिगत नहीं होनी चाहिए|

4 – किसी भी राजनीतिक पार्टी का उम्मीदवार मतदाता को अपनी तरफ या अपनी पार्टी के पक्ष में करने के लिए किसी भी प्रकार का लालच और रिश्वत या परेशान नहीं कर सकता है|

5 – किसी भी आम इंसान की अनुमति लिए बिना उस इंसान के घर की दीवार या भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है|

6 – कोई भी आम इंसान या कोई भी राजनीतिक दल किसी भी अन्य राजनीतिक दल की रैली, सभा या जुलूस में बाधा नहीं डाल सकते है|

7 – सभी राजनीतिक दलों को ऐसे कार्य करने की सख्त मनाही होती है जिसकी वजह से किसी भी धर्म की धार्मिक या किसी भी जाती की जातीय भावनाएं आहत हो रही हो|

राजनीतिक सभाओं से सम्बंधित नियम

आचार संहिता के दौरान राजनीतिक दलों और उनकी सभाओ के लिए भी कुछ नियम होते है| उन नियमो का पालन सभी राजनीतिक दलों को करना जरुरी होता है| चलिए अब हम आचार संहिता के दौरान राजनीतिक सभाओ के लिए नियमो के बारे में जानकारी दे रहे है

1 –  अगर किसी भी स्थान पर सभा आयोजित करनी है तो उस सभा का स्थान और सभा के समय की जानकारी पहले पुलिस अधिकारियों को दी जाएगी| पुलिस अधिकारी आपको अनुमति देने के साथ साथ सभा के बाधा डालने वालने अराजक तत्वों से निपटने के लिए पुलिस की तैनाती भी करेंगे जिससे सभा में किसी तरह की परेशानी उत्पन्न ना हो| 

2 – राजीनीतिक दल जिस जगह पर सभा करने वाले है उस स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें की उस जगह पर सभा करने की पाबंदी तो नहीं है|

3 – सभा स्थल में अगर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना है तो सभा करने से पहले पुलिस अधिकारियों से इस बात की परमिशन प्राप्त कर लें| बिना परमिशन के लाउडस्पीकर का उपयोग करना वर्जित है|

आचार संहिता के दौरान रैली या जुलुस के नियम

आचार संहिता के दौरान अगर कोई भी राजनीतिक दल किसी भी प्रकार की रैली या जुलुस निकालता है तो उन्हें उन नियमो का पालन करना होगा जो आचार संहिता के दौरान रैली निकालने के लिए बनाए गए है| चलिए अब हम आपको रैली या जुलुस निकालने के नियमो के बारे में बताते है

1 – सभी राजीनीतिक दलों को रैली या जुलूस निकालने से पहले पुलिस को रैली से संबंधित जरुरी जानकारी जैसे रैली के शुरू होने का समय, रैली समाप्ति का समय, रैली किस स्थान से प्रारंभ होगी, रैली किस रास्ते से होकर गुजरेगी और रैली किस स्थान पर समाप्त होगी इत्यादि जानकारी देनी होती है|

2 – किसी राजनीतिक दल की रैली से आम यातायात बिलकुल भी प्रभावित नहीं होना चाहिए| यातायात प्रभावित ना हो इसीलिए रैली को सड़क की दाई और से निकाला जाता है|  

3 – दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों की रैली एक ही दिन और एक ही रास्ते से होकर निकालने का प्रस्ताव दिया जाएं तो पुलिस के द्वारा दोनों राजनीतिक दलों से बात करके दोनों का समय अलग अलग रखा जाता है|

4 – किसी भी राजनीतिक दल की रैली में ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना निषेध है जिनका दुरुपयोग किया जा सकता हो|

आचार संहिता के दौरान मतदान से सम्बंधित नियम

ऊपर आपने आचार संहिता में रैली के नियम पढ़ें, अब हम आपको मतदान से सम्बंधित नियमो के बारे में बता रहे है 

1 – सभी राजनितिक दलों को यह निर्देश होता है की केवल अधिकृत कार्यकर्ताओं को ही पहचान पत्र दिया जाना चाहिए|

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2 – वोट डालने वाले मतदाताओं को जो पर्ची दी जाती है, वो पर्ची सादे कागज की होनी चाहिए और उस कागज पर किसी प्रकार का चिह्न, उम्मीदवार का नाम और किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं होना चाहिए|

3 – जिस क्षेत्र में मतदान होना है उस क्षेत्र में मतदान के दिन और मतदान के दिन से 24 घंटे पूर्व से क्षेत्र में शराब इत्यादि चीजों का वितरण नहीं होना चाहिए|

4 – मतदान केन्द्रो के पास लगाए हुए कैम्प साधारण होने के साथ साथ कैम्पो में अनावश्यक भीड़ जमा नहीं होनी चाहिए|

सत्ता में बैठे राजनीतिक दल के लिए नियम 

आचार संहिता के दौरान सत्ता में बैठे राजनीतिक दल के लिए भी कुछ नियम है जिनका पालन सत्ताधारी राजनीतिक दल करना जरुरी है|

1 – सत्ता में बैठे राजीनीतिक दल के मंत्रियों को सरकारी दौरों पर पार्टी का प्रचार नहीं करना है|

2 – कोई भी सत्ताधारी पार्टी का नेता या मंत्री सरकारी मशीनरी और कर्मचारियों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं कर सकता है| इसके अलावा अपनी पार्टी या उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में सरकारी विमान और गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है|

3 – किसी भी सभा स्थल या हैलीपैड बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले मैदान पर केवल सत्ताधारी दल का अधिकार नहीं होगा, उस स्थान और हैलीपेड का इस्तेमाल अन्य राजनीतिक दल भी कर सकते है| सत्ताधारी राजनीतिक दल के लिए जो नियम और शर्ते होती है वही नियम और शर्ते अन्य दलों के लिए भी होती है| सत्ता में बैठे राजनीतिक दल को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलना चाहिए|

4 – उस क्षेत्र में स्थित सरकारी आवास, विश्रामगृह और डाक-बंगले इत्यादि सरकारी आवासों पर केवल सत्तादल का अधिकार नहीं होगा| सभी राजनीतिक दल इन आवासों का इस्तेमाल निर्धारित शर्तो पर कर सकते है| लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को इन चीजों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए करने की अनुमति नहीं है|

5 – सत्ताधारी राजनीतिक दल सरकारी धन का इस्तेमाल विज्ञापन, समाचार पत्रों या टीवी चैनलों पर नहीं खर्च कर सकता है|

6 – सत्ताधारी राजनीतिक दल कोई भी ऐसे घोषणा नहीं कर सकता है जिसका लाभ चुनाव में मिले|

7 – कोई भी सरकारी अधकारी अपने से नीचे पद के लोगो को या अन्य लोगो को अपने पद के दम पर डरा नहीं सकता है|

आचार संहिता के दौरान कौन से कामो पर रोक होती है?

जब किसी भी राज्य में आचार संहिता लग जाती है तो आचार संहिता (aachar sanhita kya hai) लगते ही कई सारे कामो पर रोक लग जाती है| आचार संहिता लगने पर सरकार किसी भी ऐसी योजना या कार्य को शुरू नहीं कर सकती है जिसकी वजह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता में बैठी पार्टी के उम्मदवारो को लाभ पहुंचे| आचार संहिता लगते ही राज्य में किसी भी सरकारी विभाग के कर्मचारियों का प्रमोशन, तबादला या रिलीव जैसे काम नहीं हो सकते है इसके अलावा किसी भी विभाग में नई नौकरी नहीं निकाली जा सकती है| सरकार किसी भी नई परियोजना की घोषणा नहीं कर सकती है|

आचार संहिता में कौन से काम नहीं रुकते है?

ऊपर आपने पढ़ा की आचार संहिता में कौन कौन से काम नहीं हो सकते है या आचार संहिता में कौन कामो पर रोक होती है? अब हम आपको बताते है की आचार संहिता के दौरान कौन कौन से काम हो सकते है? या आचार संहिता में कौन से काम नहीं रुकते है? आचार संहिता के दौरान जरुरी चीजों पर रोक नहीं लगती है| आचार संहिता के दौरान अगर चिकित्सा क्षेत्र में कोई जरुरी काम है तो सरकार उस काम को कर सकती है| आचार संहिता से पहले शुरू की गई योजना बंद नहीं होती है या सरकार ने सरकारी विभाग के कर्मचारियो के तबादला, प्रमोशन या रिलीव से सम्बंधित आदेश आचार संहिता (aachar sanhita kya hai) से पहले जारी कर देती यही तो इस पर भी आचार संहिता का फर्क नहीं बढ़ता है|

निष्कर्ष –

हम आशा करते है की आपको हमारे पेज आचार संहिता क्या है (aachar sanhita kya hai)? और आचार संहिता क्यों लगाई जाती है? में दी गई जानकारी पसंद आई होगी| आचार संहिता के बारे में जानकारी हम सभी को होनी चाहिए| अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इस पेज को अधिक से अधिक शेयर करके ऐसे इंसानो के पास तक पहुंचाने मदद करें जिन्हे आचार संहिता के बारे में जानकारी नहीं है|

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